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US: हंगरी से मुआवजा पाने की टूटी उम्मीद, सर्वोच्च न्यायालय ने होलोकॉस्ट पीड़ितों का मुकदमा किया खारिज

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, वाशिंगटन Published by: शुभम कुमार Updated Sat, 22 Feb 2025 02:23 AM IST
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सार

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हंगरी द्वारा जब्त की गई संपत्ति के लिए मुआवज़ा मांगने वाले मुकदमे में होलोकॉस्ट से बचने वाले लोगों और उनके परिवारों के लिए एक बड़ा झटका दिया। कोर्ट ने हंगरी से मुआवजे की मांग के लिए दायर याचिका खारिज कर दिया, जिससे वहां के लोगों की मुआवजे की उम्मीद टूट गई। 

Washington Supreme Court deals severe blow to Holocaust survivors' lawsuit against Hungary News In Hindi
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हंगरी द्वारा जब्त की गई संपत्ति के लिए होलोकॉस्ट से बचने वाले लोगों और उनके परिवारों के मुआवजे की उम्मीद टूट गई। जहां शुक्रवार को अमेरिका की एक सर्वोच्च न्यायालय ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हंगरी द्वारा जब्त की गई संपत्ति के लिए मुआवजा मांगने वाले मुकदमे में होलोकॉस्ट से बचने वाले लोगों और उनके परिवारों के लिए एक बड़ा झटका देते हुए मुकदमे के लिए दायर याचिका को खारिज कर दिया। बता दें कि यह मामला कई वर्षों से चल रहा था और इसमें होलोकॉस्ट के बचे लोगों और उनके परिवारों ने हंगरी से मुआवजा मांगने के लिए मुकदमा दायर किया था।

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एक अपील न्यायालय का फैसला खारिज
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने एक अपील न्यायालय के फैसले को खारिज कर दिया, जिसने एक संघीय कानून के बावजूद मुकदमे को जारी रखने की अनुमति दी थी। यह संघीय कानून आमतौर पर हंगरी जैसे संप्रभु राष्ट्रों को अमेरिकी न्यायालयों में मुकदमों से बचाता है।

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यह मामला दिसंबर में उस समय सामने आया, जब हंगरी ने बचे हुए लोगों द्वारा दायर 2010 में किए गए मुकदमे को खत्म करने की कोशिश की थी। इनमें से सभी लोग अब 90 वर्ष से ऊपर के हैं, और इनमें से कुछ लोग जर्मनी के कब्जे वाले पोलैंड में स्थित ऑशविट्ज़ मृत्यु शिविर से बचने में सफल रहे थे।

अपील न्यायालय की टिप्पणी
मामले में अपील न्यायालय ने इस मामले में माना था कि बचे हुए लोग विदेशी संप्रभु प्रतिरक्षा अधिनियम के तहत एक अपवाद को पूरा करते हैं, जिसमें “अंतर्राष्ट्रीय कानून के उल्लंघन में ली गई संपत्ति” के लिए बने अपवाद को लागू किया जा सकता है। इसके तहत बचे हुए लोगों को यह साबित करना था कि संपत्ति का अमेरिका से कुछ संबंध है।

बचे हुए लोगों का दावा
साथ ही बचे हुए लोगों ने दावा किया कि हंगरी ने पहले संपत्ति बेच दी थी और उससे प्राप्त धन को अपने सामान्य फंड में मिला दिया था। इस मिश्रित धन का उपयोग हंगरी ने 2000 के दशक में बांड जारी करने और अमेरिका से सैन्य उपकरण खरीदने में किया था। हालांकि, सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सोनिया सोटोमायर ने कहा कि 'मिश्रण का सिद्धांत' कानून की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करता है। न्यायालय ने मामले को कोलंबिया सर्किट के डिस्ट्रिक्ट के लिए वापस भेज दिया, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि मुकदमे में कितना बचा है।

गौरतलब है कि यह मामला पहले भी सर्वोच्च न्यायालय में जा चुका है। 2021 में, जर्मनी से जुड़े एक मामले में न्यायालय ने धार्मिक कलाकृतियों के संग्रह से जुड़े विवाद में जर्मनी का पक्ष लिया था। उस निर्णय ने नाज़ी युग के दौरान यहूदियों से संपत्ति छीने जाने के दावों पर यू.एस. न्यायालयों में मुकदमों की सुनवाई को कठिन बना दिया। उसी समय हंगरी के मामले को भी न्यायालय ने सुना था और जर्मनी से जुड़े फैसले के आधार पर इसे वापस वाशिंगटन में अपील न्यायालय को भेजा था।

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