FIP Letter: विमानन सुरक्षा पर हो 'जीरो टॉलरेंस', एफआईपी ने सरकार से कहा- एयरलाइंस को मिली सभी छूट वापस लें
पायलट्स के संगठन एफआईपी ने सुरक्षा का हवाला देते हुए एयरलाइनों को मिली एफडीटीएल छूट वापस लेने की मांग की है। पायलट संगठन ने कहा- व्यावसायिक हितों के लिए यात्री सुरक्षा से समझौता न हो। पढ़ें पूरी रिपोर्ट।"
विस्तार
भारतीय विमानन क्षेत्र में सुरक्षा मानकों और पायलटों के स्वास्थ्य को लेकर चल रही बहस ने एक नया मोड़ ले लिया है। देश के लगभग 5,000 पायलटों का प्रतिनिधित्व करने वाले शीर्ष निकाय, फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स ने केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू को पत्र लिखकर एक सख्त मांग की है। संगठन ने कहा है कि एयरलाइनों को पायलटों की ड्यूटी और आराम की अवधि के नियमों में दी गई सभी रियायतों और 'वेरिएशन्स' को तत्काल प्रभाव से वापस लिया जाए, ताकि यात्री सुरक्षा से कोई समझौता न हो।
क्या है पूरा विवाद?
मामले की जड़ नागरिक उड्डयन महानिदेशालय यानी डीजीसीए की ओर से हाल ही में लागू किए गए नए एफडीटीएल (फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन) नियम हैं। ये नियम वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाए गए थे ताकि पायलटों की थकान (Fatigue) को कम किया जा सके और उन्हें पर्याप्त आराम मिल सके। हालांकि, डीजीसीए ने इंडिगो और एयर इंडिया जैसी प्रमुख घरेलू एयरलाइनों को इन नियमों में कुछ विशेष छूट प्रदान की हैं। इन छूटों के तहत, एयरलाइनों को दो-पायलट वाले बोइंग 787 ड्रीमलाइनर जैसे विमानों के संचालन के लिए अधिक 'नाइट लैंडिंग' और ड्यूटी के समय में विस्तार की अनुमति मिल गई है। पायलटों का आरोप है कि ये छूट सुरक्षा की कीमत पर एयरलाइनों के "व्यावसायिक हितों" को साधने के लिए दी गई हैं।
एफआईपी का तर्क- 'पायलटों की कमी नहीं है'
19 दिसंबर को लिखे अपने पत्र में एफआईपी ने साफ किया है कि एयरलाइनों का यह तर्क गलत है कि उनके पास मैनपावर की कमी है। संगठन ने कहा, "सभी घरेलू एयरलाइनों के पास अपने उपलब्ध विमानों को संचालित करने के लिए पर्याप्त से अधिक पायलट मौजूद हैं।" एफआईपी का कहना है कि जब मैनपावर उपलब्ध है, तो सुरक्षा नियमों में ढील देने का कोई औचित्य नहीं बनता।
भविष्य के लिए कड़े नियम की मांग केवल मौजूदा छूटों को वापस लेने तक ही नहीं, बल्कि एफआईपी ने भविष्य में एयरलाइनों के विस्तार पर भी नकेल कसने की मांग की है। पत्र में सुझाव दिया गया, "किसी भी एयरलाइन को नए विमानों को शामिल करने या नई उड़ानों की समय-सारिणी की मंजूरी तभी दी जानी चाहिए, जब उनके पास पर्याप्त पायलट, केबिन क्रू, ग्राउंड स्टाफ, इंजीनियर और पार्किंग स्लॉट उपलब्ध हों।" एफआईपी ने जोर देकर कहा है कि इन बुनियादी शर्तों को पूरा किए बिना, डीजीसीए या सरकार को किसी भी विस्तार योजना को हरी झंडी नहीं दिखानी चाहिए।
एफआईपी का यह पत्र ऐसे समय में आया है जब भारतीय विमानन बाजार में तेजी से विस्तार हो रहा है। पायलटों का यह रुख सरकार और एयरलाइंस पर दबाव बढ़ाएगा कि वे मुनाफा और परिचालन दक्षता की दौड़ में मानवीय सीमाओं और सुरक्षा मानकों की अनदेखी न करें। अब देखना यह होगा कि नागरिक उड्डयन मंत्रालय इस पर क्या कदम उठाता है।