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Crude Oil: अमेरिकी प्रतिबंधों से रिलायंस की रूसी तेल खरीद पर असर, सरकारी रिफाइनर फिलहाल सुरक्षित

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Thu, 23 Oct 2025 01:42 PM IST
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सार

रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों से रिलायंस इंडस्ट्रीज के रूस से कच्चे तेल के आयात पर असर पड़ने की उम्मीद है। वहीं, सरकारी तेल कंपनियों के लिए फिलहाल बड़ा झटका नहीं दिख रहा है।

US sanctions impact Reliance's Russian oil purchases, state-run refiners safe for now
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : Adobestock
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अमेरिका की ओर से रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों पर लगाए गए नए प्रतिबंधों का असर भारत की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (RIL) की कच्चे तेल की खरीद पर पड़ सकता है। यूक्रेन के मसले पर बातचीत के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर दबाव बनाने की रणनीति के तहत अमेरिका ने रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर प्रतिबंध लगा दिया है। इन प्रतिबंधों के तहत अमेरिका में मौजूद रोसनेफ्ट और लुकोइल की सभी संपत्तियों को जब्त करना भी शामिल है। अमेरिका के इस सख्त कदम के बाद गुरुवार को को वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में 4 फीसदी से अधिक का उछाल दिखा। रिलायंस रूस से भारत की कुल 1.7 मिलियन बैरल प्रतिदिन आयात का लगभग आधा हिस्सा खरीदती है। अमेरिका के नए प्रतिबंधों से अब कंपनी को अपनी तेल खरीद रणनीति पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है, क्योंकि वह सीधे रूस की कंपनी रोजनेफ्ट से कच्चा तेल खरीदती है।

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सरकारी तेल कंपनियों पर असर नहीं

वहीं, सरकारी तेल कंपनियों के लिए फिलहाल बड़ा झटका नहीं दिख रहा है। सूत्रों के मुताबिक, इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयां (PSUs) अपने अधिकांश सौदे यूरोपीय ट्रेडर्स के माध्यम से करती हैं, जो अमेरिकी प्रतिबंधों के दायरे में नहीं आते। इन कंपनियों ने बताया कि वे अनुपालन जोखिमों का आकलन कर रही हैं, लेकिन निकट भविष्य में रूसी तेल की आपूर्ति को पूरी तरह रोकने की संभावना कम है।

रिलायंस और रोसनेफ्ट का समझौता 

रिलायंस ने दिसंबर 2024 में रूस की कंपनी रोसनेफ्ट के साथ एक सावधिक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे अब मंजूरी मिल गई है। इसके तहत वह 25 वर्षों तक प्रतिदिन 5,00,000 बैरल रूसी तेल आयात करेगी। यह बिचौलियों से भी तेल खरीदती है।

अमेरिका ने रूसी रिफाइनरी पर लगाया प्रतिबंध 

अमेरिकी वित्त मंत्रालय के विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय (ओएफएसी) ने ओपन ज्वाइंट स्टॉक कंपनी रोसनेफ्ट ऑयल कंपनी (रोसनेफ्ट) और लुकोइल ओएओ (लुकोइल) पर और अधिक प्रतिबंध लगा दिए हैं। ये रूस की दो सबसे बड़ी तेल कंपनियां हैं जिन पर ट्रम्प प्रशासन ने यूक्रेन में क्रेमलिन की "युद्ध मशीन" को वित्तपोषित करने में मदद करने का आरोप लगाया है। दोनों कंपनियां मिलकर प्रतिदिन 31 लाख बैरल तेल निर्यात करती हैं। रोजनेफ्ट अकेले वैश्विक तेल उत्पादन का 6 प्रतिशत और कुल रूसी तेल उत्पादन का लगभग आधा हिस्सा निर्यात करती है। मास्को की ओर से 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद से भारत रूसी कच्चे तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है।

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