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Hit and Run: ट्रक चालक ऐसे दे सकेंगे दुर्घटनाओं की जानकारी, सड़क मंत्रालय ने एक तकनीकी प्रणाली का रखा प्रस्ताव
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Fri, 05 Jan 2024 09:13 PM IST
सार
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि उसने सुझाव दिया है कि ट्रक चालकों को एक तकनीकी प्रणाली का इस्तेमाल करने की अनुमति दी जा सकती है। जिसके तहत वे अधिकारियों को दुर्घटना के बारे में सूचित कर सकते हैं ताकि ऐसे हादसे को नए कानून के तहत हिट-एंड-रन मामला न माना जाए।
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Truck Drivers Protest
- फोटो : PTI
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विस्तार
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि उसने सुझाव दिया है कि ट्रक चालकों को एक तकनीकी प्रणाली का इस्तेमाल करने की अनुमति दी जा सकती है। जिसके तहत वे अधिकारियों को दुर्घटना के बारे में सूचित कर सकते हैं ताकि ऐसे हादसे को नए कानून के तहत हिट-एंड-रन मामला न माना जाए।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने कहा, ''यह मामला गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है और वही आखिरी फैसला लेगा।''
उनका बयान ऐसे समय में आया है जब कुछ ट्रक चालकों ने भारतीय न्याय संहिता के तहत हिट-एंड-रन मामलों के लिए कड़े प्रावधानों के विरोध में हड़ताल की थी, जो अभी तक लागू नहीं हुआ है। इस हफ्ते की शुरुआत में, सरकार के साथ बातचीत के बाद हड़ताली ट्रक चालकों ने काम फिर से शुरू कर दिया था।
जैन के मुताबिक, ट्रक चालकों को लगता है कि अगर वे किसी व्यक्ति को टक्कर मारने के बाद उसकी मदद करने के लिए रुकते हैं, तो उन्हें जनता द्वारा नुकसान पहुंचाया जाएगा।
उन्होंने कहा, "तो, हम समाधान खोजने के लिए तकनीक का बुद्धिमानी से इस्तेमाल कर सकते हैं... हमने सुझाव दिया है कि चालक एक तकनीकी प्रणाली का उपयोग करके अधिकारियों को सूचित करे, और फिर इसे हिट-एंड-रन मामला नहीं माना जाएगा।
उन्होंने आगे कहा, "इसके बाद, चालक दुर्घटना स्थल से 25-50 किलोमीटर के दायरे में पुलिस को सूचित कर सकता है।"
ट्रक चालकों के विरोध के बीच, अखिल भारतीय मोटर परिवहन कांग्रेस (एआईएमटीसी) के प्रतिनिधियों ने गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक की।
2 जनवरी को, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि हिट-एंड-रन मामलों से संबंधित नए दंडात्मक प्रावधान को लागू करने का निर्णय, जिसने ट्रक चालकों के विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया है, सिर्फ एआईएमटीसी प्रतिनिधियों के परामर्श के बाद ही लिया जाएगा।
कुछ ट्रक, बस और टैंकर ऑपरेटरों ने "कठोर दंड" के प्रावधानों के विरोध में कई राज्यों में तीन दिवसीय हड़ताल की थी।
भारतीय दंड संहिता की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता के तहत, जो ड्राइवर लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण गंभीर सड़क दुर्घटनाओं में शामिल होने के बाद अधिकारियों को सूचित किए बिना भाग जाएंगे, उन्हें 10 साल तक की कैद या 7 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता (IPC) में ऐसे मामलों के लिए दो साल की सजा का प्रावधान था।
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सड़क परिवहन एवं राजमार्ग सचिव अनुराग जैन ने कहा, ''यह मामला गृह मंत्रालय के अंतर्गत आता है और वही आखिरी फैसला लेगा।''
उनका बयान ऐसे समय में आया है जब कुछ ट्रक चालकों ने भारतीय न्याय संहिता के तहत हिट-एंड-रन मामलों के लिए कड़े प्रावधानों के विरोध में हड़ताल की थी, जो अभी तक लागू नहीं हुआ है। इस हफ्ते की शुरुआत में, सरकार के साथ बातचीत के बाद हड़ताली ट्रक चालकों ने काम फिर से शुरू कर दिया था।
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जैन के मुताबिक, ट्रक चालकों को लगता है कि अगर वे किसी व्यक्ति को टक्कर मारने के बाद उसकी मदद करने के लिए रुकते हैं, तो उन्हें जनता द्वारा नुकसान पहुंचाया जाएगा।
उन्होंने कहा, "तो, हम समाधान खोजने के लिए तकनीक का बुद्धिमानी से इस्तेमाल कर सकते हैं... हमने सुझाव दिया है कि चालक एक तकनीकी प्रणाली का उपयोग करके अधिकारियों को सूचित करे, और फिर इसे हिट-एंड-रन मामला नहीं माना जाएगा।
उन्होंने आगे कहा, "इसके बाद, चालक दुर्घटना स्थल से 25-50 किलोमीटर के दायरे में पुलिस को सूचित कर सकता है।"
ट्रक चालकों के विरोध के बीच, अखिल भारतीय मोटर परिवहन कांग्रेस (एआईएमटीसी) के प्रतिनिधियों ने गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक बैठक की।
2 जनवरी को, केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा कि हिट-एंड-रन मामलों से संबंधित नए दंडात्मक प्रावधान को लागू करने का निर्णय, जिसने ट्रक चालकों के विरोध प्रदर्शन को जन्म दिया है, सिर्फ एआईएमटीसी प्रतिनिधियों के परामर्श के बाद ही लिया जाएगा।
कुछ ट्रक, बस और टैंकर ऑपरेटरों ने "कठोर दंड" के प्रावधानों के विरोध में कई राज्यों में तीन दिवसीय हड़ताल की थी।
भारतीय दंड संहिता की जगह लेने वाली भारतीय न्याय संहिता के तहत, जो ड्राइवर लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण गंभीर सड़क दुर्घटनाओं में शामिल होने के बाद अधिकारियों को सूचित किए बिना भाग जाएंगे, उन्हें 10 साल तक की कैद या 7 लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
ब्रिटिश काल के भारतीय दंड संहिता (IPC) में ऐसे मामलों के लिए दो साल की सजा का प्रावधान था।