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Bihar Election : सीमांचल में सबसे ज्यादा सीटें लेगी कांग्रेस; आखिर कांग्रेस कार्यसमिति से कैसे मिल रहा संकेत?
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सुपौल
Published by: कोसी ब्यूरो
Updated Wed, 24 Sep 2025 06:34 PM IST
सार
Bihar Election : सीमांचल में पहले राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की वोटर अधिकार यात्रा के बाद प्रधानमंत्री का कार्यक्रम हुआ। वहीं, अब सीडब्लूसी की बैठक के बहाने पूर्णिया में एक बार फिर कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व का जमावड़ा लगा है।
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सीमांचल में चल रही जोर आजमाइश।
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विस्तार
बिहार विधानसभा चुनाव के दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, चुनावी सरगर्मी भी तेज हो गई है। राजनीतिक बिसात बिछनी शुरु हो चुकी है। इसी का परिणाम है कि नेताओं के दौरे लगातार हो रहे हैं। सीमांचल में पहले राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की वोटर अधिकार यात्रा के बाद प्रधानमंत्री का कार्यक्रम हुआ। वहीं, अब सीडब्लूसी की बैठक के बहाने पूर्णिया में एक बार फिर कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व का जमावड़ा लगा है। दूसरी ओर एएमआईएमआईएम सुप्रीमो असदुद्दीन ओवैसी भी किशनगंज में कैंप कर रहे हैं। राहुल और तेजस्वी के सीमांचल में लगातार दौरे को जहां अल्पसंख्यक वोटरों को साधने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है।
कुछ अन्य सीटों पर भी अपनी दावेदारी कर रही कांग्रेस
वहीं, बीते दिनों पीएम की सभा के दौरान पूर्णिया में बांग्लादेशी घुसपैठ का उल्लेख, ध्रुवीकरण की ओर इशारा करता दिख रहा है। खैर, इसके परिणाम चाहे जो भी, वह तो चुनाव बाद ही सामने आएंगे। लेकिन, तत्काल एक महीने में ही राहुल गांधी की दूसरी बार पूर्णिया यात्रा को गठबंधन के अंदर भी दबाव की राजनीति के तौर पर देखा जा रहा है। इसकी बड़ी वजह बीते विधानसभा चुनाव 2020 के दौरान सीमांचल के इलाके में कांग्रेस का स्ट्राइक रेट भी रहा है। इस चुनाव में कांग्रेस ने बिहार की 70 में से 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी। लेकिन सीमांचल के इलाके में उसका स्ट्राइक रेट 60 फीसदी का रहा।
पूर्णिया, अररिया, कटिहार और किशनगंज की कुल 24 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को 10 सीटों पर उम्मीदवारी मिली। इसमें 06 सीट पर उसके प्रत्याशी विजयी रहे। जबकि 12 प्रत्याशियों के साथ मैदान में उतरी राजद का यहां खाता भी नहीं खुल सका था। माना जा रहा है कि कांग्रेस अब इसी परिणामों के आधार पर कुछ अन्य सीटों पर भी अपनी दावेदारी कर रही है। वही सीमांचल की जनता में भी मैसेजिंग का प्रयास हो रहा है कि कांग्रेस इलाके में सक्रिय है। जबकि इसी बहाने कार्यकर्ताओं को भी एकजुट करने का प्रयास हो रहा है।
कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है सीमांचल में स्टेक
