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Online Gaming Act 2025: राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ऑनलाइन गेमिंग विधेयक बना कानून, रियल मनी गेम्स के दिन लदे

बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: रिया दुबे Updated Fri, 22 Aug 2025 06:51 PM IST
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सार

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के बाद ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन व विनियमन विधेयक, 2025 अब कानून बन गया है। इस कानून के अनुसार ऑनलाइन मनी गेम्स पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है। सरकार का मकसद इस कानून के जरिए ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को बढ़ावा देना है। वहीं गेमिंग उद्योग का कहना है कि पूर्ण प्रतिबंध से  400 से अधिक कंपनियां बंद हो जाएंगी और दो लाख नौकरियां खत्म हो सकती हैं। आइए इस बारे में विस्तार से जानें...

Online Gaming Bill 2025, Promotion of e-sports, strict restrictions on money games
ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन व विनियमन कानून - फोटो : amar ujala digital
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विस्तार
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ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन व विनियमन विधेयक, 2025 राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब कानून का रूप ले चुका है। इस कानून के लागू होते ही भारत के ऑनलाइन गेमिंग परिदृश्य में बड़ा बदलाव आ गया है। शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद से पारित इस विधेयक को अपनी मंजूरी दे दी।

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इससे पहले लोकसभा से गुरुवार को इस बिल को राज्यसभा से पारित कर दिया गया था। वहीं, बुधवार को इस बिल को लोकसभा ने अपनी हरी झंडी दिखाई थी। नए कानून में ई-स्पोर्ट्स और सोशल गेम्स को तो राहत दी गई है, लेकिन ऑनलाइन मनी गेम्स पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाया गया है। इसे लेकर गेमिंग उद्योग जगत और सरकार के मत बंटे हुए हैं। आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

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नए कानून में क्या-क्या खास?

 

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रियल मनी गेम क्या है?

ऑनलाइन रियल-मनी गेमिंग उन डिजिटल प्लेटफॉर्म को संदर्भित करता है जहां खिलाड़ी खेलों में भाग लेने के लिए भुगतान करते हैं और नकद पुरस्कार जीत सकते हैं। इनमें नकद दांव और मौद्रिक जीत वाले सभी ऑनलाइन गेम शामिल हैं। 

ऑनलाइन गेमिंग से जुड़े नए कानून के तहत क्या-क्या होगा प्रतिबंधित?

  • सभी ऑनलाइन मनी गेम्स, चाहे वे स्किल पर आधारित हों या किस्मत पर।
  • इसमें ऑनलाइन फैंटेसी स्पोर्ट्स और लॉटरी भी शामिल होंगे।
  • ऐसे खेलों से जुड़े विज्ञापन, प्रमोशन और बैंक या पेमेंट ऐप्स के जरिए होने वाले लेन-देन पर भी प्रतिबंध है।

किन ऑनलाइन गेम्स को मिलेगा बढ़ावा?

  • ई-स्पोर्ट्स को वैध खेल का दर्जा मिलेगा। सरकार ट्रेनिंग अकादमियों, शोध और आधिकारिक प्रतियोगिताओं को सहयोग देगी।
  • सामाजिक व शैक्षिक गेम्स को पंजीकृत कर बढ़ावा दिया जाएगा, ताकि बच्चे और युवा सुरक्षित और उम्र के अनुसार खेलों के जरिए मनोरंजन और कौशल विकास कर सकें।

नए कानून में सख्त सजा का प्रावधान

  • मनी गेम्स ऑफर करने पर अधिकतम 3 साल की जेल और एक करोड़ रुपये तक जुर्माना।
  • विज्ञापन करने पर 2 साल की जेल और 50 लाख रुपये जुर्माना।
  • दोहराने पर 3 से 5 साल की जेल और दो करोड़ रुपये तक का जुर्माना।
  • प्रमुख अपराधों को गंभीर और गैर-जमानती श्रेणी में रखा गया है।

निर्देश न मानने पर 10 लाख तक का जुर्माना

केंद्र सरकार या नए प्राधिकरण के निर्देशों का पालन न करने पर ₹10 लाख का जुर्माना, पंजीकरण निलंबन या रद्दीकरण, और संचालन पर प्रतिबंध लग सकता है। मेजबानी और वित्तीय सुविधा से संबंधित अपराधों को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस), 2023 के तहत स्पष्ट रूप से संज्ञेय और गैर-जमानती घोषित किया गया है।

कानून में क्या-क्या खास?

