Tariff: मेक्सिको के टैरिफ से 75% भारतीय निर्यात पर बढ़ा आयात शुल्क, जानें किस सेक्टर पर क्या पड़ेगा असर
मेक्सिको ने गैर-एफटीए देशों, जिनमें भारत भी शामिल है, से आने वाले उत्पादों पर 1 जनवरी 2026 से 5% से 50% तक के भारी आयात शुल्क लगाने का निर्णय लिया है। जीटीआरआई के अनुसार, इस कदम से भारत का लगभग 75% यानी 5.75 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित होगा।
विस्तार
मेक्सिको ने गैर-एफटीए (मुक्त व्यापार समझौता) वाले देशों से आने वाले उत्पादों पर भारी टैरिफ लगाने का फैसला किया है। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार भारत के निर्यात के लिए यह गंभीर चुनौती बनकर उभर सकता है। इसमें कहा गया है कि 1 जनवरी 2026 से लागू होने वाले इन नए शुल्कों का भारत के मैक्सिको को होने वाले निर्यात का करीब 75% हिस्सा प्रभावित होगा।
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तीन-चौथाई निर्यात पर टैरिफ बढ़कर होगा 35%
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के 5.75 अरब डॉलर के निर्यात में से तीन-चौथाई हिस्से पर शुल्क 0 से 15% से बढ़कर औसतन 35% तक पहुंच जाएगा। नए नियमों के तहत मैक्सिको गैर-एफटीए साझेदार देशों, जिनमें भारत भी शामिल है, से आने वाले उत्पादों पर 5% से लेकर 50% तक का आयात शुल्क लगाएगा।
ऑटोमोबाइल सेक्टर पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर
GTRI की रिपोर्ट के अनुसार, भारत से मेक्सिको को निर्यात की जाने वाली सबसे बड़ी श्रेणी, ऑटोमोबाइल और ऑटो कंपोनेंट्स, सबसे अधिक प्रभावित होंगी। 938.35 मिलियन डॉलर मूल्य के यात्री वाहनों के निर्यात पर शुल्क 20% से बढ़कर 35% हो जाएगा, जिससे कीमतों में प्रतिस्पर्धात्मकता में भारी गिरावट आएगी। 507.26 मिलियन डॉलर मूल्य के ऑटो कंपोनेंट्स पर टैरिफ 10-15% से बढ़कर 35% हो जाएगा, जिससे मेक्सिको स्थित ऑटोमोटिव आपूर्ति शृंखलाओं में भारत की गहरी भागीदारी बाधित होगी। 390.25 मिलियन डॉलर मूल्य के मोटरसाइकिल निर्यात पर भी शुल्क 20% से बढ़कर 35% होने से असर पड़ेगा।
स्मार्टफोन निर्यात पर भी लगेगा शुल्क
स्मार्टफोन के निर्यात पर पहले कोई शुल्क नहीं लगता था, लेकिन अब इस पर 35% का शुल्क लगेगा। GTRI का कहना है कि पहले स्मार्टफोन बिना किसी शुल्क (0%) के देश में प्रवेश करते थे। जनवरी 2026 से इन पर 35% का शुल्क लगेगा, जिससे मेक्सिको का बाजार इनके लिए लगभग बंद हो जाएगा।
यह क्षेत्र भी होंगे प्रभावित
स्टील क्षेत्र सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ है, क्योंकि फ्लैट उत्पादों पर 50% का भारी शुल्क लगाया जाएगा, जिससे भारतीय इस्पात मेक्सिको के बाजार से बाहर हो जाएगा। 547.99 मिलियन डॉलर के औद्योगिक मशीनरी निर्यात पर शुल्क 5-10% से बढ़कर 25-35% हो जाएगा, जिससे लागत में काफी वृद्धि होगी।
245.90 मिलियन डॉलर मूल्य के वस्त्रों और तैयार उत्पादों पर शुल्क 20-25% से बढ़कर 35% हो जाएगा, जिससे भारत की प्रतिस्पर्धात्मकता में भारी कमी आएगी। वस्त्र निर्यात पर शुल्क 10-15% से बढ़कर 25% हो जाएगा, जबकि सिरेमिक पर शुल्क 25-35% तक पहुंच जाएगा, जिससे लाभमार्जिन कम हो जाएगा।
हालांकि, दवा उद्योग पर इसका मामूली प्रभाव पड़ेगा और यह काफी हद तक अप्रभावित रहेगा, क्योंकि शुल्क में केवल 0-5% से 0-10% की वृद्धि होगी, जिससे मेक्सिको भारतीय जेनेरिक दवाओं के लिए एक स्थिर बाजार बना रहेगा।
भारत दूसरे बाजारों के विकल्प पर ध्यान केंद्रित करेगा
GTRI का कहना है कि मेक्सिको की यह कार्रवाई अमेरिकी व्यापार प्राथमिकताओं के अनुरूप है। हालांकि, रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यापक प्रभाव के बावजूद, भारत की ओर से जवाबी कार्रवाई की उम्मीद नहीं है क्योंकि मेक्सिको से आयात केवल 2.9 अरब डॉलर है, जिससे जवाबी टैरिफ के लिए आर्थिक तर्क और प्रभाव सीमित हो जाता है। जीटीआरआई का कहना है कि वैश्विक व्यापार नियमों में तेजी से हो रही गिरावट को देखते हुए, नई दिल्ली संभवतः निर्यात विविधीकरण पर ध्यान केंद्रित करेगी।