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Euro NCAP: यूरो एनसीएपी बदलेगा कार सुरक्षा के नियम, टचस्क्रीन वाली गाड़ियों की रेटिंग में होगी कटौती
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Wed, 22 Oct 2025 02:07 PM IST
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सार
2026 से यूरोपियन न्यू कार असेस्मेंट प्रोग्राम (Euro NCAP) (यूरो एनसीएपी) के नए नियम लागू होंगे। ऐसे में आने वाले समय में जो कारें टेक्नोलॉजी से भरी होंगी, उन्हें अब सिर्फ दिखावे से नहीं, बल्कि असली सेफ्टी से अपनी रेटिंग साबित करनी होगी।

Car Crash Test
- फोटो : NCAP
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विस्तार
कार सेफ्टी को लेकर यूरोप में बड़ा बदलाव आने वाला है। 2026 से यूरोपियन न्यू कार असेस्मेंट प्रोग्राम (Euro NCAP) (यूरो एनसीएपी) के नए नियम लागू होंगे, जो वाहन निर्माताओं के डिजाइन और टेक्नोलॉजी को पूरी तरह बदल सकते हैं। अब तक किसी कार को 5-स्टार रेटिंग मिलना उसकी सेफ्टी का प्रमाण माना जाता था। लेकिन नए नियम सिर्फ क्रैश के बाद की सुरक्षा पर नहीं, बल्कि क्रैश होने से पहले उसे रोकने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
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ड्राइवर की सुरक्षा पर रहेगा सबसे ज्यादा फोकस
नए नियमों के तहत अब कार के अंदर ड्राइवर का ध्यान सड़क से न हटे, इस पर ज्यादा जोर दिया जाएगा। आजकल ज्यादातर नई कारों में जरूरी कंट्रोल और इंफॉर्मेशन टचस्क्रीन पर दिया जाने लगा है। जिससे ड्राइवर के ध्यान भटकने का खतरा बढ़ गया है। यूरो एनसीएपी का कहना है कि अगर ड्राइवर सिर्फ दो सेकंड के लिए भी सड़क से नजर हटाता है, तो बड़ा हादसा हो सकता है। इसलिए जिन कारों में जरूरी बटन और कंट्रोल फिजिकल फॉर्म में मौजूद नहीं होंगे, उन्हें अब रेटिंग में पेनल्टी मिलेगी।
कंपनियों के लिए यह बड़ा चैलेंज होगा, क्योंकि आजकल "क्लीन और मिनिमल" इंटीरियर डिजाइन फैशन में है। लेकिन अगर जरूरी फीचर्स सिर्फ स्क्रीन के अंदर छिपे हैं, तो वह अब सेफ्टी स्कोर को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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नए नियमों के तहत अब कार के अंदर ड्राइवर का ध्यान सड़क से न हटे, इस पर ज्यादा जोर दिया जाएगा। आजकल ज्यादातर नई कारों में जरूरी कंट्रोल और इंफॉर्मेशन टचस्क्रीन पर दिया जाने लगा है। जिससे ड्राइवर के ध्यान भटकने का खतरा बढ़ गया है। यूरो एनसीएपी का कहना है कि अगर ड्राइवर सिर्फ दो सेकंड के लिए भी सड़क से नजर हटाता है, तो बड़ा हादसा हो सकता है। इसलिए जिन कारों में जरूरी बटन और कंट्रोल फिजिकल फॉर्म में मौजूद नहीं होंगे, उन्हें अब रेटिंग में पेनल्टी मिलेगी।
कंपनियों के लिए यह बड़ा चैलेंज होगा, क्योंकि आजकल "क्लीन और मिनिमल" इंटीरियर डिजाइन फैशन में है। लेकिन अगर जरूरी फीचर्स सिर्फ स्क्रीन के अंदर छिपे हैं, तो वह अब सेफ्टी स्कोर को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
