Year Ender: 2025 में 365 से अधिक IPO के जरिए कंपनियों ने जुटाए ₹1.95 लाख करोड़, जानें किस सेक्टर को अधिक लाभ
2025 में भारत के प्राइमरी इक्विटी बाजार ने नया रिकॉर्ड बनाया। रिपोर्ट के अनुसार, 365 से अधिक आईपीओ के जरिए कंपनियों ने ₹1.95 लाख करोड़ जुटाए। पिछले दो वर्षों में कुल 701 आईपीओ से ₹3.8 लाख करोड़ की फंडिंग हुई। इस दौरान एनबीएफसी सेक्टर सबसे बड़ा लाभार्थी रहा और कुल आईपीओ फंडिंग का 26.6% हिस्सा इसी से आया।
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वर्ष 2025 में भारत के प्राइमरी इक्विटी बाजार ने नया रिकॉर्ड बनाया। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज की ताजा रणनीति रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2025 में 365 से अधिक आईपीओ के जरिए कंपनियों ने कुल ₹1.95 लाख करोड़ जुटाए।
बीते दो वर्षों में प्राइमरी मार्केट से कुल ₹3.8 लाख करोड़ की फंडिंग हुई, जिसमें 701 आईपीओ शामिल रहे। इससे पहले 2024 में 336 आईपीओ के जरिए ₹1.90 लाख करोड़ जुटाए गए थे।
इस दौरान एनबीएफसी सेक्टर की जोरदार वापसी और बैंकों की रणनीतिक री-एंट्री प्राइमरी फंड जुटाने में सबसे अहम रुझान के रूप में उभरी। निवेशकों की मजबूत दिलचस्पी का सबसे बड़ा फायदा क्रेडिट इंटरमीडियरीज, खासकर एनबीएफसी कंपनियों को मिला।
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गैर-सरकारी वित्तीय संस्थान सबसे बड़े खिलाड़ी बनकर उभरे
रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में एनबीएफसी यानी गैर-सरकारी वित्तीय संस्थान सबसे बड़े खिलाड़ी रहे। कुल आईपीओ फंडिंग का 26.6% हिस्सा एनबीएफसी सेक्टर से आया। 24 आईपीओ के जरिए इस सेक्टर ने ₹63,500 करोड़ जुटाए, जो पिछले दो वर्षों में किसी भी सेक्टर का सबसे बड़ा योगदान है। एनबीएफसी आईपीओ को करीब ₹14.9 लाख करोड़ की बोलियां मिलीं, यानी औसतन 23 गुना ओवरसब्सक्रिप्शन, जो कैपिटल गुड्स और हेल्थकेयर जैसे सेक्टरों के बराबर रहा।
इस आईपीओ लहर का नेतृत्व टाटा कैपिटल, एचडीबी फाइनेंशियल, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी और बजाज हाउसिंग फाइनेंस जैसी बड़ी कंपनियों ने किया। टाटा कैपिटल का ₹15,510 करोड़ का आईपीओ भारत का चौथा सबसे बड़ा रहा, जिसे करीब 2 गुना सब्सक्रिप्शन मिला। लिस्टिंग के बाद शेयर लगभग स्थिर रहा, जिसे रिपोर्ट ने बेहतर प्राइस डिस्कवरी का संकेत बताया।
आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी का शेयर लिस्टिंग और सेकेंडरी मार्केट दोनों में मजबूत रहा और यह अपने इश्यू प्राइस से 20% से ज्यादा ऊपर कारोबार कर रहा है। वहीं बजाज हाउसिंग फाइनेंस का ₹6,560 करोड़ का आईपीओ करीब 50 गुना सब्सक्राइब हुआ।
बैंकों ने 2025 में आईपीओ के बजाय QIP और OFS के जरिए अधिक सतर्क रणनीति अपनाई। निजी बैंकों की ओर से लगभग कोई आईपीओ नहीं आया, जबकि पीएसयू बैंक QIP बाजार में छाए रहे।
एसबीआई ने 25,000 करोड़ रुपये जुटाए
भारतीय स्टेट बैंक ने अकेले ₹25,000 करोड़ जुटाए, जो 2025 में कुल QIP फंडिंग का करीब 35% रहा। इसके अलावा यूको बैंक, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक ने भी पूंजी पर्याप्तता बढ़ाने के लिए बाजार का रुख किया।
ऑफर्स फॉर सेल (OFS) में भी बैंक और एनबीएफसी प्रमुख रहे। बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इंडियन ओवरसीज बैंक बड़े OFS सौदों में शामिल रहे। रिपोर्ट के मुताबिक, OFS से जुटाई गई रकम का 60% हिस्सा निजी कंपनियों से आया, जो ऊंचे वैल्यूएशन के बीच प्रमोटरों की हिस्सेदारी घटाने की प्रवृत्ति को दर्शाता है।