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Auto Industry: भारतीय ऑटो उद्योग की दुनिया में धमक, रिकॉर्ड डील के साथ ऑटो सेक्टर का शानदार तिमाही प्रदर्शन
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Wed, 22 Oct 2025 06:08 PM IST
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सार
साल 2025 की तीसरी तिमाही भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए सिर्फ बिक्री के आंकड़ों की नहीं, बल्कि बड़े दांव की तिमाही साबित हुई। Q3 2025 के दौरान इंडस्ट्री ने कुल 30 सौदों में करीब 38,000 करोड़ रुपये का कारोबार किया, जो पिछले एक साल में सबसे ज्यादा है।

Automobile Industry
- फोटो : PTI
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विस्तार
साल 2025 की तीसरी तिमाही भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर के लिए सिर्फ बिक्री के आंकड़ों की नहीं, बल्कि बड़े दांव की तिमाही साबित हुई। ग्रैंट थॉर्टन भारत Q3 2025 ऑटोमोटिव डीटट्रैकर की रिपोर्ट के मुताबिक, इस दौरान इंडस्ट्री ने कुल 30 सौदों में 4.6 अरब डॉलर (करीब 38,000 करोड़ रुपये) का कारोबार किया, जो पिछले एक साल में सबसे ज्यादा है। लेकिन इन आंकड़ों के पीछे छिपी कहानी और भी दिलचस्प है एक ऐसी इंडस्ट्री की, जो अब सिर्फ घरेलू बाजार की नहीं, बल्कि ग्लोबल मोबिलिटी इनोवेशन की दिशा में बढ़ रही है।
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टाटा मोटर्स ने की सबसे बड़ी डील
अगर इस तिमाही का असली हीरो किसी डील को कहा जाए, तो वह है टाटा मोटर्स द्वारा इटली की Iveco S.P.A. (इवेको एसपीए) का 3.8 अरब डॉलर में अधिग्रहण। यह भारत की अब तक की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय ऑटो डील है, जिसने कुल M&A (मर्जर और अधिग्रहण) वैल्यू का करीब 95 प्रतिशत हिस्सा अकेले अपने नाम किया।
अगर इस डील को अलग कर दिया जाए, तो बाकी डील्स की वैल्यू वास्तव में 36 प्रतिशत कम होती। यानी यह तिमाही सिर्फ एक बड़ी डील की वजह से ऐतिहासिक बन गई। फिर भी, यह इस बात का संकेत है कि भारतीय कंपनियां अब नई टेक्नोलॉजी, ग्लोबल पार्टनरशिप और लॉन्ग-टर्म इनोवेशन पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं।
यह भी पढ़ें - Euro NCAP: यूरो एनसीएपी बदलेगा कार सुरक्षा के नियम, टचस्क्रीन वाली गाड़ियों की रेटिंग में होगी कटौती, जानें वजह
अगर इस तिमाही का असली हीरो किसी डील को कहा जाए, तो वह है टाटा मोटर्स द्वारा इटली की Iveco S.P.A. (इवेको एसपीए) का 3.8 अरब डॉलर में अधिग्रहण। यह भारत की अब तक की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय ऑटो डील है, जिसने कुल M&A (मर्जर और अधिग्रहण) वैल्यू का करीब 95 प्रतिशत हिस्सा अकेले अपने नाम किया।
अगर इस डील को अलग कर दिया जाए, तो बाकी डील्स की वैल्यू वास्तव में 36 प्रतिशत कम होती। यानी यह तिमाही सिर्फ एक बड़ी डील की वजह से ऐतिहासिक बन गई। फिर भी, यह इस बात का संकेत है कि भारतीय कंपनियां अब नई टेक्नोलॉजी, ग्लोबल पार्टनरशिप और लॉन्ग-टर्म इनोवेशन पर ज्यादा ध्यान दे रही हैं।
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ग्लोबल स्तर पर भारत की बढ़ती मौजूदगी
तीसरी तिमाही में भारत की ऑटो कंपनियों ने विदेशी बाजारों में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराई। संवर्धन मदरसन इंटरनेशनल ने एशिया और यूरोप में तीन बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण किया, जिससे वह अब केवल सप्लायर नहीं बल्कि ग्लोबल सॉल्यूशन प्रोवाइडर के रूप में उभर रही है।
टाटा मोटर्स का Iveco सौदा भी इसी दिशा में बड़ा कदम है। जो कंपनी कभी सिर्फ घरेलू ट्रक और कमर्शियल व्हीकल के लिए जानी जाती थी, अब वह ग्लोबल लेवल पर क्लीन और स्मार्ट मोबिलिटी सॉल्यूशन्स देने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
यह भी पढ़ें - Car Features: क्या ADAS सच में भारत की अनिश्चित सड़कों पर काम करता है? जानें वास्तविकता
