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Ambani: फेमा केस में दूसरी बार ईडी के सामने पेश नहीं हुए अनिल अंबानी, जानें क्या है मामला

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Mon, 17 Nov 2025 02:48 PM IST
सार

रिलायंस समूह के चेयरमैन अनिल अंबानी ने दूसरी बार फेमा मामले में प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष पेश होने से इनकार कर दिया। यह जांच जयपुर-रींगस राजमार्ग परियोजना से संबंधित है। आइए विस्तार से जानते हैं। 

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Anil Ambani did not appear before the ED for the second time in the FEMA case; know what is the matter
अनिल अंबानी - फोटो : PTI
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विस्तार
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रिलायंस ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी ने विदेशी प्रबंधन अधिनियम (फेमा) मामले में ईडी के सामने पेश होने से दूसरी बार इनकार कर दिया। उन्होंने पहली बार 14 नवंबर को समन पर पेश न होकर ईडी को बताया था कि वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या रिकॉर्डेड बयान के जरिए पूछताछ में शामिल होने को तैयार हैं। हालांकि, ईडी ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया और सोमवार के लिए नया समन जारी किया। अब यह स्पष्ट नहीं है कि एजेंसी तीसरा समन भेजेगी या नहीं।

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बता दें कि फेमा के तहत होने वाली कार्रवाई सिविल प्रकृति की होती है, जबकि मनी लॉन्ड्रिंग कानून के तहत की जाने वाली जांच और कार्रवाई आपराधिक प्रकृति की मानी जाती है।

अंबानी ने रखा वर्चुअल उपस्थिति और रिकॉर्डेड वीडियो का प्रस्ताव

66 वर्षीय व्यवसायी के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा कि अनिल अंबानी ने ईडी के लिए उपयुक्त किसी भी तारीख और समय पर वर्चुअल उपस्थिति/रिकॉर्डेड वीडियो के माध्यम से अपना बयान दर्ज कराने के लिए खुद को उपलब्ध कराने की पेशकश की है।


सूत्रों के अनुसार, एजेंसी ने अंबानी को शुक्रवार को व्यक्तिगत रूप से पेश होने और फेमा के तहत अपना बयान दर्ज कराने को कहा था। यह जांच जयपुर-रींगस राजमार्ग परियोजना से संबंधित है।

ईडी ने अपनी जांच में क्या पाया?

इससे पहले जारी एक बयान में ईडी ने कहा था कि हाल ही में धन शोधन निरोधक कानून के तहत अंबानी और उनकी कंपनियों की 7,500 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क करने के बाद रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड के खिलाफ की गई तलाशी में पाया गया कि राजमार्ग परियोजना से कथित तौर पर 40 करोड़ रुपये की हेराफेरी की गई। एजेंसी ने कहा कि सूरत स्थित फर्जी कंपनियों के माध्यम से धन दुबई पहुंचाया गया। इससे 600 करोड़ रुपये से अधिक के व्यापक अंतरराष्ट्रीय हवाला नेटवर्क का पता चला है।

सूत्रों ने बताया कि ईडी ने कुछ कथित हवाला डीलरों सहित विभिन्न व्यक्तियों के बयान दर्ज किए हैं। इसके बाद उन्होंने अंबानी को तलब करने का फैसला किया है। हवाला से तात्पर्य धन के अवैध आवागमन से है, जो मुख्यतः नकदी में होता है।

15 साल पुराना है यह मामला

बयान में कहा गया है कि यह मामला 15 साल पुराना है, जो 2010 का है। यह एक सड़क ठेकेदार से जुड़ा केस है। इसमें कहा गया है कि 2010 में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को जेआर टोल रोड (जयपुर-रींगस राजमार्ग) के निर्माण के लिए ईपीसी (इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण) अनुबंध दिया गया था। यह पूरी तरह से घरेलू अनुबंध था, जिसमें किसी भी तरह का विदेशी मुद्रा घटक शामिल नहीं था। जेआर टोल रोड पूरी तरह से बनकर तैयार हो चुका है और 2021 से यह भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के पास है।

धन शोधन मामले को लेकर अनिल अंबानी से हो चुकी है पूछताछ

अंबानी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर के बोर्ड के सदस्य नहीं हैं। बयान में कहा गया है कि उन्होंने अप्रैल 2007 से मार्च 2022 तक लगभग 15 वर्षों तक कंपनी में गैर-कार्यकारी निदेशक के रूप में काम किया और कंपनी के दैनिक प्रबंधन में कभी शामिल नहीं रहे। ईडी ने व्यवसायी से उनके समूह की कंपनियों के खिलाफ कथित 17,000 करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी से जुड़े धन शोधन मामले में एक बार पूछताछ की है।

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