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Tariff Impact: ट्रंप के टैरिफ से चीन के अमेरिका को निर्यात में कमी, छह महीने के उच्च स्तर पर वैश्विक निर्यात
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, हांगकांग
Published by: पवन पांडेय
Updated Mon, 13 Oct 2025 10:30 AM IST
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सार
China-US Exports: चीन और अमेरिका के बीच निर्यात में पिछले छह महीने भारी गिरावट दर्ज की गई है। जबकि इसी समय के दौरान चीन के वैश्विक निर्यात में उच्चतम स्तर पर बढ़ोत्तरी देखी गई है। इसके पीछे की मुख्य वजह ट्रंप का टैरिफ और दोनों देशों के बीच बढ़ता तनाव है।

सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : ANI
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विस्तार
चीन के लिए सितंबर महीना मिला-जुला रहा। जहां अमेरिका को उसका निर्यात 27% गिरा, वहीं बाकी दुनिया में उसका व्यापार तेजी से बढ़ा और छह महीने का नया रिकॉर्ड बना दिया। चीन के सीमा शुल्क विभाग द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक, सितंबर में चीन का कुल निर्यात पिछले साल की तुलना में 8.3% बढ़कर 328.5 अरब अमेरिकी डॉलर (लगभग 27 लाख करोड़ रुपये) पर पहुंच गया। यह वृद्धि अगस्त के 4.4% से लगभग दोगुनी रही और अर्थशास्त्रियों के अनुमान से ज्यादा थी।
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अमेरिका को निर्यात में लगातार गिरावट
अमेरिका को चीन का निर्यात पिछले छह महीनों से लगातार गिर रहा है। सितंबर में यह गिरावट 27% रही, जबकि अगस्त में यह 33% थी। इसका बड़ा कारण है दोनों देशों के बीच बढ़ता तनाव- एक तरफ नए टैरिफ, दूसरी तरफ व्यापार पर नियंत्रण।
दूसरे बाजारों में मजबूती
अमेरिका के मुकाबले चीन ने अन्य क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत की है।
चीन के आयात में भी सुधार
सितंबर में चीन का आयात भी 7.4% बढ़ा। अगस्त में यह केवल 1.3% बढ़ा था। हालांकि घरेलू अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार और रियल एस्टेट संकट से घरेलू खपत पर अब भी दबाव बना हुआ है।
ट्रंप की नीतियों के कारण निर्यात में गिरावट
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के कारण, जो अमेरिकी कंपनियों को अपने कारखाने अमेरिका में शिफ्ट करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, चीन ने अन्य क्षेत्रों में अपने उत्पादों के लिए नए बाजार खोजने की कोशिश की है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका निर्यात में गिरावट के बावजूद, चीन का वैश्विक व्यापार मजबूत बना हुआ है और अन्य देशों में निर्यात बढ़ाकर चीन इस दबाव को कम करने की कोशिश कर रहा है।
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अमेरिका-चीन में बढ़ता तनाव
दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध फिर गर्माने लगा है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन पर 100% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी दी है। चीन ने भी अमेरिकी जहाजों पर नए बंदरगाह शुल्क लगाने और लिथियम-आयन बैटरी व दुर्लभ धातुओं के निर्यात पर नियंत्रण बढ़ाने का ऐलान किया। अमेरिका ने पहले ही चीनी जहाजों पर पोर्ट फीस लगाने का प्लान बनाया था। चीन के उप सीमा शुल्क मंत्री वांग जुन ने कहा, 'बाहरी माहौल अब भी चुनौतीपूर्ण और अनिश्चित है। चौथी तिमाही में हमें व्यापार को स्थिर करने के लिए और मेहनत करनी होगी।' अर्थशास्त्री गैरी नग का कहना है कि चीन का निर्यात इसलिए टिकाऊ बना हुआ है क्योंकि उसके उत्पादों के सस्ते दाम हैं और उनके विकल्प बहुत सीमित हैं। लेकिन उन्होंने चेतावनी दी- अगर निर्यात नियंत्रण बढ़े और सप्लाई चेन पर रोक लगे, तो असर लंबे समय तक रह सकता है।

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अमेरिका को निर्यात में लगातार गिरावट
अमेरिका को चीन का निर्यात पिछले छह महीनों से लगातार गिर रहा है। सितंबर में यह गिरावट 27% रही, जबकि अगस्त में यह 33% थी। इसका बड़ा कारण है दोनों देशों के बीच बढ़ता तनाव- एक तरफ नए टैरिफ, दूसरी तरफ व्यापार पर नियंत्रण।
दूसरे बाजारों में मजबूती
अमेरिका के मुकाबले चीन ने अन्य क्षेत्रों में अपनी पकड़ मजबूत की है।
- दक्षिण पूर्व एशिया को निर्यात: 15.6% की वृद्धि
- लैटिन अमेरिका को निर्यात: 15% की वृद्धि
- अफ्रीका को निर्यात: 56% की बड़ी छलांग
चीन के आयात में भी सुधार
सितंबर में चीन का आयात भी 7.4% बढ़ा। अगस्त में यह केवल 1.3% बढ़ा था। हालांकि घरेलू अर्थव्यवस्था की धीमी रफ्तार और रियल एस्टेट संकट से घरेलू खपत पर अब भी दबाव बना हुआ है।
ट्रंप की नीतियों के कारण निर्यात में गिरावट
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियों के कारण, जो अमेरिकी कंपनियों को अपने कारखाने अमेरिका में शिफ्ट करने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, चीन ने अन्य क्षेत्रों में अपने उत्पादों के लिए नए बाजार खोजने की कोशिश की है। विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका निर्यात में गिरावट के बावजूद, चीन का वैश्विक व्यापार मजबूत बना हुआ है और अन्य देशों में निर्यात बढ़ाकर चीन इस दबाव को कम करने की कोशिश कर रहा है।
यह भी पढ़ें - SEBI: शेयर बाजार में एनआरआई लोगों की सहभागिता बढ़ाने पर जोर, सेबी प्रमुख तुहिन कांत पांडे का बयान
अमेरिका-चीन में बढ़ता तनाव
दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध फिर गर्माने लगा है। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने चीन पर 100% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी दी है। चीन ने भी अमेरिकी जहाजों पर नए बंदरगाह शुल्क लगाने और लिथियम-आयन बैटरी व दुर्लभ धातुओं के निर्यात पर नियंत्रण बढ़ाने का ऐलान किया। अमेरिका ने पहले ही चीनी जहाजों पर पोर्ट फीस लगाने का प्लान बनाया था। चीन के उप सीमा शुल्क मंत्री वांग जुन ने कहा, 'बाहरी माहौल अब भी चुनौतीपूर्ण और अनिश्चित है। चौथी तिमाही में हमें व्यापार को स्थिर करने के लिए और मेहनत करनी होगी।' अर्थशास्त्री गैरी नग का कहना है कि चीन का निर्यात इसलिए टिकाऊ बना हुआ है क्योंकि उसके उत्पादों के सस्ते दाम हैं और उनके विकल्प बहुत सीमित हैं। लेकिन उन्होंने चेतावनी दी- अगर निर्यात नियंत्रण बढ़े और सप्लाई चेन पर रोक लगे, तो असर लंबे समय तक रह सकता है।