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FICCI: लक्ष्य पाने के लिए गैर-जीवाश्म ईंधन क्षेत्र में निवेशकों का बढ़ाना होगा भरोसा, विशेषज्ञों ने दिया सुझाव

अमर उजाला ब्यूरो/एजेंसी, नई दिल्ली। Published by: निर्मल कांत Updated Thu, 25 Dec 2025 05:07 AM IST
सार

FICCI: देश के गैर-जीवाश्म ऊर्जा लक्ष्यों को हासिल करने के लिए राष्ट्रीय एंव राज्य स्तर का एक ऐसा समन्वित नियामकीय ढांचा बनाने की जरूरत है, जो निवेशकों को दीर्घकालिक भरोसा प्रदान करने में सक्षम हो।

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FICCI: To achieve target investors confidence in non-fossil fuel sector will have to be increased experts
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : अमर उजाला।
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विस्तार
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सरकार ने 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित 500 गीगावॉट बिजली उत्पादन क्षमता हासिल करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है। गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता में सौर, पवन, बायोमास, अपशिष्ट से ऊर्जा और जलविद्युत परियोजनाओं जैसे स्रोत शामिल हैं। उद्योग मंडल फिक्की की ओर से जारी बयान में क्रिसिल के निदेशक (ऊर्जा एवं जिंस) आशीष मित्तल ने कहा, भारत के 500 गीगावॉट गैर-जीवाश्म ऊर्जा के लक्ष्य को हासिल करने के लिए राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर का ऐसा समन्वित नियामकीय ढांचा जरूरी होगा, जो निवेशकों को दीर्घकालिक भरोसा दे सके।
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मित्तल ने बुधवार को फिक्की के इंडिया पावर एंड एनर्जी स्टोरेज कॉन्फ्रेंस में कहा, निवेश से जुड़े जोखिम कम करने और भारत को जिस पैमाने पर निजी पूंजी की आवश्यकता है, उसे आकर्षित करने के लिए कैप-एंड-फ्लोर (वित्तीय वायदा-विकल्प) तंत्र, परियोजना को व्यावहारिक बनाने के लिए वित्तपोषण (वीजीएफ) और स्टोरेज-एज-ए-सर्विस (क्लाउड कंप्यूटिंग) मॉडल अहम भूमिका निभाएंगे। सरकार को लक्ष्य हासिल करने के लिए इन बातों पर ध्यान देना चाहिए। 
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वित्तपोषण ढांचे को विकसित करने की आवश्यकता
एसबीआई के उप प्रबंध निदेशक अशोक शर्मा ने कहा, ऊर्जा भंडारण पूंजी-गहन क्षेत्र है, जिसमें परियोजना लागत का बड़ा हिस्सा बैटरियों का होता है। उन्होंने कहा कि इन परिसंपत्तियों के विशिष्ट जोखिम एवं राजस्व स्वरूप को ध्यान में रखते हुए वित्तपोषण ढांचे को विकसित करने की आवश्यकता है।

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सम्मेलन में प्रबंधन समेत कई मुद्दों पर चर्चा
फिक्की के दो दिन के इस सम्मेलन में नीति-निर्माताओं, नियामकों और उद्योग जगत के शीर्ष अधिकारियों ने हिस्सा लिया। इसमें नवीकरणीय ऊर्जा के एकीकरण की जटिलताओं और तापीय परिसंपत्तियों के प्रबंधन के बीच जूझ रहे ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक खाका तैयार करने पर मंथन किया गया। उद्योग के सामने मौजूद प्रमुख चुनौतियों में ऐसी परियोजनाएं जिनके लिए निविदा जारी की जा चुकी है, के लिए बिजली खरीद समझौतों (पीपीए) पर हस्ताक्षर में देरी, परियोजनाओं के लिए जरूरी मंजूरियों/अनुमतियों का समय पर न मिलना समेत अन्य मुद्दे हैं।

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