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Labour Codes: वेतन की नई परिभाषा से PF-ग्रेच्युटी बढ़ेगी, रिपोर्ट में दावा- हाथ में आने वाली सैलरी घट सकती है

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Mon, 24 Nov 2025 01:10 PM IST
सार

ईवाई की रिपोर्ट के अनुसार नए लेबर कोड्स कंपनियों के हायरिंग मॉडल और कार्यस्थल प्रशासन में बड़े बदलाव लेकर आए हैं। इसमें कहा गया है कि इस बदलाव से प्रोविडेंट फंड और ग्रेच्युटी जैसे वैधानिक योगदान बढ़ेंगे, जिससे कंपनियों की लागत में वृद्धि होगी और कर्मचारियों के हाथ में जाने वाली सैलरी में कमी आ सकती है। 

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new salary definition will increase PF and gratuity, while the report claims that actual salary may decrease
चार नई श्रम संहिता लागू - फोटो : amarujala.com
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विस्तार
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देश में लागू किए गए नए लेबर कोड कर्मचारियों और कंपनियों दोनों के लिए बड़े बदलाव लेकर आएंगे। अर्न्स्टएंडयंग (EY) की रिपोर्ट के अनुसार नए कोड्स कामकाजी माहौल, कर्मचारी लाभ, हायरिंग मॉडल और नियमों के अनुमान ढांचे को पूरी बदलने की क्षमता रखते हैं। 

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श्रमिकों के लिए बनाई गई नई श्रेणी

इसमें कहा गया है कि  सबसे अहम बदलाव कर्मचारियों और श्रमिकों की नई श्रेणियों को लेकर है। नए नियमों में कर्मचारी की परिभाषा अब सभी तरह के श्रमिक को कवर करती है फिर चाहे उनकी भूमिका, पद या वेतन कुछ भी हो। वहीं श्रमिक की श्रेणी उन लोगों पर लागू होगी जो मैनुअल, स्किल्ड, टेक्निकल, ऑपरेशनल, क्लेरिकल या सुपरवाइजरी काम से जुड़े हैं। हालांकि 18,000 रुपये प्रति माह से अधिक कमाने वाले कर्मचारियों को इस श्रेणी से बाहर रखा गया है। 

पुराने 29 श्रम कानूनों को चार नए कानून में किया गए समेकित

21 नवंबर 2025 से लागू हुए इन सुधारों के तहत 29 पुराने श्रम कानूनों को समेकित करते हुए चार व्यापक कोड बनाए गए हैं, वेज कोड 2019, सोशल सिक्योरिटी कोड 2020, ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशंस कोड 2020 और इंडस्ट्रियल रिलेशंस कोड 2020। रिपोर्ट के अनुसार, नई कर्मचारी-श्रेणीकरण प्रणाली ओवरटाइम, लीव एनकैशमेंट, कॉन्ट्रैक्ट लेबर, रिट्रेन्चमेंट और विवाद निपटान जैसे मामलों पर सीधा असर डालेगी। 

वेतन की परिभाषा में बड़ा बदलाव

कोड्स में शामिल 'वेजेज' की नई परिभाषा को एक बड़ा बदलाव बताया है। नई परिभाषा के तहत वेतन के सभी मौद्रिक घटक शामिल होंगे, जबकि कन्वेयंस, एचआरए, बोनस और ओवरटाइम जैसे तत्व एक्सक्लूजन कैटेगरी में रहेंगी। महत्वपूर्ण बात यह है कि एक्सक्लूजन कुल वेतन के 50% से अधिक नहीं हो सकते। इसका सीधा मतलब है कि बेसिक वेज कुल सैलरी का कम से कम आधा हिस्सा होना चाहिए।

कर्मचारियों के हाथ में आ सकती है कम सैलरी

रिपोर्ट के अनुसार, इस बदलाव से प्रोविडेंट फंड और ग्रेच्युटी जैसे वैधानिक योगदान बढ़ेंगे, जिससे कंपनियों की लागत में वृद्धि होगी और कर्मचारियों के हाथ में जाने वाली सैलरी में कमी आ सकती है। 

नया ढांचा लचीली हायरिंग को आधिकारिक रूप से मान्यता देता है, जिसमें निश्चित अवधि के रोजगार भी शामिल है। ऐसे कर्मचारियों को स्थायी स्टाफ की तरह ही समान वेतन और लाभ देने होंगे। विशेष बात यह है कि फिक्स्ड-टर्म कर्मचारियों की संख्या या अवधि पर अब कोई सीमा नहीं रहेगी। कॉन्ट्रैक्ट लेबर के नियम भी सख्त किए गए हैं। 

नए लेबर कोड्स में जवाबदेही के लिए हैं सख्त नियम

लेबर कोड्स में ऑनलाइन निरीक्षण प्रणाली, अनुपालन को लेकर अधिक सख्त जवाबदेही और बार-बार उल्लंघन करने पर मुकदमे की व्यवस्था शामिल है। अब कर्मचारी सीधे अदालत में शिकायत दर्ज करा सकेंगे।

रिपोर्ट में कंपनियों को सलाह दी गई है कि वे नए प्रावधानों के अनुरूप पे-रोल संरचना में बदलाव, वर्कर कैटेगरी की दोबारा परिभाषा, आंतरिक नियंत्रणों का अपडेट, और एचआर नीतियों की समीक्षा जल्द से जल्द पूरी करें।

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