Dhanteras 2023: क्या आपने भी गोल्ड ईटीएफ के जरिए सोने में निवेश का मन बनाया है? जानें इसके बारे में सबकुछ
Dhanteras 2023: गोल्ड ईटीएफ गैर-भौतिक रूप में सोने की खरीदारी का एक अधिक लागत प्रभावी तरीका है। गोल्ड ईटीएफ या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड एक सामान्य निवेश फंड की तरह ही होता है, जिसमें एक्सचेंजों के जरिए कारोबार होता है
विस्तार
आज धनतेरस है। धनतेरस के दिन को लोग बर्तन और धातुओं से बनी वस्तुओं की खरीद करने के लिए शुभ मानते हैं। इस मौके पर बड़ी संख्या में लोग सोने की खरीदारी करते हैं। पश्चिम एशिया में तनाव के बीच सुरक्षित निवेश की अपील बढ़ने से पिछले महीने सोने की कीमतों 7 प्रतिशत से अधिक की तेजी दिखी, हालांकि अब इसमें नरमी आई है। धनतेरस से एक दिन पहले एमसीएक्स पर सोने का दिसंबर वायदा 0.2 फीसदी की गिरावट के साथ 59,874 रुपये प्रति 10 ग्राम पर कारोबार करता दिखा। जानकारों के अनुसार इस साल धनतेरस पर गोल्ड ईटीएफ के जरिए कीमती धातु में निवेश करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
लेकिन सबसे पहले, गोल्ड ईटीएफ वास्तव में क्या है यह जानते हैं?
गोल्ड ईटीएफ गैर-भौतिक रूप में सोने की खरीदारी का एक अधिक लागत प्रभावी तरीका है। गोल्ड ईटीएफ या एक्सचेंज ट्रेडेड फंड एक सामान्य निवेश फंड की तरह ही होता है, जिसमें एक्सचेंजों के जरिए कारोबार होता है, लेकिन इसमें अंतर्निहित संपत्ति के रूप में केवल सोना होता है। यह निवेश विकल्प घरेलू बाजार में भौतिक सोने की कीमतों को ट्रैक करता है और बुलियन में निवेश करता है। आसान भाषा में कहें तो, गोल्ड ईटीएफ निवेशकों को भौतिक सोने का प्रतिनिधित्व करने वाली इकाइयों को खरीदने में सक्षम बनाता है, जो कागज या डीमैट रूप में हो सकते हैं।
चूंकि इसका मूल्य सोने के बाजार मूल्य से जुड़ा हुआ है, इसलिए भौतिक सोने के बजाय गोल्ड ईटीएफ खरीदना पीली धातु में निवेश करने का एक अधिक कुशल तरीका माना जाता है। एक गोल्ड ईटीएफ की इकाई एक ग्राम सोने के बराबर होती है जो बहुत अधिक शुद्धता वाले भौतिक सोने का मूल्य होता है।
गोल्ड ईटीएफ में निवेश कैसे करें
इक्विटी आधारित प्रतिभूतियों की तरह, गोल्ड ईटीएफ भी शेयर बाजार में सूचीबद्ध होते हैं देश के दोनों स्टॉक एक्सचेंज बीएसई और एनएसई पर कारोबार करते हैं। इसलिए, उनकी खरीदारी बाजार के घंटों के दौरान बाजार मूल्यों पर किया जा सकता है।
गोल्ड ईटीएफ बेचने पर क्या होता है?
इस गोल्ड ईटीएफ की बिकवाली करने पर आपको फिजिकल गोल्ड नहीं मिलता है, इसके बदले आपको उसकी कीमत के समतुल्य नकद मिलता है।
गोल्ड ईटीएफ पर क्या कहते हैं जानकार?
क्वांटम म्यूचुअल फंड के फंड मैनेजर गजल जैन के अनुसार, 'गोल्ड ईटीएफ आज देश के प्रमुख डिजिटल गोल्ड विकल्पों में से एक है। सितंबर 2023 तिमाही में इसमें 1,659.5 करोड़ रुपये का निवेश देखा गया। गोल्ड ईटीएफ की ईकाइयों की एक्सचेंजों पर खरीदारी की जा सकती है। इससे बाजार की कीमतों के करीब, निवेशकों को तरलता और मूल्य दक्षता मिलती है। कोई भी भी 0.01 ग्राम तक के मूल्यवर्ग के लिए गोल्ड ईटीएफ के माध्यम से अपना स्वर्ण निवेश शुरू कर सकता है। म्यूचुअल फंड निवेशक भी गोल्ड ईटीएफ में निवेश करने का विकल्प चुन सकते हैं।
जैन ने कहा, 'गोल्ड ईटीएफ और गोल्ड म्यूचुअल फंड जैसे वित्तीय, शुद्ध और मूल्य दक्ष माध्यमों से सोने में निवेश करना चाहिए और आभूषण खरीदने के लिए धन की जरूरत पड़ने पर उन्हें बाजार मूल्य के करीब भुनाना चाहिए।
भौतिक सोने से गोल्ड ईटीएफ कैसे बेहतर है?
गोल्ड ईटीएफ सोने में निवेश करने का एक डिजिटल तरीका प्रदान करता है। यह स्टॉक निवेश के लचीलेपन के साथ सोने में परंपरागत तरीके से निवेश करने की सहूलियत देता है। समय के साथ-साथ यह सोने की तरह ही मुनाफा भी दे सकता है।
म्यूचुअल फंड निकाय एएमएफआई ने कहा, "सोने की सीधी कीमत की वजह से गोल्ड ईटीएफ में पूरी पारदर्शिता है। इसके अलावा इसकी अनूठी संरचना और निर्माण तंत्र के कारण, ईटीएफ में भौतिक सोने के निवेश की तुलना में बहुत कम खर्च होता है।"
सीधे शब्दों में कहें तो गोल्ड ईटीएफ मूल्य निर्धारण के मामले में उच्च स्तर की पारदर्शिता प्रदान करते हैं। सोने की कीमतों में बदलाव गोल्ड ईटीएफ की इकाइयों में परिलक्षित होता है, इसलिए कोई भी वर्तमान सोने की कीमत को बहुत अच्छी तरह से ट्रैक कर सकता है। दूसरी ओर, गोल्ड बुलियन के मामले में यह पारदर्शिता नहीं है।
गोल्ड ईडीएफ पर कर कैसे लगता है?
जानकारों के अनुसार डेट और गोल्ड समेत सभी ईटीएफ का टैक्स स्ट्रक्चर एक जैसा है। अल्पकालिक और दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ को परिभाषित करने के तरीके में अंतर पाया जा सकता है। जब एसेट्स को तीन साल से कम समय के लिए होल्ड किया जाता है, तो शॉर्ट टर्म गेन्स मिलते हैं, जबकि लॉन्ग टर्म गेन तब हासिल होता है, जब होल्डिंग्स को तीन साल से ज्यादा समय तक रखा जाता है।
इंडेक्सेशन बेनिफिट्स के अलावा इन ईटीएफ पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस पर 20 पर्सेंट टैक्स लगता है। अल्पकालिक पूंजीगत लाभ को निवेशक की वार्षिक आय में जोड़ा जाता है और इस पर उचित आयकर स्लैब दरों के अनुसार टैक्स लगता है।