Bihar: स्वास्थ्य सेवाओं में बिहार ने कायम किया एक और मील स्तंभ, मातृ और शिशु मृत्युदर में दर्ज की बड़ी गिरावट
Bihar: शिशु मृत्युदर में सुधार की बात करते हुए मंत्री ने कहा कि बिहार ने इस क्षेत्र में भी बड़ी उपलब्धि दर्ज की है। वर्ष 2025 की एसआरएस रिपोर्ट के अनुसार राज्य में प्रति हजार शिशु जन्म पर मृत्यु दर अब 27 है, जो राष्ट्रीय औसत के बराबर है।


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बिहार ने स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में एक और मील का पत्थर स्थापित किया है। राज्य ने मातृ एवं शिशु मृत्युदर में उल्लेखनीय गिरावट दर्ज करते हुए देशभर में मिसाल पेश की है। वर्ष 2005 में जहां राज्य में प्रति एक लाख प्रसव पर 374 महिलाओं की मृत्यु होती थी, वहीं अब यह आंकड़ा घटकर मात्र 100 पर आ गया है। इसी प्रकार, वर्ष 2010 से पहले प्रति हजार नवजातों में 48 की मृत्यु हो जाती थी, जो अब घटकर 27 रह गई है। यह आंकड़ा अब राष्ट्रीय औसत के बराबर है।
राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह उपलब्धि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दूरदर्शी नेतृत्व का परिणाम है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने न सिर्फ शहरी इलाकों, बल्कि पहाड़ी, जंगल और बाढ़ग्रस्त गांवों तक में स्वास्थ्य सेवाओं की आधारभूत संरचना को सुदृढ़ किया है।
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स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि मातृ एवं शिशु मृत्युदर किसी भी राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं का सबसे बड़ा संकेतक होता है। उन्होंने कहा कि 2005 से पहले संस्थागत प्रसव की सुविधा न के बराबर थी। आज 74 प्रतिशत प्रसव संस्थागत हो रहे हैं, जिससे जच्चा और बच्चा दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित हुई है। उन्होंने यह भी बताया कि जहां राष्ट्रीय स्तर पर मातृ मृत्युदर प्रति एक लाख प्रसव पर 93 है, वहीं बिहार अब इस लक्ष्य से केवल 7 अंक पीछे है। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक इस अंतर को भी पूरी तरह समाप्त कर लिया जाए।
शिशु मृत्युदर में सुधार की बात करते हुए मंत्री ने कहा कि बिहार ने इस क्षेत्र में भी बड़ी उपलब्धि दर्ज की है। वर्ष 2025 की एसआरएस रिपोर्ट के अनुसार राज्य में प्रति हजार शिशु जन्म पर मृत्यु दर अब 27 है, जो राष्ट्रीय औसत के बराबर है।
उन्होंने कहा कि यह बदलाव किसी एक-दो साल की योजना का परिणाम नहीं, बल्कि दीर्घकालिक और निरंतर प्रयासों का फल है। सरकार ने आशा कार्यकर्ताओं और नर्सों को उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्रदान किया है। सभी सरकारी अस्पतालों में नवजात बच्चों के लिए आईसीयू और जरूरी इलाज की व्यवस्था की गई है, जिससे जन्म के समय बीमार बच्चों का इलाज समय पर और सहजता से हो पा रहा है।