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Real estate: वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स की बढ़ी मांग, 2025 की पहली छमाही में रियल एस्टेट क्षेत्र ने बनाया नया
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: रिया दुबे
Updated Tue, 19 Aug 2025 01:14 PM IST
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सार
वैश्विक रियल एस्टेट सेवा कंपनी जेएलएल के अनुसार भारत में वेयरहाउसिंग सेक्टर लगातार तेजी से बढ़ रहा है। विनिर्माण स्पेस लिजिंग में 2025 की पहली छमाही में 9 मिलियन वर्ग फीट की वृद्धि दर्ज की गई। वेयरहाउसिंग स्पेस में अब 55% हिस्सा ग्रेड-ए यानी बेहतर और आधुनिक सुविधाओं वाले गोदामों का है।

सांकेतिक तस्वीर
- फोटो : ANI
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विस्तार
भारत में औद्योगिक और लॉजिस्टिक्स (आईएंडएल) रियल स्टेट क्षेत्र ने 2025 की पहली छमाही के दौरान बेहतर प्रदर्शन किया है। इसमें विनिर्माण स्थान स्पेस लिजिंग रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। वैश्विक रियल एस्टेट सेवा कंपनी जेएलएल ने यह जानकारी दी है।

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विनिर्माण स्पेस लिजिंग में हुई 38 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि
कंपनी ने कहा कि विनिर्माण स्पेस लिजिंग में 2025 की पहली छमाही में 9 मिलियन वर्ग फीट की वृद्धि दर्ज की गई। पिछले वर्ष दर्ज हुई 6.5 मिलियन वर्ग फीट की तुलना में इस साल 38 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज हुई है।
ग्रेड-ए वेयरहाउसिंग ने मारी बाजी
भारत में वेयरहाउसिंग सेक्टर लगातार तेजी से बढ़ रहा है। देश के आठ बड़े शहरों में मौजूद 463 मिलियन वर्ग फुट वेयरहाउसिंग स्पेस में अब 55% हिस्सा ग्रेड-ए यानी बेहतर और आधुनिक सुविधाओं वाले गोदामों का है।
साल 2025 की पहली छमाही में 25 मिलियन वर्ग फुट वेयरहाउसिंग स्पेस की मांग रही। साल के अंत तक यह 55 से 57 मिलियन वर्ग फुट तक पहुंचने का अनुमान है। यह 2024 के मुकाबले करीब 12 से 15% ज्यादा होगा। कंपनियां अब ज्यादा महत्व ग्रेड-ए वेयरहाउसिंग को दे रही हैं। कुल मांग में 81% हिस्सा इन्हीं आधुनिक और बेहतर सुविधाओं वाले स्पेस का है। यह इस सेक्टर में गुणवत्ता की ओर तेजी से बढ़ते रुझान को दिखाता है।
भरात के पांच प्रमुख शहरों में सबसे ज्यादा मांग
जेएलएल के भारत प्रमुख योगेश शेवड़े ने कहा कि भूगोल का भी अपना महत्व है। बंगलूरू, पुणे, एनसीआर दिल्ली, चेन्नई और मुंबई सामूहिक रूप से भारत की शुद्ध मांग में 90 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते है। विनिर्माण स्पेस में यह छह गुना वृद्धि ने बाजार विकास के साथ-साथ रणनीतिक विकास को भी दर्शाती है।
किस क्षेत्र में कितनी रही मांग?
- 2025 की पहली छमाही के दौरान बंगलूरू में सबसे अधिक मांग रही। उसके बाद पुणे, एनसीआर दिल्ली, चेन्नई और मुंबई का स्थान रहा।
- 3पीएल/लॉजिस्टिक्स क्षेत्र 28 प्रतिशत की मांग के साथ शीर्ष पर बना हुआ है। इसका मतलब है कि कोई कंपनी अपनी सप्लाई चेन, वेयरहाउसिंग, पैकेजिंग, ट्रांसपोर्टेशन या डिलीवरी जैसी लॉजिस्टिक्स जरूरतों को खुद संभालने की बजाय किसी दूसरी विशेषज्ञ कंपनी (3PL कंपनी) को आउटसोर्स कर देती है।
- इसके बाद 24 प्रतिशत के साथ विनिर्माण क्षेत्र का स्थान है, जिसमें ऑटोमोटिव, इंजीनियरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स और व्हाइट गुड्स उद्योग शामिल हैं।
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