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Bajaj Auto: बजाज ऑटो पर कस्टम्स और जीएसटी का बड़ा टैक्स दावा, कंपनी अपील की तैयारी में
ऑटो डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: अमर शर्मा
Updated Fri, 12 Dec 2025 03:39 PM IST
सार
भारत की सबसे बड़ी टू-व्हीलर कंपनियों में शुमार बजाज ऑटो, सरकारी अधिकारियों से बड़ी ड्यूटी और टैक्स की मांग मिलने के बाद खबरों में आ गई है।
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Bajaj Auto
- फोटो : Adobe Stock
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विस्तार
भारत की प्रमुख दोपहिया वाहन निर्माता कंपनियों में से एक बजाज ऑटो सरकारी अधिकारियों द्वारा लगाए गए भारी-भरकम टैक्स और ड्यूटी दावों के चलते सुर्खियों में है। उद्योग में इस तरह के मामलों की कमी नहीं है, लेकिन लिथियम-आयन बैटरी आयात से जुड़ा विवाद और दावों की राशि इस मामले को और भी महत्वपूर्ण बनाती है।
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₹76 लाख की ड्यूटी मांग
बजाज ऑटो ने स्टॉक एक्सचेंजों को सूचित किया कि कंपनी को मुंबई के न्यू कस्टम्स हाउस से कमिश्नर ऑफ कस्टम्स (एक्सपोर्ट) की ओर से एक आदेश प्राप्त हुआ है। विवाद की जड़ आयातित लिथियम-आयन बैटरियों का वर्गीकरण है। जो इलेक्ट्रिक वाहनों और आधुनिक ऑटोमोटिव सिस्टम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
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बजाज ऑटो ने स्टॉक एक्सचेंजों को सूचित किया कि कंपनी को मुंबई के न्यू कस्टम्स हाउस से कमिश्नर ऑफ कस्टम्स (एक्सपोर्ट) की ओर से एक आदेश प्राप्त हुआ है। विवाद की जड़ आयातित लिथियम-आयन बैटरियों का वर्गीकरण है। जो इलेक्ट्रिक वाहनों और आधुनिक ऑटोमोटिव सिस्टम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
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बजाज की बाइक्स
- फोटो : Bajaj
आदेश के अनुसार, अधिकारियों ने नोटिफिकेशन नंबर 51/96 के तहत बजाज ऑटो का ड्यूटी लाभ का दावा खारिज कर दिया है। कुल 76,10,620 रुपये की डिफरेंशियल कस्टम्स ड्यूटी का दावा किया गया है। उतनी ही राशि का समान जुर्माना भी लगाया गया है। इसके अलावा 60,00,000 रुपये का रिडेम्पशन फाइन भी लगाया गया है।
कस्टम्स विभाग का आरोप है कि कंपनी ने बैटरी आयात को गलत टैक्स कैटेगरी में रखा। जिसके चलते अब अतिरिक्त ड्यूटी और पेनल्टी की मांग की जा रही है।
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कस्टम्स विभाग का आरोप है कि कंपनी ने बैटरी आयात को गलत टैक्स कैटेगरी में रखा। जिसके चलते अब अतिरिक्त ड्यूटी और पेनल्टी की मांग की जा रही है।
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बजाज ऑटो का दावा- वर्गीकरण सही था
अपने नियामकीय फाइलिंग में कंपनी ने स्पष्ट किया कि बैटरी आयात का वर्गीकरण बिल्कुल सही था, नोटिफिकेशन के तहत ड्यूटी लाभ उचित थे, आदेश अपील योग्य है, और कंपनी अपील दाखिल करने की प्रक्रिया में है।
बजाज ऑटो ने यह भी कहा कि इस आदेश से संचालन पर कोई बड़ा वित्तीय प्रभाव नहीं पड़ेगा। इससे संकेत मिलता है कि कंपनी को उम्मीद है कि मामला उत्पादन या बिक्री प्रभावित किए बिना हल हो जाएगा।
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अपने नियामकीय फाइलिंग में कंपनी ने स्पष्ट किया कि बैटरी आयात का वर्गीकरण बिल्कुल सही था, नोटिफिकेशन के तहत ड्यूटी लाभ उचित थे, आदेश अपील योग्य है, और कंपनी अपील दाखिल करने की प्रक्रिया में है।
बजाज ऑटो ने यह भी कहा कि इस आदेश से संचालन पर कोई बड़ा वित्तीय प्रभाव नहीं पड़ेगा। इससे संकेत मिलता है कि कंपनी को उम्मीद है कि मामला उत्पादन या बिक्री प्रभावित किए बिना हल हो जाएगा।
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Bajaj Auto
- फोटो : Adobe Stock
अलग से लगा ₹34.73 करोड़ का GST दावा
कस्टम विवाद के अलावा, बजाज ऑटो को रुड़ापुर के डिप्टी कमिश्नर द्वारा जारी 34.73 करोड़ रुपये जीएसटी और 3.47 करोड़ रुपये पेनल्टी का आदेश भी मिला है। इस मामले में विवाद कंपनी द्वारा बेचे जाने वाले स्पेयर पार्ट्स के टैक्स वर्गीकरण पर है।
टैक्स अधिकारियों का तर्क है कि बजाज ऑटो चूंकि वाहन निर्माता है, इसके स्पेयर पार्ट्स ऑटोमोबाइल उपयोग के लिए कस्टमाइज्ड हैं। इसलिए उन्हें ऑटोमोबाइल पार्ट्स की श्रेणी में टैक्स किया जाना चाहिए, जो उच्च जीएसटी दर के अंतर्गत आता है।
यही पुनर्वर्गीकरण बड़े जीएसटी दावे का आधार बना है। बजाज ऑटो ने अभी तक इस आदेश पर अपील की संभावना पर टिप्पणी नहीं की है। लेकिन आमतौर पर कंपनियां ऐसे मामलों में व्याख्या विवाद होने पर अपील करती हैं।
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कस्टम विवाद के अलावा, बजाज ऑटो को रुड़ापुर के डिप्टी कमिश्नर द्वारा जारी 34.73 करोड़ रुपये जीएसटी और 3.47 करोड़ रुपये पेनल्टी का आदेश भी मिला है। इस मामले में विवाद कंपनी द्वारा बेचे जाने वाले स्पेयर पार्ट्स के टैक्स वर्गीकरण पर है।
टैक्स अधिकारियों का तर्क है कि बजाज ऑटो चूंकि वाहन निर्माता है, इसके स्पेयर पार्ट्स ऑटोमोबाइल उपयोग के लिए कस्टमाइज्ड हैं। इसलिए उन्हें ऑटोमोबाइल पार्ट्स की श्रेणी में टैक्स किया जाना चाहिए, जो उच्च जीएसटी दर के अंतर्गत आता है।
यही पुनर्वर्गीकरण बड़े जीएसटी दावे का आधार बना है। बजाज ऑटो ने अभी तक इस आदेश पर अपील की संभावना पर टिप्पणी नहीं की है। लेकिन आमतौर पर कंपनियां ऐसे मामलों में व्याख्या विवाद होने पर अपील करती हैं।
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