GST Reforms: जीएसटी सुधारों पर सीतारमण ने राज्यों का जताया आभार, विपक्ष पर लगाया देश को 'गुमराह' करने का आरोप
निर्मला सीतारमण ने राज्यों के वित्त मंत्रियों को पत्र लिखकर जीएसटी सुधार में उनकी भूमिका के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि राज्यों ने कर दरों में फेरबदल के प्रस्ताव पर अपने विचार रखे लेकिन अंत में आम आदमी के हितों को ध्यान में रखकर सहमत हुए। साथ ही आरोप लगाया कि जीएसटी पर विपक्ष देश को गुमराह कर रहा है।

विस्तार
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी सुधार के समर्थन के लिए राज्यों के वित्त मंत्री को पत्र लिखकर आभार जताया है। उन्होंने कहा कि जीएसटी दरों में कटौती के माध्यम से आम आदमी को राहत देने के लिए सभी राज्य एक साथ आए।

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सर्वसम्मति से 3 सिंतबर को लिया गया फैसला
3 सिंतबर को जीएसटी परिषद की बैठक में जीएसटी सुधार के प्रस्ताव पर सर्वसम्मति बनी। इस पैनल की अध्यक्षता सीतारमण कर रही हैं और इसमें सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि शामिल थे। पैनल को केंद्र द्वारा प्रस्तुत प्रस्ताव पर चर्चा करने के लिए 3 सितंबर से दो दिनों के लिए बैठक करनी थी, लेकिन एक दिन की मैराथन बैठक के बाद पहले ही दिन इसे मंजूरी दे दी गई।
जीएसटी परिषद ने हानिकारक वस्तुओं को छोड़कर सभी उत्पादों को 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दर के तहत लाने को हरी झंडी दे दी है। कई जरूरी वस्तुओं पर टैक्स शून्य करने का निर्णय लिया गया। ये बदलाव 22 सितंबर को नवरात्र के पहले दिन से लागू होंगे।
भारत के लोगों को मिली राहत
वित्त मंत्री ने कहा कि कल मैंने प्रत्येक वित्त मंत्री को पत्र लिखकर उन्हें धन्यवाद दिया। मैंने कहा कि आप कितनी भी गहन चर्चा और तर्क कर सकते हैं, लेकिन अंततः परिषद ने इस अवसर पर कदम उठाया और भारत के सभी लोगों को राहत प्रदान की। और मैं इस सद्भावना के लिए आभारी हूं। इसलिए मैंने यह पत्र लिखा। उन्होंने कहा कि परिषद का कार्य वास्तव में उल्लेखनीय है।
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सीतारमण ने कहा कि इसलिए सदन की भावना यह थी कि यह एक ऐसा प्रस्ताव है जिससे निस्संदेह आम आदमी को लाभ होगा। इसके खिलाफ खड़े होने का कोई मतलब नहीं है, आखिरकार सभी लोग एक अच्छे उद्देश्य के लिए एक साथ आए और मैं वास्तव में बहुत आभारी हूं। उन्होंने कहा कि परिषद ने अपने सदस्यों द्वारा दी गई प्रत्येक टिप्पणी और सुझाव को धैर्यपूर्वक सुना है। आम सहमति पर पहुंचने से पहले सभी बिंदुओं पर गहन विचार-विमर्श किया गया।
राजस्व पर पड़ने वाले प्रभाव की भरपाई का दिया आश्वासन
मंत्री ने कहा कि राज्य हमेशा से कर कटौती के पक्ष में रहे हैं और उनकी एकमात्र चिंता कर कटौती के बाद उनके राजस्व पर पड़ने वाले प्रभाव को लेकर है। उन्होंने कहा कि मैंने उनसे अपील भी की थी कि भारत के लोगों के हित में, कृपया ऐसा करें। यह सिर्फ राज्य नहीं हैं। केंद्र भी इस कटौती से प्रभावित होने वाला है। लेकिन हम इसकी भरपाई कर देंगे, क्योंकि एक बार दरें कम हो जाएंगी, तो लोग खरीदारी के लिए बाहर आएंगे और इससे राजस्व पर पड़ने वाले प्रभाव की भरपाई हो जाएगी। इस तरह आम सहमति बनी।
वित्त मंत्री स्वंय दर कटौती के लाभ की करेंगी निगरानी