विधानसभा चुनाव 2025 में अधिक से अधिक सीट हासिल करने के प्रयास में जुटी कांग्रेस के लिए सीमांचल में अधिक से अधिक हिस्सेदारी महत्वपूर्ण है। बीते लोकसभा चुनाव 2024 की बात करें तो यहां अररिया में राजद को हार का सामना करना पड़ा। वही पूर्णिया में राजद उम्मीदवार बीमा भारती चुनाव मैदान में निर्दलीय राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के सामने दूर-दूर तक मुकाबले में नहीं दिखी। चुनाव के कुछ दिनों पहले ही पप्पू यादव ने अपनी पार्टी जाप का विलय कर कांग्रेस की सदस्यता का दावा किया। दीगर बात है कि कांग्रेस ने कभी इसको लेकर कोई टिप्पणी नहीं की। कांग्रेस में पप्पू यादव अब भी अपनी भूमिका तलाशने में जुटे हैं। इसके अलावा कटिहार और किशनगंज सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत दर्ज की। मतलब यह कि, इस चुनाव में भी कांग्रेस ने यहां अपना पूरा दमखम दिखाया।
अभी सीमांचल में क्या है सीटों का समीकरण
अभी पूर्णिया की सात में से चार सीटों पर एनडीए काबिज है। वही बीते विधानसभा उपचुनाव में रुपौली से निर्वाचित निर्दलीय विधायक का भी जदयू को ही समर्थन प्राप्त है। यह सीट पहले भी जदयू के खाते में थी। तत्कालीन विधायक बीमा भारती ने लोकसभा चुनाव के दौरान राजद का दामन थामा और उम्मीदवार बनी। हालांकि, उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। 2015 के विधानसभा चुनाव में पूर्णिया में कांग्रेस के तीन में से एक उम्मीदवार विजयी रहे। राजद के चार उम्मीदवार हार गए। यहां एआईएमआईएम को दो सीट पर जीत मिली, एक विधायक बाद में राजद में शामिल हो गए। वही कटिहार में 07 में से 04 सीटों पर एनडीए काबिज है। कांग्रेस के चार में से तीन उम्मीदवार विजयी रहे, जबकि राजद के सभी दो प्रत्याशी को हार झेलनी पड़ी। अररिया की 06 में से 04 पर एनडीए ने जीत दर्ज की।
जोकीहाट से एआईएमआईएम को जीत मिली थी
वहीं, कांग्रेस के अररिया सीट से एकमात्र उम्मीदवार विजयी रहे। जोकीहाट से एआईएमआईएम को जीत मिली, लेकिन विधायक राजद में शामिल हो गए। यहां राजद के 05 उम्मीदवार थे और सभी को हार ही नसीब हुई। वही किशनगंज की 04 में से 03 विधानसभा सीटों पर एआईएमआईएम ने कब्जा जमाया। किशनगंज सीट पर कांग्रेस जीती, कोचाधामन से कांग्रेस प्रत्याशी हार गए। अन्य दोनों सीटों से राजद प्रत्याशी मैदान में थे, जो हार गए। लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान भी कमोबेश परिणाम ऐसे ही रहे। केवल पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र के 06 में से 04 विधानसभा सीटों पर निर्दलीय राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने बढ़त बनाई, जिसमें भाजपा के खाते वाली बनमनखी और पूर्णिया सदर सीट भी शामिल है।
राहुल-तेजस्वी ने 09 विधानसभा सीटों पर निकाली थी यात्रा
बीते दिनों लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव वोटर अधिकार यात्रा के दौरान सीमांचल में थे। तब दोनों नेताओं ने सीमांचल की 09 विधानसभा सीटों को कवर किया। इसमें पूर्णिया की दो, कटिहार की 04, अररिया की 01 और किशनगंज की दो विधानसभा सीटें शामिल हैं। यात्रा के दौरान निर्दलीय सांसद पप्पू यादव भी एक्टिव दिखे। तब बड़ी संख्या में लोग यात्रा का हिस्सा बने। वही यात्रा के दौरान और इसके बाद से इलाके में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की एकजुटता बढ़ी है।
ये भी पढ़ें- LiveCWC Meeting LIVE: 'बिहार में आया नीतीश गया नीतीश', खरगे के कसा तंज; राहुल गांधी ने बताया 'इंडिया' लक्ष्य
पप्पू की स्वीकार्यता और तारिक अनवर की नाराजगी का भी होगा असर
लोकसभा चुनाव के दौरान तेजस्वी यादव ने पूर्णिया में लंबा कैंप किया। उन्होंने चुनावी सभा में यहां तक कह दिया कि लोग या तो राजद उम्मीदवार के पक्ष में वोट करें या एनडीए को वोट दे दें। तब तेजस्वी और पप्पू यादव की तकरार खुल कर सामने आई। हालांकि, पप्पू यादव को वोटर अधिकार यात्रा के दौरान पूर्णिया में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के साथ देखा गया।
