Bihar News: भोरे में स्कूल मर्जर से नाराज छात्र-छात्राओं का सड़क जाम, शिक्षकों के समझाने पर माने छात्र
Bihar: भोरे के राजकीय मध्य विद्यालय में पहले से पर्याप्त शिक्षक और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं, जबकि गांधी स्मारक हाई स्कूल में पहले ही कक्षाओं और संसाधनों की भारी कमी है। छात्र संख्या अधिक होने के कारण एक ही कक्षा में कई सेक्शन को एक साथ पढ़ाया जा रहा है, जिससे शैक्षणिक माहौल प्रभावित हो रहा है।

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गोपालगंज जिले के भोरे में गुरुवार को स्कूल मर्जर के खिलाफ छात्रों का गुस्सा सड़क पर फूट पड़ा। राजकीय मध्य विद्यालय, भोरे के कक्षा 6 से 8 तक के छात्र-छात्राओं को गांधी स्मारक हाई स्कूल में मर्ज किए जाने के बाद, नई जगह पर मूलभूत सुविधाओं की कमी को लेकर छात्रों ने चरमुहानी मुख्य मार्ग को जाम कर दिया।

जाम की वजह से सड़क के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई और स्थानीय यातायात पूरी तरह बाधित हो गया। सूचना मिलते ही गांधी स्मारक हाई स्कूल के शिक्षक मौके पर पहुंचे और छात्रों को समझाकर शांत कराया। शिक्षकों ने जल्द संसाधन उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया, जिसके बाद छात्रों ने जाम हटाया और स्थिति सामान्य हुई।
बिना तैयारी के मर्जर से उठे सवाल
यह मर्जर केंद्र सरकार की पीएम श्री योजना के तहत किया गया है। योजना का उद्देश्य संसाधनहीन विद्यालयों को बेहतर बुनियादी ढांचे वाले स्कूलों में मर्ज करना है। लेकिन स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस निर्णय में भौतिक सत्यापन नहीं किया गया।
भोरे के राजकीय मध्य विद्यालय में पहले से पर्याप्त शिक्षक और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं, जबकि गांधी स्मारक हाई स्कूल में पहले ही कक्षाओं और संसाधनों की भारी कमी है। छात्र संख्या अधिक होने के कारण एक ही कक्षा में कई सेक्शन को एक साथ पढ़ाया जा रहा है, जिससे शैक्षणिक माहौल प्रभावित हो रहा है।
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अन्य स्कूलों की स्थिति भी चिंताजनक
ग्रामीणों और अभिभावकों का कहना है कि न सिर्फ भोरे, बल्कि आसपास के कई स्कूलों में संसाधनों की कमी के बीच आठ कक्षाएं महज चार कमरों में संचालित की जा रही हैं। ऐसे में बिना प्राथमिकता तय किए मर्जर करना बच्चों की शिक्षा और मानसिक स्वास्थ्य के साथ अन्याय है। उन्होंने प्रशासन से मर्जर की प्रक्रिया पर पुनर्विचार की मांग की है। ग्रामीणों ने कहा कि बच्चों को एक विद्यालय से दूसरे विद्यालय में भेजने से पहले पूरी तैयारी और संसाधन सुनिश्चित करना चाहिए था।
प्रशासन और शिक्षा विभाग की चुप्पी
इस पूरे घटनाक्रम पर शिक्षा विभाग की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। वहीं प्रखंड और जिला प्रशासन ने भी स्थिति का जायजा नहीं लिया है, जिससे स्थानीय लोगों में निराशा और आक्रोश देखा जा रहा है।