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कर व्यवस्था : पुरानी को छोड़ो, अब नई चुनो... कुछ अपवादों का भी रखें ध्यान

Sachin Chaturvedi सचिन चतुर्वेदी
Updated Mon, 03 Feb 2025 06:27 AM IST
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सार

नई संशोधित कर व्यवस्था में वेतन से होने वाली 12.75 लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। पहले इस पर 80,000 रुपये तक टैक्स देना पड़ता था। अगर आपकी सालाना कमाई 12.75 लाख रुपये है तो 75,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलेगा। बाकी 12 लाख रुपये पर 60,000 रुपये का टैक्स बनेगा। 

Budget 2025 Indian Tax System leave old tax regime and adapt new system
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : istock
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विस्तार
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आगरा में रहने वाले चंद्रमोहन अग्रवाल बजट सुनने के बाद से उलझन में हैं। वह निजी कंपनी में मैनेजर हैं और उनका वेतन 15 लाख रुपये सालाना है। बीते साल तक पुरानी कर व्यवस्था को अपनाए हुए थे। टैक्स बचाने के लिए उन्होंने पीपीएफ और यूलिप आदि में निवेश कर रखा है। एचआरए क्लेम करने के लिए किराये की रसीदें भी जमा करते हैं। हर साल फरवरी-मार्च में अपनी कंपनी के एचआर को स्कूल की फीस और अन्य निवेश से जुड़े दस्तावेज जमा करते हैं, ताकि उनका टैक्स न कटे। लेकिन, बजट में जब से नई संशोधित कर व्यवस्था के तहत 12 लाख रुपये तक की कमाई को करमुक्त करने की घोषणा की गई है, तब से वह सोच रहे हैं कि नई कर व्यवस्था में शिफ्ट हो जाएं या पुरानी पर ही टिके रहें।

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समझें...दोनों प्रणाली में टैक्स का पूरा गणित
नई संशोधित कर व्यवस्था में वेतन से होने वाली 12.75 लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। पहले इस पर 80,000 रुपये तक टैक्स देना पड़ता था। अगर आपकी सालाना कमाई 12.75 लाख रुपये है तो 75,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलेगा। बाकी 12 लाख रुपये पर 60,000 रुपये का टैक्स बनेगा। आयकर कानून की धारा-87ए के तहत 60,000 रुपये तक की छूट मिलती है। ऐसे में 12 लाख रुपये कमाने वालों पर जो 60,000 रुपये का टैक्स बनेगा, उसमें 87ए के तहत पूरी छूट मिल जाएगी।

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अब फायदेमंद नहीं पुरानी व्यवस्था
सीए अंकित गुप्ता की मानें तो बजट में नई कर व्यवस्था में बदलाव के बाद अब पुरानी व्यवस्था फायदेमंद नहीं रह गई है। पुरानी कर व्यवस्था में आयकर कानून की धारा-80सी के तहत 1.50 लाख के निवेश, स्वास्थ्य बीमा पर 50 हजार रुपये, होम लोन के ब्याज पर 2 लाख रुपये और एनपीएस में 50 हजार की बचत मिलाकर कुल 4 से 4.5 लाख रुपये पर ही टैक्स बचाया जा सकता है। यह एक मध्यमवर्गीय व्यक्ति के लिए बोझ है। इतना कुछ करने के बाद भी पूरी तरह से टैक्स नहीं बच पाता है। ऐसे में नई संशोधित कर प्रणाली ही फायदेमंद है।

कुछ अपवादों का भी रखें ध्यान
अंकित बताते हैं कि अगर होम लोन लिया है और उसे किराये पर दिया गया है, तो यहां कुछ मामलों में पुरानी कर प्रणाली फायदेमंद हो सकती है। किराये पर दिए घर के लिए चुकाए जाने वाले  ब्याज पर पूरी छूट पाई जा सकती है। इसे उदाहरण से समझते हैं...

  • अगर आपने एक करोड़ का होम लोन लिया है, जिस पर 8 से 9 लाख सालाना ब्याज दे रहे हैं तो आप पूरी ब्याज राशि पर टैक्स छूट ले सकते हैं। इस स्थिति में पुरानी कर प्रणाली को अपना सकते हैं।
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