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आईबीईएफ रिपोर्ट: तेजी से बढ़ते निर्माण उद्योग में बढ़ रही है प्रभावी नेतृत्व और प्रबंधन पेशेवरों की मांग

मुंबई Published by: Anil Vaishya Updated Mon, 03 Feb 2025 08:20 PM IST
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सार

IBEF Report: आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में एमबीए की डिग्री की वैल्यू  विशेष रूप से बिल्ट एनवायरनमेंट यानी मानव निर्मित पर्यावरण के क्षेत्र में बहुत अधिक है।निर्माण उद्योग को व्यवसाय प्रबंधन और प्रौद्धोगिकी में विशेषज्ञता के साथ एक कुशल वर्कफोर्स की आवश्यकता है।

IBEF Report: Demand for effective leadership and management professionals is increasing in the rapidly growing
आईबीईएफ रिपोर्ट - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सबसे महत्वपूर्ण योगदान कर्ताओं में से एक है निर्माण उद्योग।आईबीईएफ की 2021 में जारी रिपोर्ट के मुताबिक जीडीपी में निर्माण उद्योग की हिस्सेदारी करीब 9 फीसद है। भारतीय उद्योग परिसंघ के मुताबिक भारत में निर्माण उद्योग का आकार वर्ष 2030 तक बढ़कर 1 लाख करोड़ डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है।बुनियादी ढांचे के विकास और अफोर्डेबल हाउसिंग पर सरकार के बहुत अधिक ध्यान देने से  निर्माण परियोजनाओं का प्रभावी ढंग से नेतृत्व और प्रबंधन करने के लिए व्यावसायिक कार्यों और प्रबंधन प्रथाओं की मजबूत समझ रखने वाले व्यक्तियों की आवश्यकता भी बढ़ रही है। 
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आंकड़ों से पता चलता है कि भारत में एमबीए की डिग्री की वैल्यू  विशेष रूप से बिल्ट एनवायरनमेंट यानी मानव निर्मित पर्यावरण के क्षेत्र में बहुत अधिक है।निर्माण उद्योग को व्यवसाय प्रबंधन और प्रौद्धोगिकी में विशेषज्ञता के साथ एक कुशल वर्कफोर्स की आवश्यकता है। ऐसे में एमबीए डिग्री ग्रेजुएट्स को बाजार की जरूरत के अनुसार तैयार करती है और तमाम नई खूबियों से लैस करती है, ताकि वे भारतीय निर्माण उद्योग के लिए एक मूल्यवान एसेट्स बन सकें। 
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जैसे-जैसे भारतीय निर्माण उद्योग आगे बढ़ रहा है, वैसे-वैसे एमबीए डिग्री धारकों की मांग भी बढ़ रही है।एमबीए ग्रेजुएट न केवल अपने करियर में सफल हो रहे हैं बल्कि भारत में अधिक न्यायसंगत और सस्टेनेबल कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री बनाने में योगदान दे रहे हैं। 

जनरेटिव एआई और लार्ज लैंग्वेज मॉडल जैसी नई टेक्नोलॉजी के आने के बाद भारतीय निर्माण उद्योग, विशेष रूप से बिल्ट एनवायरनमेंट यानी मानव निर्मित पर्यावरण के क्षेत्र में, एमबीए की डिग्री का महत्त्व और अधिक बढ़ गया है। इसका एक मुख्य कारण यह है कि एमबीए प्रोग्राम छात्रों को एकाउंटेंसी, फाइनेंस, मार्केटिंग , ऑपरेशन और स्ट्रेट्जी जैसे व्यावसायिक कार्यों की व्यापक समझ प्रदान करता है। जो भारतीय निर्माण उद्योग में काम करने वाले व्यवसायों के लिए महत्वपूर्ण है। 

इसके अलावा एमबीए की डिग्री छात्रों में नेतृत्व, संचार, टीमवर्क और सांस्कृतिक समझ जैसे महत्वपूर्ण पारस्परिक कौशल को भी विकसित करने में मदद करती है।भारतीय निर्माण उद्योग में विभिन्न हितधारकों जैसे ग्राहक, नियामक प्राधिकरण, ठेकेदार, सलाहकार आदि के साथ ही जटिल निर्माण परियोजनाओं के प्रबंधन के लिए प्रभावी संचार और टीमवर्क की जरूरत होती है। भारत में निर्माण उद्योग काफी विविधतापूर्ण है और इसमें विभिन्न सांस्कृतिक पृष्ठभूमि के लोगों के साथ काम करना शामिल है, जो एमबीए ग्रेजुऐट्स को भारतीय निर्माण उद्योग में प्रभावी ढंग से काम करने के लिए आवश्यक उपकरणों से लैस करता है। 

एमिटी यूनिवर्सिटी अपने आरआईसीएस स्कूल ऑफ बिल्ट एनवायरनमेंट (आरआईसीएस एसबीई) के जरिये निर्माण उद्योग के लिए एमबीए ग्रेजुएट्स को तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इसकी  स्थापना 2013 में, संस्थापना, रॉयल इंस्टीट्यूशन ऑफ चार्टर्ड सर्वेयर्स (आरआईसीएस), यूनाइटेड किंगडम के सहयोग से की गई थी। नोएडा और मुंबई परिसरों के साथ आरआईसीएस एसबीई उद्योग के नेतृत्व में, निर्माण परियोजना प्रबंधन , निर्माण अर्थशास्त्र और मात्रा सर्वेक्षण, और रियल एस्टेट और शहरी अवसंरचना  में एमबीए के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त कार्यक्रम का संचालन कर रहा है। इसके अलावा रियल एस्टेट और शहरी अवसंरचना में बीबीए, सुविधा प्रबंधन में पीजी डिप्लोमा और पीएचडी कार्यक्रम भी संचालित कर रहा है।ये कार्यक्रम छात्रों को इस बदलाव वाले क्षेत्र में सफलता के लिए तैयार करने के लिए डिजाइन किए गए हैं। 

इतना ही नहीं आरआईसीएस स्कूल ऑफ बिल्ट एनवायरनमेंट प्रमुख कंपनियों के साथ छात्रों को इंटर्नशिप, प्लेसमेंट और लाइव प्रोजेक्ट के लिए अवसर भी प्रदान करता है। इसका अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज प्रोग्राम छात्रों के वैश्विक प्रदर्शन और कैरियर की संभावनाओं को बढ़ाने में मदद करता है। आरआईसीएस (यूके) और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट (पीएमआई - यूएस) द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त कार्यक्रम, शैक्षिक उत्कृष्टता और रियल एस्टेट और निर्माण क्षेत्र में भविष्य के नेताओं को आकार देने के लिए स्कूल की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं। 
 
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