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RBI: 'मौजूदा माहौल में आरबीआई के लिए अपना रुख नरम करना मुश्किल', एमपीसी के फैसलों पर विशेषज्ञों की ये राय
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, मुंबई
Published by: नविता स्वरूप
Updated Wed, 06 Aug 2025 03:22 PM IST
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सार
आरबीआई ने बुधवार को वित्त वर्ष 26 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है। विशेषज्ञों ने इसे ब्याज दरों में कटौती के चक्र में विराम का संकेत बताया है।

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा
- फोटो : PTI
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विस्तार
भारतीय रिजर्व बैंक ने ब्याज दरों में कटौती के चक्र में विराम लगाते हुए रेपो रेट को 5.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। यह टैरिफ अनिश्चितताओं के बीच आरबीआई का तटस्थ रुख बरकारर रखने को दर्शाता है। बाजार के विशेषज्ञ इसे ब्याज दरों में कटौती के चक्र में एक विराम का संकेत बता रहे हैं।

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वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच आरबीआई का सतर्क रुख
वैश्विक चिंताओं को देखते हुए केंद्रीय बैंक ने वित्त वर्ष 26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि अनुमान को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है। हांलाकि अमेरिका द्वारा लगाए गए उच्च टैरिफ से नकारात्मकता जोखिम पैदा होने का खतरा हैं। इसके बावजूद आरबीआई गवर्नर ने विकास पूर्वनुमान 6.5 प्रतिशत रखा है क्योंकि अमेरिकी व्यापार नीति अभी भी अनिश्चितता में है। इसके अलावा बेहतर मानसून, कम मुद्रास्फीति और कम आयकर बोझ जैसे कारक भी इस वर्ष भारत के विकास में सहायक होंगे।
आरबीआई की नजर वित्त वर्ष 27 की महंगाई और अर्थिक विकास की स्थिरता पर
कोटक इंस्टि्यूशनल इक्विटीज के चीफ इकोनॉमिस्ट सुवोदीप रक्षित ने कहा कि आरबीआई ने अगस्त की पॉलिसी में रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही से महंगाई में धीरे-धीरे वृद्धि होने की संभावना है, हालांकि आरबीआई को कैंलेडर वर्ष 2025 के बाकी महीनों के लिए महंगाई के आंकड़े काफी कम लग रहे हैं। हमें ऐसा लगता है कि आरबीआई बाजार में पर्याप्त नकदी बनाए रखेगा, जिसमें ब्याज दरों में कटौती का असर आगे भी बना रहे। आरबीआई अब ब्याज दरों में जल्द नहीं बदलेगा क्योंकि उसका ध्यान वित्त वर्ष 2027 की महंगाई और आर्थिक विकास की स्थिरता पर है। आगे चलकर आरबीआई को अपना रुख नरम रखना थोड़ा मुश्किल होगा, रुख तब ही नरम हो सकेगा जब आर्थिक विकास संभावनाएं काफी कमजोर दिखे।
ब्याज दरों में कटौती के चक्र पर लगा विराम
सैमको सिक्योरिटीज के बाजार परिप्रेक्ष्य एवं हेड रिसर्च अपूर्व सेठ बताते हैं कि वैश्विक व्यापार झटकों और 77 महीनों के निम्न मुद्रास्फीति आंकड़ों से संबंधित अनिश्चितताओं के मद्देनजर ब्याज दरों को यथावत रखने का केंद्रीय बैंक का निर्णय लिया जो कि अनुमानित था। यह ब्याज दरों में कटौती के चक्र में एक विराम का संकेत है। पिछले कुछ महीनों से मुद्रास्फीति निम्न स्तर पर है और इसके बढ़ने का केवल एकल ही रास्ता है, वह है ऊपर की ओर बढ़ना। इसलिए वित्त वर्ष 27 की पहली तिमाही में मुद्रास्फीति का अनुमान लगभग 4.9 प्रतिशत है, जो मौजूदा स्तर से दोगुना से भी अधिक है।
वित्त वर्ष 26 में महंगाई दर चार प्रतिशत के ऊपर रहने का अनुमान
केयरएज रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने बताया आरबीआई का ब्याज दरों को अपरिवर्तीत रखने का निर्णय हमारी अपेक्षाओं के अनुरुप था। हालांकि पिछले कुछ महीनों में मुद्रास्फीति में तेज गिरावट आई है, केंद्रीय बैंक ने दोहराया है कि वे आगामी तिमाहियों के लिए मुद्रास्फीति अनुमान पर विचार करेंगे। हमारा अनुमान है कि इस साल निम्न आधार को देखते हुए सीपीआई मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 26 की चौथी तिमाही में चार प्रतिशत ऊपर और वित्त वर्ष 27 में औसम 4.5 प्रतिशत से ऊपर रहेगी। इसका मतलब यह है कि अगले साल हम 1-1.5 प्रतिशत के बीच वास्तविक ब्याद दर की उम्मीद कर रहे हैं और यह भी कम हो सकती है।
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