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SEBI: गैर-कृषि कमोडिटी डेरिवेटिव्स की समीक्षा के लिए कार्य समूह का गठन करेगा सेबी, बोले तुहिन कांत पांडेय

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Sat, 20 Dec 2025 01:26 PM IST
सार

SEBI: सेबी प्रमुख ने गैर-कृषि कमोडिटी डेरिवेटिव्स की समीक्षा के बारे में बड़ा एलान किया।नियामक के प्रमुख ने बताया कि सेबी भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण के साथ बातचीत कर रहा है, ताकि कमोडिटी डेरिवेटिव्स बाजार में बैंकों और बीमा कंपनियों की भागीदारी को सक्षम बनाया जा सके।

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तुहिन कांत पांडे, सेबी चेयरमैन - फोटो : ANI
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बाजार नियामक सेबी ने गैर-कृषि कमोडिटी डेरिवेटिव्स खंड की समीक्षा के लिए एक कार्य समूह गठित करने की योजना बनाई है। सेबी के अध्यक्ष तुहिन कांत पांडेय ने शनिवार को यह जानकारी दी। कमोडिटी व कैपिटल पार्टिसिपेंट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीपीएआई) के 11वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में बोलते हुए, पांडेय ने कहा कि इस कार्य समूह की अधिसूचना जल्द जारी की जाएगी। 

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सेबी प्रमुख ने बताया कि नियामक भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण के साथ बातचीत कर रहा है, ताकि कमोडिटी डेरिवेटिव्स बाजार में बैंकों और बीमा कंपनियों की भागीदारी को सक्षम बनाया जा सके। उन्होंने कहा, "संस्थागत भागीदारी बढ़ने से बाजार में लिक्विडिटी आएगी, इससे यह हेजिंग के उद्देश्यों के लिए और अधिक आकर्षक बन जाएगा।"
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पांडेय ने साफ किया कि सभी हितधारकों के साथ उचित परामर्श के बाद ही गैर-कृषि कमोडिटी डेरिवेटिव खंड की समीक्षा के लिए यह नया समूह बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा, "इस कार्य समूह को बहुत जल्द अधिसूचित किया जाएगा।"

उल्लेखनीय है कि सेबी ने कृषि और कमोडिटी डेरिवेटिव्स पारिस्थितिकी तंत्र को गहरा करने के उपायों का सुझाव देने के लिए पहले ही कार्य समूहों का गठन कर दिया है। ये विशेषज्ञ समूह इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या मार्जिन, पोजीशन लिमिट और डिलीवरी व निपटान तंत्र को विनियमित करने वाले मौजूदा ढांचे को बाजार की अखंडता से समझौता किए बिना और बेहतर बनाया जा सकता है।

जीएसटी से जुड़ी चुनौतियों पर भी नजर
संस्थागत भागीदारी के अलावा, सेबी अध्यक्ष ने कराधान से संबंधित बाधाओं को दूर करने की आवश्यकता के बारे में भी बताया। उन्होंने कहा कि सेबी बाजार सहभागियों, विशेष रूप से एक्सचेंज प्लेटफॉर्म के माध्यम से वस्तुओं को प्राप्त करने या वितरित करने वाले लोगों द्वारा सामना की जाने वाली वस्तु एवं सेवा कर समस्याओं को हल करने के लिए सरकार के साथ अपना जुड़ाव जारी रखेगा।

उन्होंने कहा, "कई जीएसटी संबंधित चुनौतियां हैं जिन्हें हल करने की आवश्यकता है। हमें कमोडिटी बाजारों के विकास को सही मायने में गति देने के लिए जीएसटी परिषद सचिवालय और जीएसटी परिषद के साथ मिलकर काम करना होगा।" उन्होंने जोर देकर कहा कि यह कृषि और गैर-कृषि दोनों क्षेत्रों, विशेष रूप से सोने (Gold) के लिए महत्वपूर्ण है।

इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रसीद और निवेशकों की सुरक्षा
गोल्ड इकोसिस्टम पर विस्तार से बात करते हुए, श्री पांडेय ने कहा कि भारतीय बाजार पहले से ही कमोडिटी डेरिवेटिव्स, गोल्ड एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स और इलेक्ट्रॉनिक गोल्ड रसीदों के माध्यम से विनियमित सोने के उत्पादों की एक शृंखला मुहैया कराते हैं, जो निवेशकों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।

उन्होंने बताया कि ईजीआर की परिकल्पना सोने के व्यापार के लिए एक विनियमित बाजार बनाने और भारत को इस कीमती धातु के लिए वैश्विक मूल्य खोज केंद्र के रूप में स्थापित करने के लिए की गई थी।

हालाँकि, उन्होंने स्वीकार किया कि ईजीआर ढांचे को अब तक अपेक्षित गति नहीं मिली है और इसकी समीक्षा की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, "मुझे लगता है कि इसके आसपास जीएसटी की चुनौतियां हैं।" अंत में, उन्होंने उद्योग के प्रतिभागियों से निवेशकों को शिक्षित करने और उन्हें केवल विनियमित सोने के उत्पादों में ही व्यापार करने के लिए प्रोत्साहित करने का आग्रह किया।

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