S&P Report: अमेरिकी टैरिफ दबाव के बीच भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत, जीडीपी दर 6.5% रहने की उम्मीद
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के अनुसार चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव के बावजूद, मजबूत खपत से घरेलू विकास को सहारा मिलेगा। आइए विस्तार से जानते हैं।
विस्तार
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर अनुमान जताया है। रेटिंग्स एजेंसी के अनुसार चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वहीं अगले वित्त वर्ष में यह 6.7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी। इसमें कहा गया है कि कर कटौती और मौद्रिक नीति में ढील से उपभोग आधारित वृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव के बावजूद, मजबूत खपत के कारण घरेलू विकास बेहतर स्थिति में है।
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दूसरी तिमाही के आंकड़े जल्द होंगे जारी
एसएंडपी का दावा है कि भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि ने चालू वित्त वर्ष की पहली तमाही (अप्रैल-जून) में पांच तिमाहियों का रिकॉर्ड तोड़ते हुए 7.8% की रफ्तार पकड़ी है। इधर, दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) के GDP आंकड़े 28 नवंबर को जारी किए जाएंगे, जिनसे अर्थव्यवस्था की मासिक स्थिति और स्पष्ट होगी।
चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जो पिछले वित्त वर्ष की 6.5 प्रतिशत की वृद्धि दर से बेहतर है।
इन कारकों से जीडीपी दर बढ़ने के उम्मीद
- एसएंडपी ने आगे कहा कि कम जीएसटी दरें मध्यम वर्ग के उपभोग को बढ़ावा देंगी और इस वर्ष शुरू की गई आयकर कटौती और ब्याज दरों में कटौती का पूरक बनेंगी। इन बदलावों से इस वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष में निवेश की तुलना में उपभोग वृद्धि का एक बड़ा चालक बन सकता है।
- सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के बजट में आईटी छूट को 7 लाख रुपये से बढ़ाकर 12 लाख रुपये कर दिया है। इससे मध्यम वर्ग को 1 लाख करोड़ रुपये की कर राहत मिली है।
- इसके अलावा, जून में आरबीआई ने प्रमुख नीतिगत दरों में 50 आधार अंकों की कटौती कर इसे 3 साल के निचले स्तर 5.5 प्रतिशत पर ला दिया था।
- वहीं 22 सितंबर से लगभग 375 वस्तुओं पर जीएसटी दरें घटा दी गईं, जिससे आम उपभोग की वस्तुएं सस्ती हो गईं।
अमेरिकी टैरिफ का असर विनिर्माण क्षेत्र पर पड़ने की संभावना
वैश्विक रेटिंग एजेंसी S&P ने कहा है कि भारत पर बढ़ाए गए प्रभावी अमेरिकी टैरिफ का असर देश के निर्यात-उन्मुख विनिर्माण क्षेत्र के विस्तार पर पड़ रहा है। ऊंचे शुल्क के कारण भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता घट रही है और कंपनियों के विस्तार की गति पर दबाव बना हुआ है। हालांकि, एजेंसी ने यह भी संकेत दिया कि अमेरिका भारतीय उत्पादों पर लगने वाले कुछ शुल्कों में कमी ला सकता है, जिससे व्यापारिक रिश्तों में राहत मिलने की उम्मीद है।
रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका की नई व्यापार नीति सरकारों और कंपनियों को छूट हासिल करने के लिए समय और पैसा खर्च करने पर मजबूर कर रही है। इससे उनकी ऊर्जा उत्पादकता बढ़ाने के प्रयासों से हटकर इन बातचीतों में लग रही है।