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अब ड्राइवर मॉनिटरिंग सिस्टम होंगे और भी सख्त
यूरो एनसीएपी अब ड्राइवर मॉनिटरिंग सिस्टम पर भी और कड़े नियम लागू करेगा। नई गाड़ियों में अब यह जांचना जरूरी होगा कि ड्राइवर की आंखें कहां देख रही हैं, सिर की दिशा क्या है, और कहीं वह थका हुआ, नशे में या ध्यान भटका हुआ तो नहीं।
साथ ही, केबिन में बच्चों का पता लगाने वाली तकनीक, सीट बेल्ट अलार्म और एडवांस एयरबैग सिस्टम्स की भी सख्त जांच होगी। अगर इनमें से कोई फीचर ठीक से काम नहीं करता, तो कार की रेटिंग पर सीधा असर पड़ेगा।
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यूरो एनसीएपी अब ड्राइवर मॉनिटरिंग सिस्टम पर भी और कड़े नियम लागू करेगा। नई गाड़ियों में अब यह जांचना जरूरी होगा कि ड्राइवर की आंखें कहां देख रही हैं, सिर की दिशा क्या है, और कहीं वह थका हुआ, नशे में या ध्यान भटका हुआ तो नहीं।
साथ ही, केबिन में बच्चों का पता लगाने वाली तकनीक, सीट बेल्ट अलार्म और एडवांस एयरबैग सिस्टम्स की भी सख्त जांच होगी। अगर इनमें से कोई फीचर ठीक से काम नहीं करता, तो कार की रेटिंग पर सीधा असर पड़ेगा।
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कंपनियों और खरीदारों पर असर
कार कंपनियों के लिए यह बदलाव सिर्फ टेक्निकल नहीं बल्कि डिजाइन से जुड़ी चुनौती है। अगर कोई कार हाई-टेक दिखती है लेकिन उसमें टचस्क्रीन ज्यादा और फिजिकल कंट्रोल कम हैं, तो उसे अब 5-स्टार सेफ्टी रेटिंग नहीं मिलेगी। इससे बिक्री पर असर पड़ सकता है।
वहीं खरीदारों के लिए यह बदलाव फायदेमंद साबित होगा। अब सेफ्टी टेस्ट में यह भी देखा जाएगा कि कार हादसा रोकने में कितनी सक्षम है, यात्रियों को कितनी सुरक्षा देती है, और एक्सीडेंट के बाद रेस्क्यू टीमें कितनी जल्दी मदद पहुंचा सकती हैं।
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कार कंपनियों के लिए यह बदलाव सिर्फ टेक्निकल नहीं बल्कि डिजाइन से जुड़ी चुनौती है। अगर कोई कार हाई-टेक दिखती है लेकिन उसमें टचस्क्रीन ज्यादा और फिजिकल कंट्रोल कम हैं, तो उसे अब 5-स्टार सेफ्टी रेटिंग नहीं मिलेगी। इससे बिक्री पर असर पड़ सकता है।
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2026 के बाद सेफ्टी टेस्ट होंगे और ज्यादा हकीकत के करीब
यूरो एनसीएपी का यह कदम दिखाता है कि सेफ्टी का मतलब सिर्फ एयरबैग या क्रैश रेजिस्टेंस नहीं है। अब कारों को "स्मार्ट और सेंसिटिव" बनना होगा, ऐसी जो न सिर्फ हादसे के बाद बल्कि उससे पहले भी ड्राइवर की मदद करे।
आने वाले समय में जो कारें टेक्नोलॉजी से भरी होंगी, उन्हें अब सिर्फ दिखावे से नहीं, बल्कि असली सेफ्टी से अपनी रेटिंग साबित करनी होगी।
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आने वाले समय में जो कारें टेक्नोलॉजी से भरी होंगी, उन्हें अब सिर्फ दिखावे से नहीं, बल्कि असली सेफ्टी से अपनी रेटिंग साबित करनी होगी।
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