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Steel Sector: सस्ते आयात और डंपिंग से इस्पात क्षेत्र को नुकसान, नीतिगत समर्थन जरूरी

अमर उजाला ब्यूरो Published by: लव गौर Updated Thu, 23 Oct 2025 07:24 AM IST
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सार

India Steel Sector: देश के इस्पात क्षेत्र को 2023-24 और 2024-25 के दौरान प्रमुख वैश्विक स्टील उत्पादकों के सस्ते आयात एवं डंपिंग के कारण भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।

india Steel Sector Cheap imports and dumping are hurting steel sector
सस्ते आयात और डंपिंग से इस्पात क्षेत्र को नुकसान - फोटो : अमर उजाला प्रिंट
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विस्तार
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देश के इस्पात क्षेत्र को 2023-24 और 2024-25 के दौरान प्रमुख वैश्विक स्टील उत्पादकों के सस्ते आयात एवं डंपिंग के कारण भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। आरबीआई ने अक्तूबर बुलेटिन में प्रकाशित लेख में कहा, अंतराष्ट्रीय बाजार में कीमतें कम होने के कारण इस्पात आयात में बढ़ोतरी देखी गई है। 2023-24 में भारत के इस्पात आयात में 22 फीसदी की वृद्धि दर्ज की। आयात वृद्धि से इससे घरेलू इस्पात उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। ऐसे में घरेलू इस्पात उत्पादन की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देने के लिए नीतिगत समर्थन की जरूरत है।
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स्टील अंडर सीज: अंडरस्टैंडिंग द इम्पैक्ट ऑफ डंपिंग ऑन इंडिया शीर्षक वाले लेख में कहा गया है, वैश्विक उत्पादकों के सस्ते इस्पात की डंपिंग से घरेलू इस्पात उत्पादन को खतरा हो सकता है। हालांकि, इसे उपयुक्त नीतिगत उपायों से कम किया जा सकता है। हाल ही में सुरक्षा शुल्क लगाने की पहल इस्पात आयात डंपिंग के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करती है।
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रक्षोपाय शुल्क से लगा अंकुश
भारत ने खपत मांग को पूरा करने के लिए इस्पात उत्पादों का आयात किया। देश के लौह एवं इस्पात आयात में 2024-25 की पहली छमाही में 10.7 फीसदी की वृद्धि रही। वहीं, 2024-25 की दूसरी छमाही में कमी दर्ज की गई, जिसका मुख्य कारण रक्षोपाय शुल्क था। 45% इस्पात दक्षिण कोरिया और चीन समेत कई देशों से भारत आयात करता है।

2024-25 में तेजी से बढ़ा आयात
भारत करीब 45 फीसदी इस्पात का आयात करता है। इसमें दक्षिण कोरिया की हिस्सेदारी 14.6 फीसदी और चीन की 9.8 फीसदी है। इसके अलावा, भारत अमेरिका से 7.8 फीसदी, जापान से 7.1 फीसदी और ब्रिटेन से 6.2 फीसदी इस्पात आयात करता है। 

लेख में कहा गया है कि 2022 से घरेलू खपत और उत्पादन के बीच का अंतर बढ़ गया है। 2024-25 के दौरान चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया और वियतनाम से इस्पात आयात में वृद्धि दर्ज की गई है। इसके अलावा, अप्रैल, 2022 से नवंबर, 2024 तक भारत की इस्पात खपत औसतन 12.9 फीसदी (मासिक वृद्धि दर का औसत) की रफ्तार से बढ़ी है। यह लेख अप्रैल, 2013 से मार्च, 2025 तक के मासिक आंकड़ों पर आधारित है। लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और ये आरबीआई को प्रतिबिंबित नहीं करते हैं।

निर्यातक देशों की मूल्य तय करने की नीतियां चिंताजनक
आरबीआई के सांख्यिकी एवं सूचना प्रबंधन विभाग के अधिकारी अनिर्बन सान्याल और संजय सिंह ने लेख में कहा, बढ़ते आयात और प्रतिस्पर्धी मूल्य निर्धारण के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। इससे घरेलू उत्पादकों पर दबाव बढ़ा है। निर्यातक देशों की मूल्य निर्धारण रणनीतियां इस्पात उद्योग के लिए चिंता का विषय बनी हुई हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए एक संतुलित दृष्टिकोण की आवश्यकता है। इसमें नीतिगत समर्थन और नवोन्मेषण, लागत दक्षता एवं टिकाऊ व्यवहार के माध्यम से भारत के इस्पात उत्पादन की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ाने के लिए पहल शामिल हैं।
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