और महंगा होगा कच्चा तेल, पेट्रोल-डीजल से लेकर एलपीजी-सीएनजी पर पड़ेगा असर
- ओपेक की आपूर्ति में कटौती और ईरान-वेनेजुएला पर अमेरिकी प्रतिबंधों का असर
- 25 फीसदी महंगा हुआ क्रूड इस साल जनवरी से मार्च तक
- 40 फीसदी उछाल आया था 2009 की दूसरी तिमाही में क्रूड में

विस्तार
तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक द्वारा आपूर्ति में कटौती और अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण कच्चा तेल लगातार महंगा हो रहा है। पिछले एक दशक के दौरान 2019 की पहली तिमाही में क्रूड के दाम सबसे तेजी से बढ़े हैं। इस साल की शुरुआत से ही ओपेक अपनी आपूर्ति में कटौती करता जा रहा है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में शुक्रवार को ब्रेंट क्रूड की कीमतें 24 सेंट उछलकर 68.06 डॉलर प्रति बैरल के भाव पहुंच गईं। इस सप्ताह ब्रेंट फ्यूचर में 1.5 फीसदी की तेजी रही और जनवरी से मार्च की पहली तिमाही में क्रूड के दाम 25 फीसदी तक बढ़ गए। यह 2009 की दूसरी तिमाही के बाद सबसे तेज उछाल है, जब ब्रेंट क्रूड के भाव एक तिमाही में 40 फीसदी बढ़े थे।
इसी तरह, यूएस डब्ल्यूटीआई कच्चे तेल के दाम भी इस साल की पहली तिमाही में 30 फीसदी बढ़े, जो 2009 में एक तिमाही में 40 फीसदी उछले थे। कीमतों में यह तेजी ओपेक और सहयोगी देशों जैसे रूस की ओर से 12 लाख बैरल प्रतिदिन की आपूर्ति घटाने की वजह से दिखी है।
सैक्सो बैंक के कमोडिटी रणनीतिकार ओले हैंसन का कहना है कि ओपेक ने पिछले साल दिसंबर में क्रूड के दाम 38 फीसदी कम होने के बाद अपना लाभ बढ़ाने के लिए आपूर्ति घटाई है।

अगली तिमाही भी बढ़ेंगे दाम
ब्रिटेन के बार्क्ले बैंक का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में उछाल साल की दूसरी तिमाही में भी जारी रहेगा। अप्रैल-जून तिमाही में इसके 73 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचने का अनुमान है, जबकि पूरे साल का औसत 70 डॉलर प्रति बैरल रह सकता है।
हालांकि, जून में ओपेक संगठन दोबारा बैठक कर कटौती रोकने या आगे जारी रखने पर फैसला करेगा। संगठन का अगुआ सऊदी अरब यह कटौती पूरे साल जारी रखना चाहता है, जबकि रूस ने सितंबर तक आपूर्ति बहाल करने की शर्तों पर खुद को इसमें शामिल किया था।
वैश्विक मंदी का खतरा
क्रूड की बढ़ती कीमतों के कारण विश्लेषक वैश्विक मंदी का खतरा भांप रहे हैं। ओले हैंसन का कहना है कि शॉर्ट टर्म में इस बड़े जोखिम से शेयर बाजार में कमजोरी आ सकती है। बैंक ऑफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफाएमएल) का कहना है कि हाल के महीनों में कारोबारी भरोसा कमजोर हुआ है और वैश्विक विनिर्माण पीएमआई संकुचित हो रहा है। अगली तिमाही क्रूड के दाम 74 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच सकते हैं।
महंगी होगी सीएनजी-पीएनजी
अगले वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में प्राकृतिक गैस के दाम 10 फीसदी बढ़ेंगे, जो तीन साल में उसका सर्वोच्च स्तर होगा। इस उछाल से सीएनजी और पीएनजी की कीमतों में भी इजाफा होगा। अप्रैल-सितंबर की तिमाही में घरेलू प्राकृतिक गैस के दाम 3.69 मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट पहुंच जाएंगे, जो इससे पहले छह महीने में 3.36 डॉलर पर था।
इसके अलावा मुश्किल क्षेत्रों से उत्पादित होने वाले प्राकृतिक गैस का दाम मौजूदा के 7.67 डॉलर से बढ़कर सितंबर तक 9.31 डॉलर पहुंच जाएंगे। यह लगातार चौथी बार होगा जब गैस की कीमतों में इजाफा किया जाएगा।