Report: जुलाई में खुदरा महंगाई रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंचने की उम्मीद, SBI ने FY2026 के लिए की यह भविष्यवाणी
Report: भारत की खुदरा महंगाई दर जुलाई 2025 में रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच सकती है। वहीं, वित्तीय वर्ष 2025-26 में औसत सीपीआई मुद्रास्फीति दर भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान से काफी कम रहने का अनुमान है। भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में यह बात कही है। रिपोर्ट में महंगाई के अलावा अमेरिका को वस्त्रों के निर्यात पर भी टिप्पणी की गई है। आइए विस्तार से जानें इस रिपोर्ट के बारे में।

विस्तार
भारत की खुदरा महंगाई दर जुलाई 2025 में रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच सकती है। वहीं, वित्तीय वर्ष 2025-26 में औसत सीपीआई मुद्रास्फीति दर भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान से काफी कम रहने का अनुमान है। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अपनी एक रिपोर्ट में यह बात कही है।

रिपोर्ट में कहा गया है, "हमारा मानना है कि आगामी जुलाई 2025 के सीपीआई मुद्रास्फीति के आंकड़े अब तक के सबसे निचले स्तर को पार कर जाएंगे।" एसबीआई का अनुमान है कि वित्त वर्ष 26 के लिए औसत सीपीआई मुद्रास्फीति 3.0-3.2 प्रतिशत के बीच रहेगी, जो आरबीआई के 3.7 प्रतिशत के अनुमान से कम और वित्त वर्ष 25 में दर्ज 4.6 प्रतिशत के औसत से काफी कम है। खुदरा महंगाई दर में तेज गिरावट आरबीआई की ओर से अपनी जून की नीति में हाल ही में की गई 50 आधार अंकों की दर में कटौती के बाद आई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति के अनुकूल अनुमानों के साथ, केंद्रीय बैंक अब अधिक टिकाऊ और निरंतर विकास सुनिश्चित करने के लिए पूंजी निर्माण को मदद पहुंचाने पर पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने अपने प्रस्ताव में उल्लेख किया है, समिति मौद्रिक नीति के भविष्य के पाठ्यक्रम पर निर्णय लेते समय आंकड़ों पर निर्भर रहती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि इसका उद्देश्य विकास और मुद्रास्फीति के बीच संतुलन बनाना है। भविष्य के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि बाहरी व्यापार संबंधी व्यवधान और अप्रत्याशित मूल्य परिवर्तन के जोखिम के बावजूद एसबीआई वर्तमान मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति को पूरी तरह से अनुकूल मानता है।
जून 2025 में भारत की सीपीआई मुद्रास्फीति 77 महीने के निचले स्तर 2.10 प्रतिशत पर आ गई, जो मई 2025 में 2.82 प्रतिशत और जून 2024 में 5.08 प्रतिशत थी। यह गिरावट काफी हद तक खाद्य मुद्रास्फीति में तेज गिरावट के कारण हुई, जो 77 महीने के निचले स्तर -0.20 प्रतिशत पर आ गई। सब्जियों, दालों और मसालों जैसे प्रमुख खाद्य पदार्थों की कीमतों में गिरावट ने इस गिरावट में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
हालांकि, रिपोर्ट में आयातित मुद्रास्फीति को लेकर चिंता जताई गई है, जो जून 2025 में लगातार 13वें महीने बढ़ती रही। सोने और चांदी की ऊंची कीमतें इस वृद्धि में मुख्य रूप से योगदान दिया। सीपीआई में आयातित मुद्रास्फीति की हिस्सेदारी जून 2025 में बढ़कर 71 प्रतिशत हो गई, जो मई में 50 प्रतिशत थी।
कपड़ों के निर्यात पर भी रिपोर्ट में टिप्पणी
भारतीय स्टेट बैंक की रिपोर्ट में भारत के कपड़ों के निर्यात पर भी टिप्पणी की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिकी टैरिफ की आशंकाओं के बीच भारत बांग्लादेश, कंबोडिया और इंडोनेशिया के कपड़ा निर्यात के हिस्से पर कब्जा कर सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रमुख एशियाई निर्यातकों के साथ चल रहे टैरिफ तनाव के बीच, भारत अमेरिका को अपना परिधान निर्यात बढ़ा सकता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत, जिसकी वर्तमान में अमेरिकी परिधान आयात बाजार में 6 प्रतिशत हिस्सेदारी है, प्रतिस्पर्धी देशों से 5 प्रतिशत अतिरिक्त हिस्सेदारी हासिल करने पर लाभ हासिल कर सकता है। यह संभावित लाभ भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 0.1 प्रतिशत की वृद्धि ला सकता है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि रसायनों (कैमिकल्स) के मामले में अपनी मजबूत स्थिति के अलावा, भारत को वस्त्र उद्योग में एक स्पष्ट तुलनात्मक लाभ (आरसीए) प्राप्त है और वह अमेरिका को परिधान और सहायक उपकरण निर्यात करता है।
हालांकि, इस क्षेत्र में उसे बांग्लादेश, कंबोडिया, इंडोनेशिया और वियतनाम जैसे देशों से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से, वियतनाम वर्तमान में अधिक अनुकूल टैरिफ संरचना के साथ फायदे में है।