केंद्रीय मंत्री ने वादा किया है कि वह व्यक्तिगत रूप से व्यवसायों द्वारा उपभोक्ताओं को जीएसटी दर में कटौती के लाभ की निगरानी करेंगी। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न भागों से कई लोगों ने मुझसे कहा है कि यह एक स्वागत योग्य कदम है, और बदले में मैंने उनसे कहा है कि यदि यह आगे नहीं बढ़ रहा है, तो आप मुझसे संपर्क करें, और मैं मौके पर मौजूद रहूंगी। उन्होंने कहा कि जीएसटी दरों में कटौती का लाभ जनता तक पहुंचाने के लिए उद्योग जगत के कई दिग्गजों ने पहले ही इसका लाभ जनता तक पहुंचाने का वादा किया है।
विपक्ष कर रही देश को गुमराह- सीतारमण
सीतारमण ने आरोप लगाया कि जीएसटी पर विपक्ष देश को गुमराह कर रहा है। उन्होंने कहा कि भारत बेहतर विपक्ष का हकदार है, जीएसटी सुधारों पर उनकी आलोचना गलत जानकारी पर आधारित है। उन्होंने कहा कि भारत बेहतर विपक्ष का हकदार है, जीएसटी सुधारों पर उनकी आलोचना गलत जानकारी पर आधारित है।
कांग्रेस पर साधा निशाना
उन्होंने कांग्रेस पर भी निशाना साधा, जिन्होंने 2017 में लागू किए गए एकीकृत अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था में चार कर स्लैब बनाए जाने का दोष बीजेपी-नेतृत्व वाले एनडीए सरकार पर मढ़ा और हालिया सुधारों में केवल दो स्लैब रखने को अपनी जीत बताया।
सीतारमण ने स्पष्ट किया कि यह बीजेपी का निर्णय नहीं था और तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ही विभिन्न कर स्लैब तय करने या किसी वस्तु पर जीएसटी दर तय करने का निर्णय नहीं कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के मंत्री भी इसमें शामिल थे। "क्या उन्हें इस बात का पता नहीं है?" उन्होंने सवाल किया। उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर विपक्षी नेता तथ्य पेश करके उन्हें गलत साबित कर दें, तो उन्हें माफी मांगने में कोई हिचकिचाहट नहीं होगी।
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कांग्रेस मुद्दे को नहीं समझती
सीतारमण ने कहा कि कांग्रेस अब हरकत में आ गई है। अगर आप मुद्दे को नहीं समझते हैं, तो कम से कम आप चुप रह सकते हैं। उन्होंने मुख्य विपक्षी दल को याद दिलाया कि राज्यों के वित्त मंत्रियों की एक अधिकार प्राप्त समिति ने ही वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू होने से पहले इसमें चार स्लैब रखने का फैसला किया था। इसी समिति ने 2017 से जीएसटी में क्या लागू किया जाना है, इसका खाका तैयार किया था।
वित्त मंत्री ने कहा कि जीएसटी सुधार पर लंबी चर्चाओं में, जिसमें कांग्रेस-नेतृत्व वाली यूपीए सरकार का समय भी शामिल था, वामदल नेता और तब पश्चिम बंगाल के वित्त मंत्री आसिम दासगुप्ता ने सशक्त समिति के अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
सीतारमण ने बताया कि अन्य विपक्षी शासित राज्यों के वित्त मंत्रियों ने भी विभिन्न समयों पर इन विचार-विमर्शों में भाग लिया। उन्होंने कहा कि सशक्त समूह ने विभिन्न राज्यों में किसी वस्तु पर अलग-अलग कर स्तरों का मूल्यांकन किया, उनका औसत निकाला और फिर उस उत्पाद को चार जीएसटी स्लैब में से उस औसत के सबसे करीब वाले स्लैब में रखने पर सहमति बनी।
जयराम रमेश के तर्क को किया खारिज
सीतारमण ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश के इस तर्क को खारिज कर दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में जीएसटी परिषद को तर्कसंगत बनाने की घोषणा करके उसे कमजोर किया है। जीएसटी परिषद एक संवैधानिक निकाय है जो अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था से संबंधित सभी निर्णय लेता है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा जनहितैषी सुधारों पर ध्यान केंद्रित किया है और वे ऐसे और कदम उठाते रहेंगे।