Report: तीन वर्षों में लोगों ने ब्याज के रूप में बचाए दो लाख करोड़, पढ़ें बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट
बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्याज लागत 2021-22 के 9.02 लाख करोड़ के मुकाबले 2022-23 में 9.35 लाख करोड़ पहुंच गई। यह 2020 में रेपो दर कम होने से पहले के 10.16 लाख करोड़ से कम है। 2023-24 में अब तक ब्याज लागत 9.91 लाख करोड़ रुपये है।


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कोरोना की वजह से भले ही अर्थव्यवस्था पर असर पड़ा, लेकिन 2020 से 2022 तक यानी तीन साल में लोगों ने कर्ज पर ब्याज के रूप में 1.75 लाख करोड़ रुपये बचाए। ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोना के कारण आरबीआई ने रेपो दर में 2.5 फीसदी की कटौती की थी। इससे ब्याज दरें कई दशकों के निचले स्तर पर आ गईं थीं। हालांकि, ब्याज दरें बढ़ने से इस साल कर्ज पर 33,000 करोड़ ज्यादा ब्याज चुकाए हैं।
बैंक ऑफ बड़ौदा की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्याज लागत 2021-22 के 9.02 लाख करोड़ के मुकाबले 2022-23 में 9.35 लाख करोड़ पहुंच गई। यह 2020 में रेपो दर कम होने से पहले के 10.16 लाख करोड़ से कम है। 2023-24 में अब तक ब्याज लागत 9.91 लाख करोड़ रुपये है।
अब भी होगा 25,000 करोड़ रुपये का फायदा
वित्त वर्ष 2024 में अपरिवर्तित वेटेज एवरेज लेंडिंग रेट की धारणा के आधार पर ब्याज लागत 9.91 लाख करोड़ तक बढ़ जाएगी। यह वित्त वर्ष 2020 से 25,000 करोड़ कम है। इससे पता चलता है कि रेपो दर बढ़ने के बाद भी ब्याज लागत कोरोना पूर्व स्तर पर नहीं पहुंची है।
61,000 करोड़ का लाभ
मार्च, 2020 से अप्रैल, 2022 में बकाया कर्जों पर ब्याज दर में 1.33 फीसदी गिरावट आई। फरवरी, 2020 तक बकाया क्रेडिट को आधार माना जाए तो यह 101.05 लाख करोड़ रुपये है। इस दौरान कुछ लोन चुकाए जा चुके होंगे और नए लोन का मूल्य संबंधित नए वेटेज एवरेज लेंडिंग रेट के बराबर किया जा सकता है। नीतिगत दर में ढील दिए जाने के साथ वित्त वर्ष 2021 में ब्याज लागत घटकर 9.55 लाख करोड़ रह गई। इस प्रकार वित्त वर्ष 2021 में ब्याज के बोझ में कमी से 61,000 करोड़ का लाभ हुआ।