FMCG: कच्चे माल की बढ़ती लागत के कारण एफएमसीजी कंपनियों पर दबाव, कीमतों पर पड़ सकता है असर
FMCG Price Hike: कच्चे माल की बढ़ती कीमतों के कारण दैनिक उपभोग का सामान बनाने वाली कंपनियों (एफएमसीजी) के मार्जिन पर दबाव बढ़ रहा है। इसका असर उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी के रूप में सामने आ सकता है। गेंहू, खाद्य तेल और डेयरी उत्पादों के दाम बढ़ने के कारण नए साल में उपभोक्ताओं को बिस्कुट सहित कुछ अन्य चीजों पर अधिक खर्च करना पड़ सकता है। आइए इस बारे में विस्तार से जानें।

विस्तार
दैनिक उपभोग का सामान बनाने वाली कंपनियां (एफएमसीजी) कच्चे माल की बढ़ती कीमतों की वजह से अपने मार्जिन पर दबाव देख रही है। इससे पहले भी पाम तेल की बढ़ती कीमतों की वजह से कंपनियों ने साबून और पर्सनल केयर उत्पादों के दाम में वृद्धि की थी। वर्तमान समय में भी गेंहू, खाद्य तेल और डेयरी उत्पादों के दाम बढ़ने की वजह से कंपनियों पर दाम बढ़ाने का दबाव बढ़ रहा है। नए साल में उपभोक्ताओं को बिस्कुट सहित कुछ अन्य चीजों के अधिक कीमत चुकानी पड़ सकती है। रिसर्च कंपनी कैंटर की एक रिपोर्ट के अनुसार शहरी क्षेत्र में खाद्य महंगाई दर 11.1 प्रतिशत की दर से बढ़ी है, जो पिछले 15 महीने में सबसे अधिक है और इसका असर एफएमसीजी कंपनियों पर पड़ा है। साल 2025 की पहली छमाही में एफएमसीजी कंपनियों की वृद्धि धीमी रहने की संभावना है।

खाद्य पदार्थों की कीमतों पर आगे भी दिख सकता है दबाव
एक्सिस सिक्योरिटीज के विशेषज्ञ का कहना है कि भविष्य में खाद्य मुद्रास्फीति में कमी आने के कोई संकेत नहीं। जिसका सीधा असर कंपनियों के साथ उपभोक्ताओं पर भी पड़ेगा। रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों को अभी तक कम नहीं किया है जिसकी वजह से वस्तुओं की लागत और इनपुट लागत में बढ़ी हुई है। देखा जाए तो ब्याज दर में कमी करने के बाद इसका चक्र दो तिमाहियों या तीन तिमाहियों के बाद देखने को मिलता है। जिससे कीमतों में गिरावट होती है। हमें उम्मीद है कि कैलेंडर वर्ष 2025 की पहली तिमाही में भारतीय रिजर्व बैंक व अन्य केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में कम करना शुरू कर देंगे, जिसके बाद कैलेंडर वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में एफएमसीजी कंपनियां अच्छा प्रदर्शन करेंगी। टीमलीज की रिपोर्ट के अनुसार एफएमसीजी कंपनियां 2025 की दूसरी तिमाही में अच्छा प्रदर्शन करेंगी।
ग्रामीण क्षेत्र में सुधार से वित्त वर्ष 2026 की वृद्धि को समर्थन मिलेगा
एचडीएफसी सिक्योरिटीज के अध्यक्ष धीरज रैली बताते हैं शहरी मांग में मंदी और निजी पूंजीगत खर्च में सुधार कम होने के कारण इसमें गिरावट हो सकती है, जबकि ग्रामीण मांग में वृद्धि होगी, क्योंकि सरकार द्वारा इन क्षेत्रों के लिए कई तरह की सरकारी योजनाओं चलाई जा रही हैं और आगामी बजट में सरकार ग्रामीण इलाकों की ओर ध्यान देगी, जिसकी वजह से यहा से मांग बढ़ेगी। इसका सीधा फायदा एफएमसजी कंपनियों को होगा। एक्सिस सिक्योरिटीज के विश्लेषक प्रियम टोलिया कहते हैं, हमारा मानना है कि वित्त वर्ष 2025 में एफएमसीजी मांग में सुधार की संभावना कम है। हालांकि, हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2026 में सुधार के संकेत दिखेंगे, जो कम मुद्रास्फीति और ग्रामीण क्षेत्रों में सुधार के पूर्ण प्रभाव से प्रेरित होगा। ग्रामीण भारत में एफएमसीजी की मांग शहरी मांग की तुलना में 400 आधार अंक तक अधिक बढ़ने का अनुमान है।
कंपनियों की बिक्री बढ़ाने की रणनीति
हाल ही में आयोजित सीआईआई नैशनल एफएमसजी सम्मेलन में कंपनियों ने बढ़ी हुई कीमतों का पूरा बोझ ग्राहकों पर न डालते हुए कई तरह के उपाय करने पर विचार किया है। ब्रिटानिया इंटस्ट्रीज के मुख्य कार्याधिकारी रंजीत सिंह कोहली ने कहा कि हमने किमतों वृद्धि तो की है, लेकिन ऐसे कई उपाय कर रहे है, जिससे लागत को कम किया जा सके और ग्राहकों पर पूरा बोझ न पड़े। वहीं पारले प्रोडक्ट्स के उपाध्यक्ष मयंक शाह बताते हैं कि कच्चे माल कीमतें 20 प्रतिशत तक बढ़ चुकी हैं। हम अधिक दाम नहीं बढ़ाना चाहते हैं, लागत को कम करने के लिए कई स्तर पर काम कर रहे हैं। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में कंपनियों ने अपने वितरण नेटवर्क का विस्तार कर रही हैं। जिसमें इन क्षेत्रों में बिक्री को बढ़ाया जा सके।