GST Council Meeting: उद्योग जगत, निवेशकों और बाजार की नजर जीएसटी परिषद की बैठक पर, जानें सरकार से क्या उम्मीद
उद्योग जगत और निवेशकों की नजर आगामी जीएसटी परिषद की बैठक पर टिकी है। संभावना जताई गई है कि ऑटो, एफएमसीजी जैसे उपभोग आधारित क्षेत्रों को सरकार अधिक लाभ दे सकती है। साथ ही अमेरिकी टैरिफ के दबाव से जूझते हुए उद्योग को कुछ राहत की उम्मीद है।

विस्तार
भारतीय उद्योग, निवेशक और शेयर बाजार की नजर जीएसटी परिषद की बैठक पर है। साथ ही वे शंघाई सहयोग संगठन सम्मेलन के अलावा अमेरिका पर भी ध्यान दे रहे हैं। जीएसटी परिषद की बैठक 3 से 4 सितंबर को होने वाली है। इसमें संभावित कर युक्तिकरण की उम्मीद है। वहीं प्रधानमंत्री चीन और रूस के राष्ट्रपति के साथ मुलाकात कर रहे हैं। इसमें व्यापार को लेकर आगे क्या निकल कर आता है और इन सबका शेयर बाजार पर कैसा असर होगा? निवेशकों की नजर नीतिगत स्पष्टता, व्यापक आर्थिक आंकड़ें और वैश्विक घटनाक्रम पर भी है।

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केंद्र का प्रस्ताव
केंद्र ने जीएसटी दरों और स्लैब को युक्तिसंगत बनाने का प्रस्ताव दिया है। इसके तहत पांच और 18 प्रतिशत की दो स्तरीय कर संरचना अपनाई जाएगी। साथ ही कुछ चुनिंदा वस्तुओं पर 40 प्रतिशत की दर लागू की जाएगी। सूत्रों ने बताया कि स्लैब में बदलाव पर मोटे तौर पर सहमति जताते हुए, मंत्रिसमूह ने 40 लाख रुपये तक की कीमत वाले इलेक्ट्रिक वाहनों पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगाने का समर्थन किया है। हालांकि, केंद्र इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने को बढ़ावा देने के लिए उत्सुक है और 5 प्रतिशत की दर का पक्षधर है और परिषद की बैठक में भी यही रुख अपनाया जाएगा।
- घी, मेवे, 20 लीटर पीने का पानी, बिना गैस वाले पेय पदार्थ, नमकीन जैसी ज्यादातर आम खाने-पीने की चीजें, कुछ जूते-चप्पल और कपड़े, दवाइयां और मेडिकल उपकरण 12 प्रतिशत से 5 प्रतिशत की कर श्रेणी में आ सकते हैं।
- पेंसिल, साइकिल, छाते से लेकर हेयर पिन जैसी आम इस्तेमाल की चीजें भी 5 प्रतिशत की कर श्रेणी में आ सकती हैं।
- कुछ श्रेणी के टीवी, वाशिंग मशीन और रेफ्रिजरेटर जैसी इलेक्ट्रॉनिक वस्तुओं की कीमतों में गिरावट आने की संभावना है।
- ऑटोमोबाइल जैसी वस्तुओं पर वर्तमान में 28 प्रतिशत की उच्चतम दर से कर लगता है। साथ ही क्षतिपूर्ति उपकर भी लगता है, लेकिन अब प्रवेश स्तर की कारों पर 18 प्रतिशत की दर से कर लगाया जा सकता है, जबकि एसयूवी और लक्जरी कारों पर 40 प्रतिशत की विशेष दर लगाई जा सकती है।
- तंबाकू, पान मसाला और सिगरेट जैसी अन्य अवगुणित वस्तुओं पर भी 40 प्रतिशत की विशेष दर लागू होगी। इस श्रेणी के लिए इस दर के ऊपर एक अतिरिक्त कर भी लगाया जा सकता है।
घरेलू नीति और व्यापक आर्थिक स्थिति