इस बीच लगा कि दोनों नेताओं के बीच सबकुछ सामान्य हो रहा है। लेकिन, पटना में फिर जब राहुल के रथ पर पप्पू यादव को चढ़ने से रोका गया तो विवाद सीमांचल में चर्चा का विषय बन गया। दीगर बात है कि पप्पू यादव अब भी राहुल गांधी को अपना नेता बताते हैं। लेकिन, यह भी स्याह सच है कि कांग्रेस में उन्हें वह स्वीकार्यता नहीं मिल रही है, जिसकी वह चाह रखते हैं। इस बीच कटिहार से कांग्रेस सांसद तारिक अनवर की भी पार्टी नेतृत्व के प्रति नाराजगी गाहे-बगाहे सामने आ रही है। ऐसे में इन दो कद्दावर नेताओं की नाराजगी कांग्रेस और महागठबंधन को भारी पड़ सकती है।
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रिपोर्ट: केशव कुमार
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कुछ अन्य सीटों पर भी अपनी दावेदारी कर रही कांग्रेस
वहीं, बीते दिनों पीएम की सभा के दौरान पूर्णिया में बांग्लादेशी घुसपैठ का उल्लेख, ध्रुवीकरण की ओर इशारा करता दिख रहा है। खैर, इसके परिणाम चाहे जो भी, वह तो चुनाव बाद ही सामने आएंगे। लेकिन, तत्काल एक महीने में ही राहुल गांधी की दूसरी बार पूर्णिया यात्रा को गठबंधन के अंदर भी दबाव की राजनीति के तौर पर देखा जा रहा है। इसकी बड़ी वजह बीते विधानसभा चुनाव 2020 के दौरान सीमांचल के इलाके में कांग्रेस का स्ट्राइक रेट भी रहा है। इस चुनाव में कांग्रेस ने बिहार की 70 में से 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी। लेकिन सीमांचल के इलाके में उसका स्ट्राइक रेट 60 फीसदी का रहा।
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पूर्णिया, अररिया, कटिहार और किशनगंज की कुल 24 विधानसभा सीटों में से कांग्रेस को 10 सीटों पर उम्मीदवारी मिली। इसमें 06 सीट पर उसके प्रत्याशी विजयी रहे। जबकि 12 प्रत्याशियों के साथ मैदान में उतरी राजद का यहां खाता भी नहीं खुल सका था। माना जा रहा है कि कांग्रेस अब इसी परिणामों के आधार पर कुछ अन्य सीटों पर भी अपनी दावेदारी कर रही है। वही सीमांचल की जनता में भी मैसेजिंग का प्रयास हो रहा है कि कांग्रेस इलाके में सक्रिय है। जबकि इसी बहाने कार्यकर्ताओं को भी एकजुट करने का प्रयास हो रहा है।
कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण है सीमांचल में स्टेक
विधानसभा चुनाव 2025 में अधिक से अधिक सीट हासिल करने के प्रयास में जुटी कांग्रेस के लिए सीमांचल में अधिक से अधिक हिस्सेदारी महत्वपूर्ण है। बीते लोकसभा चुनाव 2024 की बात करें तो यहां अररिया में राजद को हार का सामना करना पड़ा। वही पूर्णिया में राजद उम्मीदवार बीमा भारती चुनाव मैदान में निर्दलीय राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के सामने दूर-दूर तक मुकाबले में नहीं दिखी। चुनाव के कुछ दिनों पहले ही पप्पू यादव ने अपनी पार्टी जाप का विलय कर कांग्रेस की सदस्यता का दावा किया। दीगर बात है कि कांग्रेस ने कभी इसको लेकर कोई टिप्पणी नहीं की। कांग्रेस में पप्पू यादव अब भी अपनी भूमिका तलाशने में जुटे हैं। इसके अलावा कटिहार और किशनगंज सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी ने जीत दर्ज की। मतलब यह कि, इस चुनाव में भी कांग्रेस ने यहां अपना पूरा दमखम दिखाया।
अभी सीमांचल में क्या है सीटों का समीकरण
