Free Trade Diplomacy: 17 डील पक्की, अब 500 बिलियन डॉलर के बाजार पर देश की नजर, यूरोपीय संघ-अमेरिका अगला पड़ाव
भारत ने अलग-अलग देशों और क्षेत्रीय समूहों के साथ अब तक 17 ट्रेड एग्रीमेंट किए हैं, जिनमें 13 पूर्ण फ्री ट्रेड एग्रीमेंट शामिल हैं। ताजा समझौते के तहत ओमान भारत का 17वां ट्रेड पार्टनर बना है, जिससे 98% भारतीय उत्पादों को वहां जीरो-ड्यूटी एक्सेस मिलेगा। आइए विस्तार से जानते हैं।
विस्तार
भारत ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ अपने व्यापारिक रिश्तों को तेजी से मजबूत करते हुए दिसंबर 2025 तक अलग-अलग देशों और क्षेत्रीय ब्लॉकों के साथ कुल 17 ट्रेड एग्रीमेंट कर लिए हैं। इनमें 13 मुक्त व्यापार समझौते (FTA) शामिल हैं, जबकि शेष प्रेफरेंशियल ट्रेड एग्रीमेंट (PTA) और इकोनॉमिक कोऑपरेशन एग्रीमेंट (ECA) के रूप में हैं। इन समझौतों के जरिए भारत ने दुनिया के बड़े बाजारों में अपने निर्यातकों के लिए प्रेफरेंशियल या ड्यूटी-फ्री एक्सेस सुनिश्चित किया है।
ये भी पढ़ें: Budget 2026: सरकार ने केंद्रीय बजट 2026-27 पर जनता से सुझाव मांगे, जानिए क्या है मकसद
पहले समझते हैं FTA, PTA और ECA में क्या फर्क है?
हर समझौता पूरा बाजार खोलने वाला नहीं होता। PTA में दो देश सिर्फ चुनिंदा सामानों पर टैक्स में छूट देते हैं। यानी यह एक तरह की सीमित रियायत होती है, जहां कुछ सेक्टरों को फायदा मिलता है, लेकिन पूरे बाजार को पूरी तरह नहीं खोला जाता। वहीं ECA इससे एक कदम आगे होता है। इसमें सिर्फ सामानों का व्यापार नहीं, बल्कि निवेश, तकनीक, सेवाएं, स्किल डेवलपमेंट और आर्थिक सहयोग भी शामिल होता है। मकसद यह होता है कि दोनों देश मिलकर अपनी अर्थव्यवस्थाओं को मजबूत करें।
एफटीए या मुक्त व्यापार समझौता, जब दो देश आपस में यह तय कर लेते हैं कि वे एक-दूसरे के सामान पर लगने वाला आयात शुल्क (टैक्स) कम करेंगे या खत्म करेंगे, तो उसे एफटीए कहा जाता है। इससे दोनों देशों का सामान सस्ता पड़ता है और व्यापार बढ़ता है। जैसे, अगर भारत का कपड़ा ओमान में बिना टैक्स जाएगा, तो वह वहां सस्ता बिकेगा और ज्यादा खरीदा जाएगा।
ओमान बना भारत का 17वां ट्रेड पार्टनर
दिसंबर 2025 में भारत और ओमान के बीच साइन हुआ व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते (CEPA) भारत का ताजा व्यापार समझौता है। यह यूएई के बाद खाड़ी क्षेत्र में भारत का दूसरा बड़ा समझौता है। इसके तहत 98% भारतीय सामानों को ओमान के बाजार में जीरो-ड्यूटी एक्सेस मिलेगा, जिससे कपड़ा, चमड़ा, इंजीनियरिंग और फार्मा जैसे क्षेत्रों को बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है।
यूके के साथ सीईटीए: निर्यात और सेवाओं को बड़ा बूस्ट
2025 में भारत और यूनाइटेड किंगडम के बीच हुआ व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता (CETA) भारत के 99% निर्यात को यूके में बिना शुल्क पहुंच देता है, जो लगभग पूरे व्यापार मूल्य को कवर करता है। इस समझौते से कपड़ा, चमड़ा, समुद्री उत्पाद, रत्न-आभूषण, इंजीनियरिंग वस्तुएं, केमिकल और ऑटो कलपुर्जों को सीधा फायदा होगा। खास बात यह है कि सीईटीए में सेवाओं को भी शामिल किया गया है, आईटी, हेल्थकेयर, फाइनेंस और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में पेशेवरों की आवाजाही आसान हुई है। इसके साथ ही डबल कंट्रीब्यूशन कन्वेंशन से भारतीय कंपनियों और कर्मचारियों को ₹4,000 करोड़ से अधिक की बचत होने का अनुमान है।
यूरोप, खाड़ी और अफ्रीका में भारत की मजबूत मौजूदगी
2024 में भारत ने ईएफटीए देशों स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, आइसलैंड और लिकटेंस्टीन के साथ अपना पहला एफटीए किया, जिसमें $100 अरब निवेश और 10 लाख नौकरियों का लक्ष्य शामिल है। वहीं, 2022 में संयुक्त अरब अमीरात के साथ हुए CEPA ने 90% से अधिक भारतीय निर्यात पर टैरिफ में बड़ी कटौती की, जबकि 2021 में मॉरीशस के साथ CECPA ने अफ्रीकी बाजारों तक भारत की पहुंच को आसान बनाया।
ऑस्ट्रेलिया और अन्य प्रमुख साझेदार
भारत ने 2022 में ऑस्ट्रेलिया के साथ ECTA किया, जिससे कपड़ा, फार्मा, केमिकल और कृषि उत्पादों के लिए ऑस्ट्रेलियाई बाजार खुला। जापान और दक्षिण कोरिया के साथ पहले से मौजूद CEPAs ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में भारत की स्थिति मजबूत की है।
आगे की बातचीत: अमेरिका, ईयू और जीसीसी फोकस में
भारत फिलहाल यूरोपीय संघ, अमेरिका, इजराइल, आसियान, न्यूजीलैंड, कनाडा और गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (GCC) के साथ ट्रेड डील पर बातचीत कर रहा है। अमेरिका के साथ 'मिशन 500' के तहत 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य है। GCC के साथ संभावित एफटीए से ऊर्जा, निवेश और सेवाओं में सहयोग और गहराने की उम्मीद है।