गहराया जेट एयरवेज का संकट, अब बचे हैं केवल 200 करोड़, फिर से डिफॉल्ट हुआ लोन
जेट एयरवेज का संकट और गहराया गया है। कंपनी के पास परिचालन के लिए केवल 200 करोड़ रुपये बचे हैं। इसके अलावा कंपनी बैंकों को लोन किस्त जमा करने पर फिर से डिफॉल्ट कर गई। वहीं जेट की 75 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए निविदांए भी खुली हुई हैं।
खड़े हो सकते हैं विमान
पैसा न होने की वजह से कंपनी के सभी विमान खड़े हो सकते हैं। इसके साथ ही नगदी संकट के चलते कंपनी अपने कर्मचारियों को सैलरी, हवाई अड्डा प्राधिकरण, तेल कंपनियां को समय पर भुगतान नहीं कर पाएगी। इसके अलावा बोइंग 777 विमान खरीदने के लिए सिटीबैंक से लिए गए लोन की किस्त (1.8 करोड़ डॉलर) भी इस बार डिफॉल्ट हो गई है।
एसबीआई ने दिए केवल 33 करोड़
भारतीय स्टेट बैंक ने पिछले शुक्रवार को केवल 33 करो़ड़ रुपये का ही भुगतान किया था। इस पैसे से केवल इंडियन ऑयल का भुगतान होता है। जेट एयरवेज को खरीदने के लिए बैंकों के कंशोर्सियम ने निविदाएं स्वीकार करना शुरू कर दिया है।
यह निविदाएं छह अप्रैल से शुरू हुई हैं और 10 अप्रैल तक चलेगी। हालांकि एसबीआई सहित बैंकों के कंशोर्सियम ने खरीदार नहीं मिलने की स्थिति में एक प्लान बी भी तैयार कर रखा है। फिलहाल विदेशी कंपनियों के अलावा कुछ भारतीय कंपनियों ने भी इसमें हिस्सेदारी खरीदने की इच्छा जताई है।
इस वजह से हुई दिक्कत
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक के 12 फरवरी 2018 को जारी किए गए सर्कुलर को रद्द कर दिया है। इससे अब सभी बैंकों को जेट को पैसा देने में दिक्कत आ रही है।
मार्च में किसी कर्मचारी को नहीं मिला वेतन
मार्च में किसी भी कर्मचारी को वेतन नहीं मिला है। इससे पहले पायलट, इंजीनियर्स और अन्य महंगे स्टॉफ को पिछले कई महीने से सैलरी नहीं मिली। इसके चलते पायलटों ने भी 15 अप्रैल के बाद विमान उड़ाने से मना कर दिया है।
नहीं हुई बात सफल तो यह है प्लान बी
अगर बोलीदाताओं की निविदा तय वक्त तक नहीं आई तो फिर बैंकों ने एक प्लान बी भी तैयार किया है। इसके तहत जेट एयरवेज में इतना निवेश किया जाएगा ताकि यह अगले छह महीने तक बिना किसी दिक्कत के चलता रहे। इसके साथ ही जेट एयरवेज के बोर्ड में विमानन क्षेत्र से जुड़े लोगों को लाएगा। बैंक फिर एक समय सीमा के अंदर कंपनी की हालत सही करने पर काम करेंगे ताकि परिचालन में कोई दिक्कत पैदा न हो।
आपके लिए क्यों जरूरी है जानना
विगत कुछ महीने से जेट एयरवेज की हालत दिन पर दिन पतली होती जा रही है। जेट एयरवेज में फिलहाल सीधे तौर पर 16 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं। कंपनी की गिरती हालत का असर इन कर्मचारियों के परिवार पर भी पड़ रहा है। इसके साथ ही देश के विमानन क्षेत्र पर इस कंपनी की हालत पर नजर रखी जा रही है।
चुनाव के वक्त केंद्र सरकार का भी जेट एयरवेज को डूबने से बचाना जरूरी है, क्योंकि इसका दूरगामी असर भविष्य में देखने को मिल सकता है। अगर आप जेट एयरवेज से संबंधित कुछ और जानना चाहते हैं तो हमको बताएं, हम वो खबरें भी आपके सामने रखेंगे।
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