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South Korea: दक्षिण कोरिया ने नूरी रॉकेट से सबसे बड़ा सैटेलाइट किया लॉन्च, स्पेस मिशन में मिली बड़ी कामयाबी
वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, सियोल
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Wed, 26 Nov 2025 11:11 PM IST
सार
South Korea Satellite Launch: दक्षिण कोरिया ने अपने घरेलू रूप से विकसित नूरी रॉकेट से अब तक का सबसे बड़ा सैटेलाइट लॉन्च किया। 516 किलोग्राम वजनी विज्ञान सैटेलाइट के साथ 12 माइक्रो सैटेलाइट भी भेजे गए। यह 2027 तक छह मिशनों की श्रृंखला का चौथा लॉन्च है।
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दक्षिण कोरिया ने लॉन्च किया नूरी रॉकेट (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : ANI
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विस्तार
दक्षिण कोरिया ने अपने महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रम के तहत गुरुवार तड़के अपना अब तक का सबसे बड़ा सैटेलाइट नूरी रॉकेट से लॉन्च किया। यह प्रक्षेपण देश के लिए बेहद अहम माना जा रहा है क्योंकि 2027 तक छह मिशन पूरे करने की राष्ट्रीय योजना में यह चौथा लॉन्च है। इस मिशन ने दक्षिण कोरिया की अंतरिक्ष तकनीक में बढ़ती क्षमता को एक बार फिर उजागर किया है।
तीन चरणों वाला नूरी रॉकेट दक्षिण-पश्चिमी तट पर स्थित गोहुड के अंतरिक्ष केंद्र से सुबह उड़ान भरा। एयरोस्पेस अधिकारियों के अनुसार, रॉकेट का उद्देश्य 516 किलोग्राम वजनी विज्ञान सैटेलाइट समेत 12 माइक्रो-सैटेलाइट्स को कक्षा में स्थापित करना है। लॉन्च के बाद अधिकारी लगातार निगरानी कर रहे हैं कि सभी सैटेलाइट्स सही ऊंचाई पर पहुंचते हैं या नहीं।
मुख्य सैटेलाइट की विशेषताएं
इस मिशन में भेजा गया मुख्य सैटेलाइट पृथ्वी से 600 किलोमीटर ऊपर की कक्षा में घूमने के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें एक वाइड-रेंज एयरग्लो कैमरा लगाया गया है, जो ऑरोरा जैसी गतिविधियों का अध्ययन करेगा। इसके अलावा इसमें प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्रों की जांच करने वाली अलग-अलग प्रणालियां भी शामिल हैं। सैटेलाइट पर जीवन-विज्ञान से जुड़े प्रयोगों को अंतरिक्ष में परखने का एक विशेष सिस्टम भी लगाया गया है।
ये भी पढ़ें- भारतीय सिख महिला की शादी पर विवाद: PAK के पूर्व विधायक पहुंचे कोर्ट, महिला को बताया जासूस; गिरफ्तारी की मांग
12 छोटे ‘क्यूब’ सैटेलाइट्स भी भेजे गए
इस मिशन की एक और खास बात यह रही कि विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों द्वारा तैयार 12 छोटे क्यूब सैटेलाइट्स भी रॉकेट में शामिल थे। इनमें लगाई गई तकनीकों में जीपीएस आधारित पृथ्वी के वायुमंडल का अध्ययन, समुद्री प्लास्टिक पर नजर रखने के लिए इन्फ्रारेड कैमरे, सौर सेल परीक्षण सिस्टम और कम्युनिकेशन इक्विपमेंट की परख करने वाली इकाइयां शामिल हैं।
पिछले लॉन्च की तुलना में बड़ा कदम
यह प्रक्षेपण नूरी रॉकेट का मई 2023 के बाद पहला लॉन्च है। इससे पहले 2023 में नूरी रॉकेट ने 180 किलोग्राम वजनी अवलोकन सैटेलाइट को सफलतापूर्वक कक्षा में पहुंचाया था। नूरी का पहला लॉन्च अक्टूबर 2021 में किया गया था, जो डमी सैटेलाइट को कक्षा में स्थापित करने में असफल रहा था। इसलिए इस चौथे प्रयास को दक्षिण कोरिया की अंतरिक्ष तकनीक में स्थिरता और सुधार का महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।
इस मिशन की सफलता से दक्षिण कोरिया की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षा को नई ऊर्जा मिली है। देश भविष्य में अपने स्वयं के लॉन्च व्हीकल विकसित कर अंतरिक्ष अनुसंधान, पृथ्वी अवलोकन और रक्षा क्षेत्र में क्षमता बढ़ाना चाहता है। नूरी कार्यक्रम के तहत किए जाने वाले अगले दो मिशन 2027 तक पूरे किए जाएंगे, जिनमें और उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा।
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मुख्य सैटेलाइट की विशेषताएं
इस मिशन में भेजा गया मुख्य सैटेलाइट पृथ्वी से 600 किलोमीटर ऊपर की कक्षा में घूमने के लिए डिजाइन किया गया है। इसमें एक वाइड-रेंज एयरग्लो कैमरा लगाया गया है, जो ऑरोरा जैसी गतिविधियों का अध्ययन करेगा। इसके अलावा इसमें प्लाज्मा और चुंबकीय क्षेत्रों की जांच करने वाली अलग-अलग प्रणालियां भी शामिल हैं। सैटेलाइट पर जीवन-विज्ञान से जुड़े प्रयोगों को अंतरिक्ष में परखने का एक विशेष सिस्टम भी लगाया गया है।
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12 छोटे ‘क्यूब’ सैटेलाइट्स भी भेजे गए
इस मिशन की एक और खास बात यह रही कि विश्वविद्यालयों और शोध संस्थानों द्वारा तैयार 12 छोटे क्यूब सैटेलाइट्स भी रॉकेट में शामिल थे। इनमें लगाई गई तकनीकों में जीपीएस आधारित पृथ्वी के वायुमंडल का अध्ययन, समुद्री प्लास्टिक पर नजर रखने के लिए इन्फ्रारेड कैमरे, सौर सेल परीक्षण सिस्टम और कम्युनिकेशन इक्विपमेंट की परख करने वाली इकाइयां शामिल हैं।
पिछले लॉन्च की तुलना में बड़ा कदम
यह प्रक्षेपण नूरी रॉकेट का मई 2023 के बाद पहला लॉन्च है। इससे पहले 2023 में नूरी रॉकेट ने 180 किलोग्राम वजनी अवलोकन सैटेलाइट को सफलतापूर्वक कक्षा में पहुंचाया था। नूरी का पहला लॉन्च अक्टूबर 2021 में किया गया था, जो डमी सैटेलाइट को कक्षा में स्थापित करने में असफल रहा था। इसलिए इस चौथे प्रयास को दक्षिण कोरिया की अंतरिक्ष तकनीक में स्थिरता और सुधार का महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।
इस मिशन की सफलता से दक्षिण कोरिया की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षा को नई ऊर्जा मिली है। देश भविष्य में अपने स्वयं के लॉन्च व्हीकल विकसित कर अंतरिक्ष अनुसंधान, पृथ्वी अवलोकन और रक्षा क्षेत्र में क्षमता बढ़ाना चाहता है। नूरी कार्यक्रम के तहत किए जाने वाले अगले दो मिशन 2027 तक पूरे किए जाएंगे, जिनमें और उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा।
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