  • इसके लिए केंद्र सरकार ऑनलाइन गेमिंग अथॉरिटी नामक नया राष्ट्रीय निकाय बनाएगी
  • यह ऑनलाइन गेम्स को श्रेणीबद्ध और पंजीकृत करेगा।
  • यह तय करेगा कि कौन सा गेम प्रतिबंधित 'मनी गेम' है।
  • शिकायतों का निपटारा और नियमों का पालन सुनिश्चित करेगा।

विधेयक के क्रियान्वयन की निगरानी के लिए एक नया प्राधिकरण स्थापित किया जाएगा। इसकी प्रारंभिक लागत लगभग ₹50 करोड़ और वार्षिक लागत ₹20 करोड़ होने का अनुमान है, जिसका वित्तपोषण भारत की संचित निधि से किया जाएगा।

ई-स्पोर्ट्स गेम्स किसे माना जाएगा?

ई-स्पोर्ट्स को मान्यता प्राप्त नियमों और मानकों के साथ आभासी मैदानों में खेले जाने वाले प्रतिस्पर्धी कौशल-आधारित खेलों के रूप में परिभाषित किया गया है। सरकार ने पहले ही 2022 में ई-स्पोर्ट्स को एक बहु-खेल आयोजन के रूप में मान्यता दे दी थी। 

उद्योग जगत की चिंता और चेतावनी

भारतीय गेमिंग महासंघ (एआईजीएफ), ई-गेमिंग महासंघ (ईजीएफ) और भारतीय फैंटेसी खेल महासंघ (एफआईएफएस) ने इस विधेयक को लेकर चिंता जाहिर की है। संगठनों ने चेतावनी दी है कि इस तरह का पूर्ण प्रतिबंध उद्योग को बर्बाद कर देगा। इससे लोगों की नौकरियां तो जाएंगी ही, इसके अलावा करोड़ों उपोयगकर्ता अवैध विदेशी सट्टेबाजी और जुआ प्लेटफार्मों की ओर धकेले जाएंगे।

इसका उद्यम मूल्यांकन दो लाख करोड़ रुपये से अधिक है और वार्षिक राजस्व 31,000 करोड़ रुपये से अधिक है। यह प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों में सालाना 20,000 करोड़ रुपये से अधिक का योगदान देता है। 

भारतीय ऑनलाइन गेमर्स की कुल संख्या 2020 में 36 करोड़ से बढ़कर 2024 में 50 करोड़ से अधिक हो गई है। उद्योग ने जून 2022 तक 25,000 करोड़ रुपये से अधिक का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) आकर्षित किया है। उद्योग निकायों ने जोर देकर कहा कि प्रतिबंध से वैश्विक निवेश और निवेशक भावना पर भी प्रभाव पड़ेगा। इसके परिणामस्वरूप 400 से अधिक कंपनियां बंद हो सकती हैं और दो लाख नौकरियां खत्म हो सकती हैं।

भारत के ऑनलाइनगेमिंग हब बनने की संभावना 

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव एस कृष्णन ने कहा कि भारत दुनिया की ऑलाइन गेमिंग का हब बन सकता है। सरकार शुरुआत से ही वैध ई-स्पोर्ट्स और गेम डेवलपर्स को बढ़ावा दे रही है। 

सरकार ने ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए

शतरंज समेत अन्य वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त ई-स्पोर्ट्स अब युवा मामले एवं खेल मंत्रालय के दायरे में आते हैं। इसके साथ ही सरकार एनिमेशन, विजुअल इफेक्ट्स, गेमिंग और कॉमिक्स (AVGC) सेक्टर को भी प्रोत्साहित कर रही है। इस क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए मुंबई में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिएटिव टेक्नोलॉजी की स्थापना की गई है। वहीं, सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजी पार्क्स ऑफ इंडिया (STPI) के तहत विभिन्न सेंटर ऑफ एक्सीलेंस भी खोले गए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस कदम से एक ओर देश में ई-स्पोर्ट्स और क्रिएटिव गेमिंग सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा। वहीं दूसरी ओर अवैध और जोखिमपूर्ण ऑनलाइन मनी-गेमिंग गतिविधियों पर अंकुश लगाया जा सकेगा।

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