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GDP: अर्थव्यवस्था की बढ़ेगी रफ्तार; बजट में कर आधार बढ़ाने और निवेश प्रोत्साहन पर फोकस कर रही सरकार

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली। Published by: निर्मल कांत Updated Thu, 25 Dec 2025 04:54 AM IST
सार

GDP: सरकार बजट 2026-27 में ऊंची प्रत्यक्ष कर दरें स्थिर रखते हुए कर आधार बढ़ाने और निवेश व रोजगार को प्रोत्साहित करने पर जोर दे सकती है। थिंक चेंज फोरम की रिपोर्ट के अनुसार जीएसटी सुधारों से साबित हुआ है कि कर सरलीकरण और संतुलित दरों से राजस्व बढ़ाया जा सकता है।

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Economic growth to accelerate; govt focusing on expanding tax base and encouraging investment in budget
जीडीपी - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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सरकार अगले वित्त वर्ष 2026-27 के बजट में प्रत्यक्ष कर आधार को व्यापक बनाने, निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहित करने, आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बढ़ाने और रोजगार के अवसर सृजित करने के लिए उच्च प्रत्यक्ष कर दरों को स्थिर रखने पर जोर दे सकती है। 
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भारत की नई कराधान विचारधारा का स्वरूप : सरलीकरण, संतुलन एवं वृद्धि शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि जीएसटी 2.0 के तहत हाल के सुधारों से यह स्पष्ट हुआ है कि मजबूत राजस्व वृद्धि के साथ कर व्यवस्था का सरलीकरण एवं टैक्स दरों में संतुलन संभव है। इससे लंबे समय से जारी इस धारणा को चुनौती मिली है कि कर संग्रह बढ़ाने के लिए टैक्स की ऊंची दरें जरूरी होती हैं।
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शोध संस्थान थिंक चेंज फोरम (टीसीएफ) की बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है, भारत जल्द केंद्रीय बजट 2026-27 पेश करने वाला है। इसमें सरकार की ओर से लिए जाने वाले फैसले यह तय करेंगे कि देश की कराधान व्यवस्था दीर्घकालिक आर्थिक विस्तार के लिए उत्प्रेरक बनती है या फिर महत्वाकांक्षाओं पर अंकुश लगाने वाला कारक।

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नीति-निर्माताओं को छह सूत्री सलाह
रिपोर्ट में नीति-निर्माताओं के लिए छह सूत्री सलाह दी गई है। इसमें प्रत्यक्ष करों, प्रवर्तन और निवेश नीति तक जीएसटी सुधारों के सिद्धांतों का विस्तार करने का आग्रह किया गया है। इन सुझावों में मुख्य तौर पर नीतिगत स्थिरता एवं अनुपालन-आधारित वृद्धि को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया है।

रिपोर्ट में उच्च टैक्स दरों को स्थिर रखने, दरें बढ़ाने के बजाय प्रौद्योगिकी के माध्यम से प्रत्यक्ष कर आधार का विस्तार करने, मुआवजा उपकर समाप्त होने के बाद एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) आधारित कराधान से बचने, जीएसटी इनपुट कर्ज शृंखला को पूरा करने, मुनाफे के उत्पादक पुनर्निवेश को प्रोत्साहित करने और तस्करी-अवैध कारोबार सहित समानांतर अर्थव्यवस्था के खिलाफ कार्रवाई तेज करने की सिफारिश की गई है।

शोध संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में कहा, केंद्रीय बजट में दीर्घकालिक नीतिगत स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए अर्थशास्त्र के संतुलन सिद्धांत के अनुरूप उच्च प्रत्यक्ष कर दरों को स्थिर रखने की प्रतिबद्धता जतानी चाहिए। साथ ही, राजस्व जुटाने का जोर टैक्स दरें बढ़ाने के बजाय कर आधार के विस्तार पर होना चाहिए।

कर आधार बढ़ाना इसलिए जरूरी
रिपोर्ट में कहा गया है कि कर-जीडीपी अनुपात में सुधार के लिए प्रत्यक्ष कर आधार का विस्तार करना अत्यंत आवश्यक है। 140 करोड़ की आबादी में सिर्फ 2.5 से तीन करोड़ प्रभावी करदाता हैं। ऐसे में बजट को दरें बढ़ाने के बजाय जीएसटी, आयकर और उच्च मूल्य उपभोग से जुड़े आंकड़ों को एकीकृत कर प्रौद्योगिकी आधारित टैक्स आधार विस्तार को प्राथमिकता देनी चाहिए। कर-जीडीपी अनुपात यह मापने का पैमाना है कि किसी देश के कुल राजस्व (जीडीपी) का कितना हिस्सा सरकार टैक्स के रूप में इकट्ठा करती है।

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जीडीपी में निवेश विरोधाभास
रिपोर्ट में जीडीपी में बढ़ते निवेश विरोधाभास को भी रेखांकित किया गया है। एक दशक में कंपनियों की लाभप्रदता में सुधार हुआ है, लेकिन निवेश-से-जीडीपी अनुपात 2011 से पहले के उच्च स्तर से काफी नीचे बना हुआ है। यह बताता है कि मुनाफा उत्पादक क्षमता के बजाय वित्तीय एसेट में लगाया जा रहा है।

निवेश में ठहराव को देखते हुए बजट में लक्षित कर प्रोत्साहनों के जरिये कॉरपोरेट आय को वित्तीय निवेशों के बजाय विनिर्माण, आरएंडडी और रोजगार सृजन वाली परिसंपत्तियों की ओर प्रवाहित किया जाना चाहिए।

निवेश-से-जीडीपी अनुपात यह मापता है कि देश की जीडीपी का कितना प्रतिशत नए निवेश (जैसे मशीनरी, भवन, इन्फ्रा) में लगाया जा रहा है।

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