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सुप्रीम कोर्ट: बाजार के दुरुपयोग मामले में सीसीआई जांच के खिलाफ एशियन पेंट्स की याचिका खारिज, दिया गया यह तर्क

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Mon, 13 Oct 2025 05:40 PM IST
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सार

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के एक आदेश के खिलाफ एशियन पेंट की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। क्या है पूरा मामला? आइए जानते हैं विस्तार से।

SC declines to hear Asian Paints’ plea challenging CCI investigation into alleged market abuse
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) के एक आदेश के खिलाफ एशियन पेंट की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। सीसीआई ने अपने आदेश में सजावटी पेंट के विनिर्माण और बिक्री के बाजार में अपनी प्रभुत्व वाली स्थिति का कथित रूप से दुरुपयोग करने के लिए एशियन पेंट के खिलाफ जांच का निर्देश दिया गया था।



न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और न्यायमूर्ति विजय बिश्नोई की पीठ ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। हाईकोर्ट ने सीसीआई जांच को बरकरार रखा था। चूंकि सर्वोच्च न्यायालय इस मामले पर विचार करने के लिए इच्छुक नहीं था, इसलिए मामले को वापस लिया हुआ मानकर खारिज कर दिया गया।
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सीसीआई का यह निर्देश ग्रासिम इंडस्ट्रीज (बिड़ला पेंट्स डिवीजन) की ओर से दायर की गई शिकायत के बाद आया है। जिसमें एशियन पेंट्स पर आरोप लगाया गया था कि वह भारतीय सजावटी पेंट्स क्षेत्र में उसके प्रवेश और विकास को बाधित करने के उद्देश्य से बहिष्करणकारी व्यवहार अपना रही है।

सीसीआई ने आदेश में कहा था, "आयोग की राय है कि वर्तमान मामले में ओपी (एशियन पेंट्स) की ओर से अधिनियम की धारा 4(2)(ए)(आई), 4(2)(सी) और 4(2)(डी) के प्रावधानों के उल्लंघन का प्रथम दृष्टया मामला बनता है।" प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 की धारा 4 प्रभुत्वशाली स्थिति के दुरुपयोग पर रोक लगाती है।

इसी कारण, निष्पक्ष व्यापार नियामक ने महानिदेशक को इसकी जांच करने और 90 दिनों के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। आदित्य बिड़ला समूह की इकाई ग्रासिम ने पिछले साल फरवरी में 'बिड़ला ओपस पेंट्स' ब्रांड के तहत सजावटी पेंट्स क्षेत्र में कदम रखा था।

प्रतिस्पर्धा नियामक ने पाया कि "ओपी (एशियन पेंट्स) अपने डीलरों को ओपी के प्रतिस्पर्धियों जैसे कि मुखबिर (ग्रासिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड) के साथ लेन-देन करने से रोककर ऐसे डीलरों पर विशिष्टता लागू करके उन पर अनुचित शर्तें थोप रहा है, जो शोषणकारी आचरण की प्रकृति का पाया गया है।"

इसके अलावा, "आवश्यक कच्चे माल के आपूर्तिकर्ताओं को मुखबिर जैसे ओपी के प्रतिस्पर्धियों को माल और सेवाएं प्रदान करने से रोककर, साथ ही मकान मालिकों, सीएंडएफ एजेंटों और ट्रांसपोर्टरों को ग्रासिम जैसे प्रतिस्पर्धियों के साथ जुड़ने से परहेज करने के लिए मजबूर करके, एशियन पेंट्स प्रथम दृष्टया बाजार में नए प्रवेशकों के लिए बाधाएं पैदा करने के साथ-साथ बाजार में प्रतिस्पर्धा को आंशिक रूप से बंद करने का काम कर रहा है।"

नियामक ने कहा कि इस प्रकार, प्रथम दृष्टया ऐसा प्रतीत होता है कि एशियन पेंट्स का आचरण भारत में प्रतिस्पर्धा पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। आदेश में स्पष्ट किया गया कि की गई टिप्पणियां मामले के गुण-दोष पर अंतिम राय नहीं हैं और महानिदेशक को निर्देश दिया गया कि वे यहां की गई टिप्पणियों से किसी भी तरह प्रभावित हुए बिना जांच करें।

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