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Chinese Cars: चीन में बनी, लेकिन घरेलू बाजार में नहीं बिकी! दुनियाभर में बिना बिकी पेट्रोल कारों की बाढ़ क्यों

ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अमर शर्मा Updated Wed, 03 Dec 2025 01:46 PM IST
सार

बड़ा सवाल यह है कि बाकी देश और कार निर्माता इस चुनौती का कैसे सामना करेंगे। कहीं ऐसा न हो कि चीन का यह पेट्रोल-सुनामी वैश्विक ऑटो मार्केट को हमेशा के लिए बदल दे।

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China Exporting Pollution? Beijing's Overflow of Unsold Petrol Cars Is Reshaping Global Auto Markets
Dongfeng Motor Cars - फोटो : Dongfeng Motor
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विस्तार
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चीन के ऑटोमोबाइल सेक्टर में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की तेज बढ़त ने देश के अंदर पेट्रोल कारों की मांग को काफी कम कर दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन में अब लगभग आधी नई कारें इलेक्ट्रिक हैं, जिससे पारंपरिक पेट्रोल मॉडलों की बिक्री बड़े पैमाने पर ठप पड़ी है। कई बड़े कारखाने, जो पेट्रोल वाहनों के लिए बनाए गए थे, अब अतिरिक्त स्टॉक से भर गए हैं। घरेलू ग्राहक बदल चुके हैं, सरकार की नीतियां बदल चुकी हैं। और इसका नतीजा है लाखों पेट्रोल कारें जिनके लिए चीन में खरीदार नहीं बचे।
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ऐसे में चीन ने उत्पादन कम करने के बजाय इन कारों को वैश्विक बाजारों में भेजने का रास्ता चुना। कई विश्लेषकों का कहना है कि यह चीन का "वैश्विक स्तर पर प्रदूषण निर्यात" करने जैसा मॉडल बन गया है।
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निर्यात में भारी उछाल
कोविड-19 से पहले चीन हर साल करीब 10 लाख वाहन एक्सपोर्ट (निर्यात) करता था। लेकिन अब यह संख्या बढ़कर करीब 65 लाख तक पहुंच गई है। इनमें से लगभग 76 प्रतिशत पेट्रोल कारें हैं, इलेक्ट्रिक नहीं। इसी तेजी की वजह से 2023 में चीन दुनिया का सबसे बड़ा कार निर्यातक बन गया।

चीन के लिए पुराने पेट्रोल कार कारखानों को बंद करना आर्थिक रूप से कठिन है। इसलिए कंपनियां बड़े पैमाने पर इन वाहनों को विदेश भेज रही हैं।

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SAIC - फोटो : SAIC
सरकार-समर्थित कंपनियों की आक्रामक रणनीति
SAIC (एसएआईसी), BAIC (बीएआईसी), Dongfeng (डॉन्गफेंग) और Changan (चांगन) जैसे सरकारी समर्थन वाली कंपनियां इस ट्रेंड की सबसे बड़ी लाभार्थी बन गई हैं। घरेलू ईवी प्रतियोगिता के कारण उनकी जॉइंट-वेंचर कारों की बिक्री गिर रही है। ऐसे में, उत्पादन जारी रखने का सबसे आसान तरीका है, पेट्रोल कारों को दुनिया भर के बाजारों में बेचना।

इन कंपनियों के लिए निर्यात अब अस्तित्व का सवाल बन चुका है।

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उभरते देशों में क्यों बढ़ रही है मांग
चीन की पेट्रोल कारों का रुख पश्चिमी यूरोप या अमेरिका की ओर नहीं है। ये वाहन खाततौर पर उभरते और दूसरे स्तर के बाजारों में पहुंच रहे हैं। जैसे उरुग्वे, मैक्सिको, लैटिन अमेरिका, अफ्रीका और पूर्वी यूरोप के कई देश।

इन क्षेत्रों में ईवी चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर कमजोर है, और इलेक्ट्रिक गाड़ियां महंगी व कम प्रैक्टिकल मानी जाती हैं। ऐसे में सस्ती, फीचर-लोडेड चीनी पेट्रोल कारें खरीदारों को आसानी से आकर्षित कर रही हैं। बड़े केबिन, मॉडर्न डिजाइन और कम कीमत, यह स्थानीय ग्राहकों के लिए यह परफेक्ट कॉम्बिनेशन बन गया है।

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Chery Arrizo 8 - फोटो : Chery
वैश्विक ऑटो उद्योग पर असर
कम अवधि में इन देशों के ग्राहकों को अच्छा-खासा फायदा मिल रहा है। उन्हें कम दामों में अच्छे फीचर्स वाली कारें मिलती हैं। लेकिन पारंपरिक अंतरराष्ट्रीय कंपनियों और स्थानीय निर्माताओं पर बड़ा दबाव बन रहा है।

चीन की सरप्लस क्षमता और सरकारी सहयोग ने पेट्रोल कारों को इतना सस्ता बना दिया है कि कई विदेशी व स्थानीय ब्रांडों की कमाई पर सीधा असर पड़ रहा है।

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लंबे समय में इसका अर्थ है दो-स्तरीय संक्रमण है-
  • एक तरफ चीन तेजी से इलेक्ट्रिक भविष्य की ओर बढ़ रहा है,
  • दूसरी ओर चीन की वही पुरानी पेट्रोल कारें दुनिया के अन्य हिस्सों में सड़कें भर रही हैं।
अब बड़ा सवाल यह है कि बाकी देश और कार निर्माता इस चुनौती का कैसे सामना करेंगे। कहीं ऐसा न हो कि बिना बिकी चीनी कारों की बाढ़ वैश्विक ऑटो मार्केट को हमेशा के लिए बदल दे।

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