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Russian Oil: अमेरिका से टैरिफ विवाद के बीच भारत ने रूस से तेल की खरीदारी कम की, चीन पर आया ये अपडेट

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Wed, 03 Sep 2025 03:20 PM IST
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सार

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार अमेरिकी टैरिफ विवाद के बीच भारत में आने वाले रूसी तेल में एक-तिहाई की कमी आई है। इसके बावजूद रूस के कच्चे तेल निर्यात में दोबारा तेजी देखने को मिली है। चीन ने इस वृद्धि में बड़ी भूमिका निभाई है। 

Amid tariff dispute with the US, India reduced oil purchases from Russia, this update came on China
भारत में रूसी तेल आयात में आई कमी - फोटो : Adobestock
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विस्तार
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रूस के कच्चे तेल निर्यात में फिर से तेजी देखने को मिल रही है। इसमें चीन ने अहम भूमिका निभाई है। चीन ने अपनी खरीदारी बढ़ा दी है। यह उछाल ऐसे समय हुआ है जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने रूसी तेल आयात को लेकर भारत पर दंडात्मक शुल्क लगा दिया है। इसने दक्षिण एशियाई देश की ओर जाने वाले रूसी तेल के प्रवाह को प्रभावित किया है।

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ट्रंप ने भारत के रूसी तेल खरीदने पर आपत्ति जताते हुए टैरिफ को दोगुना कर 50% कर दिया है। इस कदम का असर भारत की ओर जाने वाले रूसी कच्चे तेल पर साफ दिख रहा है।

भारत में रूसी तेल आयात एक-तिहाई कम हुआ

ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की ओर जाने वाले रूसी तेल का प्रवाह अगस्त 31 तक खत्म हुए चार हफ्तों में औसतन 1.3 मिलियन बैरल प्रतिदिन से नीचे रहा। यह मार्च में दर्ज हालिया उच्चतम स्तर से करीब एक-तिहाई कम है। यहां तक कि अगर उन टैंकरों का पूरा तेल, जिनकी मंजिल अभी तय नहीं हुई है, भारत पहुंच भी जाए, तब भी यह प्रवाह मार्च के शिखर स्तर से लगभग 5.5 लाख बैरल प्रतिदिन या 28% कम रहेगा।

चीन में विपरित स्थिति

वहीं, चीन जाने वाले कच्चे तेल की मात्रा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। यह पांच महीने के उच्चमत स्तर 1.28 मिलयन बैरल प्रतिदिन पर पहुंच गई है। 

रूसी बंदगाहों से कच्चे तेल के निर्यात में हुई उल्लेखनीय वृद्धि

इस बीच रूसी बंदरगाहों से कुल साप्ताहिक कच्चे तेल की खेप 770,000 बैरल प्रतिदिन बढ़कर 3.49 मिलियन बैरल पर पहुंच गई। यह सात सप्ताह का उच्चतम स्तर है, जो पिछले सात दिनों के असामान्य रूप से निम्न स्तर से उबर रही है। ब्लूमबर्ग की संकलित टैंकर-ट्रैकिंग डेटा के अनुसार, इस उछाल ने चार सप्ताह के औसत कच्चे तेल की मात्रा को बढ़ा दिया है। इसमें 31 अगस्त तक की अवधि में समुद्री माल औसतन 3.15 मिलियन बैरल प्रतिदिन रहा।

बंदरगाहों पर हो रहे हमलों से निर्यात को बढ़ाया गया

रखरखाव कार्य के कारण रूस के पूर्वी तट पर स्थित सखालिन 2 परियोजना की चार हफ्ते की अनुपस्थिति के बाद शिपमेंट फिर से शुरू हो गया है। पश्चिम में, बाल्टिक बंदरगाह उस्त-लुगा की ओर प्रवाह आंशिक रूप से बहाल हो गया है। यह ड्रोन हमले में एक पंपिंग स्टेशन को हुए नुकसान के कारण बाधित हुआ था। अतिरिक्त मात्रा प्रिमोर्स्क की ओर मोड़ दी गई है।
मॉस्को के समुद्री कच्चे तेल प्रवाह में यह नवीनतम वृद्धि ऐसे समय में हुई है जब यूक्रेन रूसी रिफाइनरियों पर ड्रोन और मिसाइलों से लगातार हमले कर रहा है। इससे निर्यात के लिए अधिक कच्चा तेल उपलब्ध होने की संभावना है।


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