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अब सिर्फ 'चिट्ठी' नहीं, डिजिटल क्रांति भी: 2025 में इंडिया पोस्ट का कायाकल्प, पासपोर्ट व बैंकिंग बनी लाइफलाइन

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: कुमार विवेक Updated Sat, 20 Dec 2025 03:11 PM IST
सार

Digital Transformation of India Post: भारतीय डाक ने 2025 में पारंपरिक सेवाओं से आगे बढ़कर डिजिटल समावेशन और जनसेवा में नई मिसाल पेश की है। पासपोर्ट, आधार, बैंकिंग और 'डिजिपिन' जैसी उपलब्धियों के साथ इंडिया पोस्ट के इस कायाकल्प पर पढ़ें विस्तृत रिपोर्ट।

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India Post News, Digital Inclutions for Public Service Delivery in 2025, Potal Department Year End Review
इंडिया पोस्ट - फोटो : amarujala.com
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विस्तार
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वर्ष 2025 भारतीय डाक विभाग के लिए एक बदलाव भरा साल साबित हुआ। संचार मंत्रालय के तहत आने वाले इस विभाग ने अपनी भूमिका को केवल चिट्ठी-पत्री तक सीमित न रखकर, खुद को आम लोगों के लिए केंद्रित डिजिटल, वित्तीय और प्रशासनिक सेवाओं की रीढ़ (बैकबोन) के रूप में स्थापित कर लिया है। मंत्रालय की ओर से जारी ईयर इंड रिव्यू के अनुसार, भारतीय डाक ने अपने विशाल नेटवर्क का इस्तेमाल करते हुए, विशेष रूप से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में सेवाओं की कमी को दूर करने का काम किया है।

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पासपोर्ट और आधार सेवाओं में बड़ी छलांग 

आम नागरिकों को सुविधा देने में विभाग की सबसे बड़ी उपलब्धि 'डाकघर पासपोर्ट सेवा केंद्रों' (POPSKs) का विस्तार रही। विदेश मंत्रालय के साथ सहयोग करते हुए, 30 नवंबर 2025 तक देश भर में 452 POPSKs संचालित किए जा रहे थे, जिससे पासपोर्ट सेवाएं लगभग हर लोकसभा क्षेत्र तक पहुंच गईं। जनवरी से नवंबर के बीच, विभाग ने 29 लाख से अधिक पासपोर्ट-संबंधित आवेदनों को प्रोसेस किया, इससे न केवल आवेदकों को सहूलियत हुई, बल्कि विभाग को 114.88 करोड़ रुपये का राजस्व भी मिला।

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इसी तरह, आधार सेवाओं को मजबूत करने में भी डाक विभाग ने अहम भूमिका निभाई। देश भर में 13,000 से अधिक आधार केंद्र डाकघरों से संचालित हुए। 'राष्ट्रीय डाक सप्ताह' के दौरान स्कूलों में 1,500 से अधिक विशेष शिविर लगाए गए। कुल मिलाकर, 2025 में 2.35 करोड़ से अधिक आधार नामांकन और अपडेट किए गए, जिससे 129.13 करोड़ रुपये का राजस्व जुटाया गया।

डोर-स्टेप केवाईसी में दिया बड़ा योगदान

वित्तीय समावेशन और कनेक्टिविटी पर जोर वर्ष 2025 में वित्तीय समावेशन विभाग की प्राथमिकता रहा। भारतीय डाक ने म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए लगभग 5 लाख 'डोर-स्टेप केवाईसी' सत्यापन पूरे किए। एम्फी (एएमएफआई), यूटीआई और एसबीआई म्यूचुअल फंड जैसे दिग्गजों के साथ हुए समझौतों ने डाकघरों को निवेश वितरण का एक भरोसेमंद माध्यम बना दिया है।

सिम कार्ड की बिक्री और रिचार्ज की सुविधा

दूरसंचार के क्षेत्र में भी विभाग ने बीएसएनएल के साथ समझौता कर अपनी पहुंच बढ़ाई है। अब 1.64 लाख से अधिक डाकघरों में सिम कार्ड की बिक्री और रिचार्ज की सुविधा उपलब्ध है, जिससे विशेष रूप से उन क्षेत्रों में डिजिटल कनेक्टिविटी सुधरी है जहां नेटवर्क की पहुंच कम थी।

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तकनीकी नवाचार

भारतीय डाक ने इसरो और आईआईटी हैदराबाद के सहयोग से 'डिजिपिन' लॉन्च किया। यह 10-अक्षरों वाली जियो-कोडेड डिजिटल एड्रेस प्रणाली है, जो भारत में हर 4x4 मीटर के ग्रिड की विशिष्ट पहचान करती है। इस नवाचार को 'एशियन-पैसिफिक पोस्टल यूनियन बिजनेस फोरम' में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहा गया है।

निर्यात और रोजगार को बढ़ावा

लघु उद्योगों और कारीगरों को वैश्विक बाजार देने के लिए 'डाक घर निर्यात केंद्र' की पहल को 1,000 से अधिक केंद्रों तक विस्तारित किया गया। इसके जरिए लगभग 287 करोड़ रुपये का निर्यात संभव हुआ, जिससे महिला उद्यमियों और एमएसएमई को सीधा लाभ मिला। वहीं, रोजगार सृजन में योगदान देते हुए विभाग ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत 1.69 लाख इकाइयों का भौतिक सत्यापन किया।

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सांस्कृतिक और अंतरराष्ट्रीय कूटनीति

डाक विभाग ने 'हर घर तिरंगा' अभियान 4.0 के तहत 28 लाख से अधिक राष्ट्रीय ध्वज वितरित किए। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, यूपीआई-यूपीयू इंटरलिंकेज की सफल लॉन्चिंग और रूस के साथ 'इंटरनेशनल ट्रैक्ड पैकेट सर्विस' समझौते ने भारत की 'पोस्टल डिप्लोमेसी' को नई मजबूती दी है।

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