पीएल कैपिटल के अर्थशास्त्री अर्श मोगरे कहते हैं कि जीएसटी परिषद की बैठक की उलटी गिनती शुरू हो गई है। यह देश के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका द्वारा टैरिफ लगाए जाने के बाद केंद्र जीएसटी सुधार को आगे बढ़ाया है। इसमें संभावित कर युक्तिकरण की उम्मीद है, विशेषकर ऑटो, एफएमसीजी जैसे उपभोग आधारित क्षेत्रों को सरकार अधिक लाभ दे सकती है।
महाराष्ट्र ऑफ चैंबर के अध्यक्ष ललित गांधी कहते हैं कि जीएसटी दरों में कटौती की जरूरत है क्योकिं कई वस्तुओं के लिए दर को घटाकर 5 प्रतिशत किया जा सकता है या छूट दी जा सकती है लेकिन देखना होगा कि इनपुट सेवाओं पर क्या होगा। अधिकतर इनपुट सेवाओं पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगता है। हमें उम्मीद है कि केंद्र सरकार व्यापक रूप से इसमें सुधार करेगी।
उद्योग और कंपनियों की प्रमुख चिंता अमेरिकी टैरिफ
पीएल कैपिटल के अर्श का कहना है कि अमेरिका-भारत व्यापार तनाव अभी भी भारतीय उद्योग के लिए चिंता बना हुआ है। हाल ही में लागू किए गए 50 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ से लगभग 48 अरब डॉलर के निर्यात विशेषकर आभूषण और ऑटोमोबाइल पर असर पड़ सकता है। इससे अनिश्चितता तो बढ़ेगी हालांकि भारत सरकार की नीतिगत प्रतिक्रियाएं जिसमें जीएसटी कटौती, निर्यात प्रोत्साहन, बाजार विविधीकरण जारी है। वैश्विक स्तर पर ध्यान दें तो अमेरिकी गैर कृषि वेतन, विनिर्माण, सेवा पीएमआई और फेड नीतिगत जोखिमों की वजह से भी अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।
व्यापक आर्थिक विश्वास
रिजर्व बैंक का अगस्त बुलेटिन भारत के स्थायी आर्थिक लचीलेपन की पुष्टि करता है। इसमें मुद्रास्फीति में कमी (जुलाई में 1.55 प्रतिशत, आठ वर्षों का निचला स्तर) मजबूत ग्रामीण मांग और स्थिर नीतिगत रेपो दर (5.50%) शामिल है। हालांकि बढ़ा हुआ अमेरिकी टैरिफ चिंता का विषय है। पहली तिमाही (अप्रैल और जून ) जीडीपी आंकड़ों ने 7.8 प्रतिशत की मजबूत वृद्धि दिखाई। यह पांच तिमाहियों में सबसे तेज है और यह संतुलनकारी बफर प्रदान करता है।
बैठक में समर्थनकारी रुख से टैरिफ संबंधी चुनौतियों का सामना
मेहता इक्विटीज के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (रिसर्च एनालिस्ट) प्रशांत तापसे कहते हैं कि अमेरिकी टैरिफ के बीच भारत-चीन बैठक और रूस के साथ बढ़ते व्यापारिक रिश्ते यह मुख्य सुर्खियां होंगी। अगर निर्यात उन्मुखी कारोबारों को ट्रंप टैरिफ उपायों से आय पर और दबाव देखने को मिलता है तो जोखिम बना हुआ है। लेकिन इन सबके बीच जीएसटी परिषद की बैठक में समर्थनकारी रुख अपनाया जाता है तो अर्थव्यवस्था को टैरिफ संबंधी चुनौतियों का सामना करने में काफी मदद होगी। इससे भारतीय उद्योगों और कारोबारियों को राहत मिलेगी। इस बीच रुपये की कमजोरी ने विदेशी संस्थागत निवेशकों के प्रवाह को कम किया है। इसमें स्थिरता और सुधार लाने के लिए अभी थोड़ा समय लग सकता है।