Trade Agreement: एफटीए के बिना भारत को नहीं मिलेगी बराबरी, जानिए उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने ऐसा क्यों कहा
उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि वैश्विक कपड़ा और परिधान बाजार में भारत को बराबरी दिलाने के लिए अधिक मुक्त व्यापार समझौते जरूरी हैं, क्योंकि बांग्लादेश और अन्य प्रतिस्पर्धी देश एफटीए का लाभ उठा रहे हैं। उन्होंने बताया कि भारत का लक्ष्य 2030 तक कपड़ा उद्योग को 350 अरब डॉलर तक पहुंचाने और निर्यात को 100 अरब डॉलर करने का है।
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उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन ने वैश्विक कपड़ा और परिधान निर्यात बाजार में भारत को बराबरी दिलाने के लिए और अधिक मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) करने की जरूरत पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश जैसे प्रतिस्पर्धी देशों को एफटीए का बड़ा लाभ मिल रहा है, जबकि भारत को अभी इस मोर्चे पर और तेजी दिखाने की जरूरत है।
यह बात उन्होंने शनिवार को अपैरल एक्सपोर्ट्स प्रमोशन काउंसिल (AEPC) के पुरस्कार समारोह को संबोधित करते हुए कही। उपराष्ट्रपति ने कहा कि पहले वैश्विक स्तर पर परिधान निर्यात में भारत के सामने बहुत ज्यादा प्रतिस्पर्धी नहीं थे, लेकिन अब बांग्लादेश, लाओस, कंबोडिया, वियतनाम और कई अफ्रीकी देश कड़ी चुनौती दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि एफटीए अब जरूरी हो गया है। हमारे प्रतिस्पर्धी देशों को सबसे बड़ा फायदा इसी का मिल रहा है।
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2030 तक कपड़ा उद्योग को 350 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य
उपराष्ट्रपति ने बताया कि भारत का लक्ष्य 2030 तक कपड़ा उद्योग का आकार 350 अरब डॉलर तक पहुंचाने का है, जिसमें से 100 अरब डॉलर का योगदान निर्यात से होना चाहिए। इसके लिए उन्होंने परिधान उद्योग से नए बाजार तलाशने, पर्यावरण अनुकूल उत्पादन, जिम्मेदार सोर्सिंग और अपशिष्ट कम करने की रणनीतियां अपनाने का आह्वान किया।
अमेरिका के साथ एफटीए एक बड़ी बाधा
अमेरिका के साथ एफटीए को लेकर अनिश्चितता पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि फिलहाल यही एक बड़ी बाधा है, लेकिन यह भी समय के साथ सुलझ जाएगी। उन्होंने माना कि भू-राजनीतिक हालातों के चलते भारतीय कपड़ा उद्योग को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, इसके बावजूद भारत दुनिया का छठा सबसे बड़ा कपड़ा और परिधान निर्यातक बना हुआ है।
तीन वर्षों में कपड़ा निर्यात होगा दोगुना
उपराष्ट्रपति ने भरोसा जताया कि आने वाले तीन वर्षों में भारत का कपड़ा निर्यात दोगुना हो जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत में कपड़ा उद्योग को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह आगे बढ़ेगा और मुझे पूरा विश्वास है कि अगले तीन साल में निर्यात दोगुना होगा। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का कपड़ा और परिधान निर्यात 37.75 अरब डॉलर रहा।
भारतीय परिधान निर्यात ने 10% की वृद्धि दर्ज की
इस अवसर पर AEPC के चेयरमैन सुधीर सेखरी ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारतीय परिधान निर्यात ने 2024-25 में 10 प्रतिशत की सराहनीय वृद्धि दर्ज की है। नवंबर 2025 में निर्यात नवंबर 2024 के मुकाबले 11.3 प्रतिशत और नवंबर 2023 के मुकाबले 22.1 प्रतिशत बढ़ा। उन्होंने बताया कि अप्रैल-नवंबर 2025-26 के दौरान रेडीमेड गारमेंट (RMG) निर्यात 10.08 अरब डॉलर रहा, जो वैश्विक चुनौतियों के बावजूद क्षेत्र की मजबूती को दर्शाता है।