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Pitru Puja 2025 Vastu Rules: पितरों की कृपा पाने के लिए जानें तस्वीर लगाने और पितृ पूजन के वास्तु नियम

धर्म डेस्क, अमर उजाला Published by: विनोद शुक्ला Updated Mon, 08 Sep 2025 01:40 PM IST
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सार

धार्मिक मान्यता है कि इस अवधि में पितृ धरती पर आते हैं और अपने वंशजों का आशीर्वाद देकर उन्हें कष्टों से मुक्त करते हैं। वास्तु के अनुसार, पितरों की तस्वीर कहीं भी नहीं लगानी चाहिए। देवी-देवताओं के साथ या उनके पूजा स्थल में इनकी तस्वीर रखना अशुभ माना गया है।

Pitru Puja 2025 Vastu Rules and Precautions for Ancestral Blessings in Hindi
पितृ पक्ष का क्या है हिंदू धर्म में महत्व - फोटो : freepik
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विस्तार
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पितृ पक्ष 7 सितंबर से शुरू हो चुका है जो 21 सितंबर को महालया अमावस्या पर समाप्त होगा। पितृ पक्ष में श्राद्ध और दान का विशेष महत्व है। शास्त्रों में वर्णन है कि दक्षिण दिशा में चंद्रमा के ऊपर की कक्षा में पितृलोक की स्थिति मानी गई है। यही कारण है कि वास्तु शास्त्र में दक्षिण दिशा को पितरों की दिशा कहा गया है। पितृपक्ष के दिनों में पितरों का आगमन इसी दिशा से होता है। इसलिए इस पावन काल में पितरों के निमित्त पूजा और तर्पण दक्षिण दिशा की ओर ध्यान देकर ही किया जाता है। 
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पितृपक्ष को कृतज्ञता और स्मरण का पर्व कहा जाता है, जब संतान अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट करती है। यह काल आत्मिक शुद्धि और पारिवारिक एकता को सुदृढ़ करने का अवसर भी प्रदान करता है। श्राद्ध और तर्पण के माध्यम से न केवल पितरों को तृप्त किया जाता है बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए सुख-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है। धार्मिक मान्यता है कि इस अवधि में पितृ धरती पर आते हैं और अपने वंशजों का आशीर्वाद देकर उन्हें कष्टों से मुक्त करते हैं।
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श्राद्ध-तर्पण का उचित समय और नियम
जब घर में श्राद्ध तिथि आती है, तो उस दिन सूर्योदय से लेकर 12 बजकर 24 मिनट के मध्य ही श्राद्ध, तर्पण और अन्य कर्म किए जाने चाहिए। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। श्राद्ध भोज करवाते समय भी विशेष ध्यान रखना चाहिए कि ब्राह्मण को दक्षिण दिशा की ओर मुख करके बैठाया जाए।

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पितरों की तस्वीर लगाने के स्थान
वास्तु के अनुसार, पितरों की तस्वीर कहीं भी नहीं लगानी चाहिए। देवी-देवताओं के साथ या उनके पूजा स्थल में इनकी तस्वीर रखना अशुभ माना गया है। पितरों की पूजा और स्मरण के लिए दक्षिण, दक्षिण-पश्चिम और पश्चिम दिशा उपयुक्त मानी जाती है। जबकि पूर्व, उत्तर और ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) में इन्हें नहीं रखना चाहिए।

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घर में किन स्थानों से करें परहेज
पूजाघर, पूजाघर की दीवार, बेडरूम, सीढ़ियों के पास, रसोईघर और घर के ब्रह्मस्थान (बीच का भाग) में पितरों की तस्वीर नहीं लगानी चाहिए। इन स्थानों पर लगाने से परिवार में अशांति, कलह और मान-सम्मान की हानि हो सकती है। तस्वीर लगाने का सही स्थान घर का हॉल या मुख्य बैठक कक्ष होता है, जहां इन्हें दक्षिण-पश्चिम या पश्चिम की दीवार पर लगाया जा सकता है।

तस्वीर लगाने के नियम और सावधानियां
पितरों की तस्वीर जीवित व्यक्तियों की तस्वीर के साथ कभी नहीं लगानी चाहिए, क्योंकि इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और जीवित व्यक्ति की आयु तथा उत्साह पर असर होता है। तस्वीर के नीचे लकड़ी या किसी ठोस आधार का सहारा होना चाहिए, ताकि वह झूलती हुई न दिखे। साथ ही तस्वीर पर जाले या धूल-मिट्टी नहीं जमी होनी चाहिए। तस्वीर को ऐसे स्थान पर न लगाएं जहां बार-बार नजर पड़े, क्योंकि इससे मन में निराशा का भाव उत्पन्न हो सकता है। 

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