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EV Tax: टेस्ला को 30 लाख रुपये, सरकार को 30 लाख रुपये! भारत के ईवी टैक्स जाल की सच्चाई

ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: अमर शर्मा Updated Wed, 05 Nov 2025 05:48 PM IST
सार

क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में टेस्ला की कीमत अमेरिका से लगभग दोगुनी क्यों है। वित्तीय मामलों के एक जानकार ने इसका साफ जवाब दिया है। असली वजह टेक्नोलॉजी या प्रोडक्शन नहीं, बल्कि टैक्स है।

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Tesla’s Rs 30 Lakh vs Govt’s Rs 30 Lakh: Expert Explains Why EVs Cost Double in India
Tesla Model Y Performance - फोटो : Tesla
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विस्तार
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क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में टेस्ला की कीमत अमेरिका से लगभग दोगुनी क्यों है। वित्तीय मामलों के एक जानकार ने इसका साफ जवाब दिया है। असली वजह टेक्नोलॉजी या प्रोडक्शन नहीं, बल्कि टैक्स है। इस बढ़ी हुई कीमत का लगभग आधा हिस्सा सीधे टैक्स में जाता है, टेस्ला को नहीं।
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मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, फाइनेंशियल एडवाइजर एस.वी. वरुण ने अपने सोशल मीडिया लिंक्डइन पोस्ट में बताया कि भारत की टैक्स पॉलिसी ही वह वजह है, जिसकी वजह से टेस्ला जैसी कंपनियां यहां कदम रखने से हिचक रही हैं। उन्होंने कहा कि यहां की टैक्स स्ट्रक्चर इतनी जटिल और भारी है कि किसी भी ग्लोबल इलेक्ट्रिक कार की कीमत लगभग दोगुनी हो जाती है।
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कैसे टैक्स बढ़ा देता है कीमत दोगुनी
वरुण ने उदाहरण के तौर पर टेस्ला मॉडल Y का जिक्र किया, जिसकी अमेरिका में कीमत करीब 30 लाख रुपये है। वही कार भारत में 61 लाख रुपये से ज्यादा की पड़ती है। और इसमें से आधे से ज्यादा पैसे टैक्स के रूप में सरकार को जाते हैं।

यहां देखें पूरा हिसाब:
इंपोर्ट ड्यूटी (70%) - करीब 19 लाख रुपये
जीएसटी (28%) और सेस - लगभग 10 लाख रुपये
रोड टैक्स और इंश्योरेंस - कुल कीमत को और बढ़ा देते हैं

वरुण के शब्दों में, "टेस्ला को मिलते हैं 30 लाख, लेकिन सरकार वसूल लेती है 30 लाख से ज्यादा।"

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नीति पर सवाल
अब बड़ा सवाल यह है कि क्या इतने ऊंचे टैक्स वाकई घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दे रहे हैं या फिर साफ ऊर्जा (क्लीन एनर्जी) अपनाने में रुकावट बन रहे हैं?

टेस्ला कई बार भारत में एंट्री की इच्छा जताई है, लेकिन इंपोर्ट ड्यूटी की वजह से वह पीछे हटती रही है। कंपनी का कहना है कि वह भारत में मैन्युफैक्चरिंग तभी करेगी जब पहले इंपोर्ट के जरिए मार्केट की डिमांड समझ सके। लेकिन मौजूदा टैक्स सिस्टम में यह लगभग नामुमकिन है।

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'मेक इन इंडिया' बनाम 'क्लीन मोबिलिटी'
वरुण का कहना है कि 'मेक इन इंडिया' का मकसद तो सही है। लेकिन मौजूदा टैक्स स्ट्रक्चर ने इलेक्ट्रिक कारों को आम आदमी की पहुंच से बाहर कर दिया है। उनकी राय में अगर सरकार टैक्स को थोड़ा आसान करे, तो न सिर्फ टेस्ला जैसी कंपनियां आएंगी बल्कि भारत में क्लीन मोबिलिटी को भी बड़ा बढ़ावा मिलेगा। 

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