क्या हैं बिहार के समीकरण: नीतीश की नाराजगी से भाजपा को कितना होगा नुकसान? आंकड़ों में समझें पूरा खेल
बिहार की सियासी बयार बदल चुकी है। जदयू-भाजपा गठबंधन टूट चुका है। हालांकि, इसका औपचारिक एलान होना बाकी है। आज शाम चार बजे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्यपाल से मिल सकते हैं। आइए जानते हैं, भाजपा से क्यों नाराज हैं नीतीश? राजद और कांग्रेस के साथ कैसे बन रहे हैं समीकरण? और भाजपा को कितना होगा नुकसान...?

विस्तार
बिहार की सियासी बयार बदल चुकी है। जदयू-भाजपा गठबंधन टूट चुका है। हालांकि, इसका औपचारिक एलान होना बाकी है। आज शाम चार बजे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्यपाल से मिल सकते हैं। माना जा रहा है, इसी समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के साथ गठबंधन तोड़ने का एलान कर सकते हैं। उधर, राजद, कांग्रेस और जीतन राम मांझी की पार्टी 'हम' जदयू को समर्थन दे सकते हैं। इस सबके बीच बिहार में नई सरकार के गठन की अटकलें तेज हो गई हैं। वहीं भाजपा वेट एंड वाच की स्थिति में बनी हुई है।

आइए जानते हैं, भाजपा से क्यों नाराज हैं नीतीश? राजद और कांग्रेस के साथ कैसे बन रहे हैं समीकरण? और भाजपा को कितना होगा नुकसान...?
पहले जानते हैं कैसे बढ़ी जदयू- भाजपा के बीच दूरी
भाजपा और जदयू के बीच दूरी बढ़ने की शुरुआत कुछ महीने पहले हुई थी। जाति आधारित जनगणना के मुद्दे पर नीतीश कुमार भाजपा से अलग-थलग नजर आए और उन्होंने विपक्षी दलों के साथ जाति आधारित जनगणना की मांग की। जानकारी के अनुसार सरकार चलाने में फ्री हैंड नहीं मिलने के अलावा नीतीश चिराग प्रकरण के बाद आरसीपी प्रकरण से भाजपा से खफा हैं। बीते कुछ महीने में नीतीश ने कई अहम बैठकों से दूरी बनाई है। कुछ महीने पूर्व नीतीश पीएम की कोरोना पर बुलाई गई बैठक से दूर रहे। हाल में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सम्मान में दिए गए भोज, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह से भी दूरी बनाई। इससे पहले गृह मंत्री अमित शाह की ओर से बुलाई गई मुख्यमंत्रियों की बैठक से दूरी बनाने के बाद अब नीति आयोग की बैठक से भी दूर रहे।
आरसीपी प्रकरण से बढ़ गई नाराजगी
पिछले दिनों आरसीपी सिंह प्रकरण ने भाजपा और जदयू के बीच दूरियां और बढ़ा दीं। दअरसल, भ्रष्टाचार के मामले में जदयू ने आरसीपी सिंह को नोटिस भेजा था। इसके बाद उन्होंने जदयू से इस्तीफा दे दिया। पार्टी का आरोप है कि आरसीपी सिंह के बहाने भाजपा जदयू में बगावत कराना चाहती थी। इससे दोनों पार्टी के बीच दूरी बढ़ती ही चली गई।
अब जानिए क्या हैं बिहार के राजनीतिक आंकड़े?
बिहार विधानसभा में सीटों की कुल संख्या 243 है। यहां बहुमत साबित करने के लिए किसी भी पार्टी को 122 सीटों की जरूरत है। वर्तमान आंकड़ों को देखें तो बिहार में सबसे बड़ी पार्टी राजद है। उसके पास विधानसभा में 79 सदस्य हैं। वहीं, भाजपा के पास 77, जदयू के पास 45, कांग्रेस के पास 19, कम्यूनिस्ट पार्टी के पास 12, एआईएमआईएम के पास 01, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के पास 04 सदस्य हैं। इसके अलावा अन्य विधायक हैं।
कैसे बन रहे हैं नए समीकरण?
वर्तमान में जदयू के पास 45 विधायक हैं। उसे सरकार बनाने के लिए 77 विधायकों की जरूरत है। पिछले दिनों राजद और जदयू के बीच नजदीकी भी बढ़ी हैं। ऐसे में अगर दोनों साथ आते हैं तो राजद के 79 विधायक मिलाकर इस गठबंधन के पास 124 सदस्य हो जाएंगे, जो बहुमत से ज्यादा हैं। इसके अलावा खबर है कि इस गठबंधन में कांग्रेस और कम्यूनिस्ट पार्टी भी शामिल हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस के 19 और कम्यूनिस्ट पार्टी के 12 अन्य विधायकों को मिलाकर गठबंधन के पास बहुमत से कहीं ऊपर 155 विधायक होंगे। इसके अलावा जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के चार अन्य विधायकों का भी उन्हें साथ मिल सकता है।