अभी पूर्णिया की सात में से चार सीटों पर एनडीए काबिज है। वही बीते विधानसभा उपचुनाव में रुपौली से निर्वाचित निर्दलीय विधायक का भी जदयू को ही समर्थन प्राप्त है। यह सीट पहले भी जदयू के खाते में थी। तत्कालीन विधायक बीमा भारती ने लोकसभा चुनाव के दौरान राजद का दामन थामा और उम्मीदवार बनी। हालांकि, उन्हें करारी हार का सामना करना पड़ा। 2015 के विधानसभा चुनाव में पूर्णिया में कांग्रेस के तीन में से एक उम्मीदवार विजयी रहे। राजद के चार उम्मीदवार हार गए। यहां एआईएमआईएम को दो सीट पर जीत मिली, एक विधायक बाद में राजद में शामिल हो गए। वही कटिहार में 07 में से 04 सीटों पर एनडीए काबिज है। कांग्रेस के चार में से तीन उम्मीदवार विजयी रहे, जबकि राजद के सभी दो प्रत्याशी को हार झेलनी पड़ी। अररिया की 06 में से 04 पर एनडीए ने जीत दर्ज की।
जोकीहाट से एआईएमआईएम को जीत मिली थी
वहीं, कांग्रेस के अररिया सीट से एकमात्र उम्मीदवार विजयी रहे। जोकीहाट से एआईएमआईएम को जीत मिली, लेकिन विधायक राजद में शामिल हो गए। यहां राजद के 05 उम्मीदवार थे और सभी को हार ही नसीब हुई। वही किशनगंज की 04 में से 03 विधानसभा सीटों पर एआईएमआईएम ने कब्जा जमाया। किशनगंज सीट पर कांग्रेस जीती, कोचाधामन से कांग्रेस प्रत्याशी हार गए। अन्य दोनों सीटों से राजद प्रत्याशी मैदान में थे, जो हार गए। लोकसभा चुनाव 2024 के दौरान भी कमोबेश परिणाम ऐसे ही रहे। केवल पूर्णिया लोकसभा क्षेत्र के 06 में से 04 विधानसभा सीटों पर निर्दलीय राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने बढ़त बनाई, जिसमें भाजपा के खाते वाली बनमनखी और पूर्णिया सदर सीट भी शामिल है।
राहुल-तेजस्वी ने 09 विधानसभा सीटों पर निकाली थी यात्रा
बीते दिनों लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव वोटर अधिकार यात्रा के दौरान सीमांचल में थे। तब दोनों नेताओं ने सीमांचल की 09 विधानसभा सीटों को कवर किया। इसमें पूर्णिया की दो, कटिहार की 04, अररिया की 01 और किशनगंज की दो विधानसभा सीटें शामिल हैं। यात्रा के दौरान निर्दलीय सांसद पप्पू यादव भी एक्टिव दिखे। तब बड़ी संख्या में लोग यात्रा का हिस्सा बने। वही यात्रा के दौरान और इसके बाद से इलाके में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की एकजुटता बढ़ी है।
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पप्पू की स्वीकार्यता और तारिक अनवर की नाराजगी का भी होगा असर
लोकसभा चुनाव के दौरान तेजस्वी यादव ने पूर्णिया में लंबा कैंप किया। उन्होंने चुनावी सभा में यहां तक कह दिया कि लोग या तो राजद उम्मीदवार के पक्ष में वोट करें या एनडीए को वोट दे दें। तब तेजस्वी और पप्पू यादव की तकरार खुल कर सामने आई। हालांकि, पप्पू यादव को वोटर अधिकार यात्रा के दौरान पूर्णिया में राहुल गांधी और तेजस्वी यादव के साथ देखा गया।
इस बीच लगा कि दोनों नेताओं के बीच सबकुछ सामान्य हो रहा है। लेकिन, पटना में फिर जब राहुल के रथ पर पप्पू यादव को चढ़ने से रोका गया तो विवाद सीमांचल में चर्चा का विषय बन गया। दीगर बात है कि पप्पू यादव अब भी राहुल गांधी को अपना नेता बताते हैं। लेकिन, यह भी स्याह सच है कि कांग्रेस में उन्हें वह स्वीकार्यता नहीं मिल रही है, जिसकी वह चाह रखते हैं। इस बीच कटिहार से कांग्रेस सांसद तारिक अनवर की भी पार्टी नेतृत्व के प्रति नाराजगी गाहे-बगाहे सामने आ रही है। ऐसे में इन दो कद्दावर नेताओं की नाराजगी कांग्रेस और महागठबंधन को भारी पड़ सकती है।
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रिपोर्ट: केशव कुमार