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SBI: एसबीआई आवासीय परियोजनाओं के लिए 'कंस्ट्रक्शन फाइनेंस' नीति की समीक्षा करेगा, बोले चेयरमैन सीएस शेट्टी
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कुमार विवेक
Updated Sat, 20 Dec 2025 04:31 PM IST
सार
देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक के चेयरमैन सीएस शेट्टी ने कहा है कि बैंक आवासीय परियोजनाओं के लिए 'कंस्ट्रक्शन फाइनेंस' (निर्माण वित्त) देने की अपनी मौजूदा नीति की समीक्षा कर रहा है। आइए पढ़ें पूरी खबर।
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एसबीआई
- फोटो : Adobestock
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विस्तार
भारतीय स्टेट बैंक ने आवासीय रियल एस्टेट सेक्टर को लेकर अपने रुख में बड़े बदलाव के संकेत दिए हैं। देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक के चेयरमैन सीएस शेट्टी ने कहा है कि बैंक आवासीय परियोजनाओं के लिए 'कंस्ट्रक्शन फाइनेंस' (निर्माण वित्त) देने की अपनी मौजूदा नीति की समीक्षा करेगा। हालांकि, उन्होंने साफ किया कि डेवलपर्स के लिए ब्याज दरें उनकी जवाबदेही और पारदर्शिता पर निर्भर होंगी।
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पारदर्शिता और जवाबदेही सबसे अहम
क्रेडाई की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम में बोलते हुए शेट्टी ने कहा, "हम आवासीय रियल एस्टेट में निर्माण से जुड़े वित्त पोषण के तरीके पर काम कर रहे हैं। वर्तमान में इस क्षेत्र में हमारी उपस्थिति न के बराबर है, लेकिन हम धीरे-धीरे कमर्शियल रियल एस्टेट, विशेषकर ऑफिस स्पेस में अपनी बुक (लोन पोर्टफोलियो) बना रहे हैं।"
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उन्होंने अतीत का हवाला देते हुए बिल्डरों को आगाह भी किया। चेयरमैन ने कहा, "यह एक सच्चाई है कि आवासीय रियल एस्टेट बाजार में आक्रामक रुख अपनाने वाले कई लोगों ने अतीत में अपने हाथ जलाए हैं (नुकसान उठाया है)।" उन्होंने अत्यधिक कर्ज के कारण हुई विफलताओं की याद दिलाते हुए कहा कि बैंक के लिए परियोजना प्रबंधन, जोखिम प्रबंधन और पारदर्शिता में स्थिरता बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि, "जवाबदेही ही वह चीज है जो हम जैसे ऋणदाताओं को विश्वास दिलाएगा, और यदि यह सुनिश्चित होता है, तो डेवलपर्स को काफी किफायती दरों पर निर्माण के लिए लोन उपलब्ध हो सकेगा।"
कमर्शियल प्रोजेक्ट्स के लिए शर्तें
एसबीआई चेयरमैन ने कमर्शियल रियल एस्टेट के बारे में स्पष्ट शर्त रखी। उन्होंने कहा कि डेवलपर्स को लोन हासिल करने के लिए आगामी ऑफिस स्पेस के लिए कम से कम 40-50 प्रतिशत संभावित किरायेदारों की प्रतिबद्धता सुनिश्चित करनी चाहिए। उनका कहना था कि बैंक ऐसी स्थिति से बचना चाहता है जहां इमारत बनकर तैयार हो लेकिन उसमें कोई किरायेदार न हो।
ब्याज दरों और एनबीएफसी को सलाह
निर्माण वित्त पर ब्याज दरों में कटौती के सवाल पर शेट्टी ने बताया कि यह एमसीएलआर से जुड़ा होता है और एमसीएलआर में बदलाव टर्म डिपॉजिट दरों के साथ होता है। गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में बैंक ने चुनिंदा अवधियों के लिए एमसीएलआर और फिक्स्ड डिपॉजिट दरों में संशोधन किया था। इसके साथ ही, एसबीआई प्रमुख ने हाउसिंग फाइनेंस क्षेत्र में लगे गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को अपनी परिचालन लागत कम करने की सलाह दी, ताकि वे ग्राहकों को सस्ती दरों पर ऋण उपलब्ध करा सकें।
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