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नेपाल में समूहों में बंटे जेन-जी: कुछ पर्दे के पीछे बदलाव के पक्षधर, कुछ राजनीति में खुलकर उतरने को तैयार

वर्ल्ड डेस्क, अमर उजाला, काठमांडो Published by: शुभम कुमार Updated Tue, 16 Sep 2025 06:31 AM IST
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सार

नेपाल में तीन नए मंत्रियों की शपथ के साथ ही जेन-जी ग्रुप चर्चा में हैं। आंदोलन की शुरुआत करने वाले ‘आर्गेनिक जेन-जी’ पर्दे के पीछे रहकर बदलाव की वकालत कर रहे हैं, जबकि कुछ ग्रुप राजनीति में उतरने की तैयारी में हैं। संविधान, मानवाधिकार और बच्चों पर हिंसा जैसे मुद्दों पर भी वे मुखर हो रहे हैं।

Zen-G divided into groups in Nepal Some are in favour of change behind the scenes News In Hindi
जेन-जी के भले ही कई समूह बन गए हों, काठमांडो में युवाओं में उत्साह का माहौल है। एजेंसी - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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नेपाल में अंतरिम सरकार के तीन मंत्रियों ने सोमवार को शपथ ले ली। वहीं दूसरी ओर जेन-जी ग्रुपों के बीच बैठकों के साथ ही ऑनलाइन चर्चाओं का दौर जारी है। इसी बीच कुछ जेन-जी ग्रुप से बात की गई तो बताया गया कि ये आर्गेनिक जेन-जी हैं। मतलब पूछने पर समझाया गया कि इन्होंने ही सबसे पहले इस आंदोलन की शुरुआत की थी और ये पर्दे के पीछे रहकर ही आगे भी काम करना चाहते हैं। काठमांडो में चर्चा है कि जेन-जी के 20 के आसपास ग्रुप बन गए हैं। कुछ राजनीति से जुड़ना चाहते हैं, पार्टी बनाना चाहते हैं तो वहीं आर्गेनिक जेन-जी इन सबसे अलग रह कर ही काम करने के हिमायती हैं।

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नेपाल की राजनीति में हर दिन कुछ नया घट रहा है। मंत्रिमंडल में तीन मंत्रियों की शपथ के साथ नए नामों के कयास भी लगने लगे हैं। चर्चा है कि जेन-जी के प्रतिनिधि भी इसमें शामिल हो सकते हैं। साथ ही शहर के प्रबुद्धजनों की अलग पार्टी बनाने की कवायद भी अंदर खाने चल रही है। इसमें भी कुछ जेन-जी ग्रुपों को जोड़ा जाना है। इसके अलग, आर्गेनिक यानी मूल जेन-जी संविधान  विशेषज्ञों की राय ले रहे हैं। साथ ही इन कारणों पर भी चर्चा हो रही है कि आंदोलन हिंसक कैसे हो गया? वह मानवाधिकार से जुड़े मुद्दों पर भी आगे बढ़ना चाहते हैं। इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि स्कूली बच्चों पर सीधे गोली क्यों चलाई गई?
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जिनका जेन-जी से लेना-देना नहीं, उन्होंने फाड़े पोस्टर
यूथ इन फेडरल डिसकोर्स नाम की संस्था चलाने वाले विख्यात खत्री महज 21 साल के हैं। अंतरराष्ट्रीय और संविधान से जुड़े मुद्दों पर गजब की पकड़ है। बताते हैं कि शुरुआती दौर में कुछ साथी ललितपुर स्थित पीमबहल में मिले थे। यहां के रेस्टोंरेंट और कॉफी हाउस में जेन-जी बड़ी संख्या में आते हैं। उनके अनुसार अगस्त के आखिरी सप्ताह में सात-आठ लोगों ने मिलकर यह तय किया था कि शांतिपूर्ण विरोध जताया जाएगा। इसके बाद की बैठकों में भी 10 से 12 लोग ही जुटे थे।

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विख्यात कहते हैं, मायतिघर में जुटने का जब आह्वान किया , तो उम्मीद थी कि कुछ सौ लोग जुटेंगे। आंदोलन में कुछ ऐसे लोग भी पहुंचे जिनका जेन-जी से कोई लेना-देना नहीं था। ऐसे लोगों ने ही सबसे पहले पोस्टर आदि फाड़ने का काम किया। पुलिस ने सीधी गोली चलाई, तो हालात और बिगड़ गए। विख्यात ने कहा कि उनके ग्रुप या फिर आर्गेनिक जेन-जी का राजनीति में हिस्सा लेने को इरादा नहीं है। उनकी टीम अब संविधान विशेषज्ञों की मदद ले रही है कि किस तरह से उनकी मांगों को आगे भी पूरा करने की दिशा में काम हो।

अनिश्चितता का दौर, युवाओं को जा रहे मंत्री बनने के फोन
मंत्रिमंडल का आगे भी विस्तार होना है। ऐेसे में अब जेन-जी ग्रुप से अलग भी प्रभावशाली युवाओं को कॉल करने उनके मंत्री बनने की इच्छा जानने के लिए फोन किए जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि गूगल फॉर्म में उनका नाम भी जुड़वा दिया जाएगा। समाजसेवी आनंद मिश्रा का कहना है कि इस दौर में सभी वर्गों को संभलकर आगे बढ़ना होगा। उन्होंने कहा कि इस तरह के कॉल आ रहे हैं लेकिन वे बात को गंभीरता से नहीं लेते हैं।

राजा की हो सक्रिय भूमिका
राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी की केंद्रीय कमेटी की सदस्य खुशबू ओली का कहना है कि जेन-जी ने देश को भ्रष्टाचार के खिलाफ जगाया है। सीधे चुनाव की प्रक्रिया जरूर अपनानी चाहिए। इसके साथ ही वह और उनकी पार्टी राजा के सक्रिय भूमिका में आने के भी समर्थन में हैं। उनका कहना है कि राजा ने भी ऐसे ही भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ बात की थी। दुनिया के देशों में इस तरह का लोकतंत्र है तो नेपाल में भी होना चाहिए।

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भ्रष्टाचार पर लगे रोक देश आगे बढ़ाने पर जोर
राष्ट्रीय मुक्ति पार्टी के अध्यक्ष राजेंद्र महतो ने भी एक विज्ञप्ति जारी करके कहा है कि अब आगे देखने का समय है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि इस आंदोलन के बाद भ्रष्टाचार पर पूरी तरह से रोक लगनी चाहिए और देश को आगे बढ़ाने दिशा में काम होना चाहिए।

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