तीसरी तिमाही में भारत की ऑटो कंपनियों ने विदेशी बाजारों में अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराई। संवर्धन मदरसन इंटरनेशनल ने एशिया और यूरोप में तीन बड़ी कंपनियों का अधिग्रहण किया, जिससे वह अब केवल सप्लायर नहीं बल्कि ग्लोबल सॉल्यूशन प्रोवाइडर के रूप में उभर रही है।
टाटा मोटर्स का Iveco सौदा भी इसी दिशा में बड़ा कदम है। जो कंपनी कभी सिर्फ घरेलू ट्रक और कमर्शियल व्हीकल के लिए जानी जाती थी, अब वह ग्लोबल लेवल पर क्लीन और स्मार्ट मोबिलिटी सॉल्यूशन्स देने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
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ईवी और स्टार्टअप्स में निवेशकों का भरोसा बरकरार
बड़ी डील के अलावा, प्राइवेट इक्विटी (PE) निवेशकों ने भारत के इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) और मोबिलिटी स्टार्टअप सेक्टर में भी भरोसा दिखाया। इस तिमाही में 23 प्राइवेट इक्विटी डील्स हुईं, जिनकी कुल वैल्यू 531 मिलियन डॉलर रही। इनमें सबसे बड़ी डील थी प्रोसस और वेस्टब्रिज कैपिटल द्वारा रैपिडो में 271 मिलियन डॉलर का निवेश- जो भारत के तेजी से बढ़ते मोबिलिटी-एज-ए-सर्विस (MaaS) सेक्टर पर भरोसे का सबूत है।
इसी के साथ IFC ने जेबीएस इकोलाइफ और ग्रीनसेल मोबिलिटी में 137 मिलियन डॉलर का निवेश किया, जिससे भारत के 39 शहरों में 4,000 इलेक्ट्रिक बसें जोड़ी जाएंगी। यह शहरी इलेक्ट्रिफिकेशन मिशन में अहम योगदान है।
छोटे लेकिन अहम निवेश भी हुए, जैसे टीडीके वेंचर्स का अल्ट्रावायलट ऑटोमोटिव में 21 मिलियन डॉलर का निवेश, और इंडीग्रिड टेक्नोलॉजी व पीकएम्प जैसे स्टार्टअप्स में सीड फंडिंग। यह दर्शाता है कि निवेशक भारत की ईवी टेक्नोलॉजी को लेकर आश्वस्त हैं।
यह भी पढ़ें - Auto Exports: भारत के ऑटो निर्यात ने तोड़ा रिकॉर्ड, FY26 की पहली छमाही में 31.4 लाख यूनिट्स की बिक्री, 24% की जबरदस्त बढ़त
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इसी के साथ IFC ने जेबीएस इकोलाइफ और ग्रीनसेल मोबिलिटी में 137 मिलियन डॉलर का निवेश किया, जिससे भारत के 39 शहरों में 4,000 इलेक्ट्रिक बसें जोड़ी जाएंगी। यह शहरी इलेक्ट्रिफिकेशन मिशन में अहम योगदान है।
छोटे लेकिन अहम निवेश भी हुए, जैसे टीडीके वेंचर्स का अल्ट्रावायलट ऑटोमोटिव में 21 मिलियन डॉलर का निवेश, और इंडीग्रिड टेक्नोलॉजी व पीकएम्प जैसे स्टार्टअप्स में सीड फंडिंग। यह दर्शाता है कि निवेशक भारत की ईवी टेक्नोलॉजी को लेकर आश्वस्त हैं।
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"स्ट्रैटेजिक रीसेट" की ओर बढ़ता ऑटो सेक्टर
ग्रैंट थॉर्टन भारत के पार्टनर और ऑटो इंडस्ट्री एक्सपर्ट साकेत मेहरा के मुताबिक, यह समय भारत के ऑटो सेक्टर के लिए एक "स्ट्रैटेजिक रीसेट" का दौर है। नई जीएसटी 2.0 पॉलिसी, टैरिफ रिफॉर्म्स, और ग्रीन टेक्नोलॉजी पर फोकस के चलते कंपनियां अब दोहरी चुनौती का सामना कर रही हैं। एक तरफ शॉर्ट-टर्म बदलावों से निपटना, और दूसरी ओर लंबे समय के लिए टिकाऊ, टेक्नोलॉजी-ड्रिवन भविष्य तैयार करना।
दिलचस्प बात यह रही कि इस तिमाही में कोई बड़ा आईपीओ नहीं आया। लेकिन सभी की निगाहें अब 2026 में संभावित टोयोटा आईपीओ पर टिकी हैं, जो भारतीय मोबिलिटी सेक्टर में नई ऊर्जा ला सकता है।
यह भी पढ़ें - Adventure Bikes: अब एडवेंचर राइड का मजा लेना आसान, ₹2.5 लाख के अंदर मिलने वाली टॉप 5 एडवेंचर मोटरसाइकिलें
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नया भारत, नई ऑटो कहानी
तीसरी तिमाही के ये आंकड़े सिर्फ डील्स या निवेश की कहानी नहीं हैं, बल्कि यह दिखाते हैं कि भारत का ऑटो सेक्टर अब घरेलू बिक्री तक सीमित नहीं रहा। अब भारत इनोवेशन, टेक्नोलॉजी और ग्रीन मोबिलिटी के जरिए दुनिया के ऑटोमोबाइल बाजार को दिशा दे रहा है। भविष्य की राह साफ है, भारत अब सिर्फ गाड़ियां नहीं बनाएगा, बल्कि ग्लोबल मोबिलिटी ट्रेंड्स तय करेगा।
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