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Patanjali: देश की अर्थव्यवस्था में पतंजलि ने छोड़ी है अलग छाप, शहरों से लेकर गांवों तक स्वदेशी उत्पादों का जोर

Media Solutions Initiative Published by: मार्केटिंग डेस्क Updated Sat, 29 Mar 2025 11:59 AM IST
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सार

Patanjali: भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। जिसमें देश की तमाम कंपनियों का योगदान है। इस सूची में पतंजलि समूह का भी नाम शुमार है। देश की अग्रणी एफएमसीजी कंपनियों में से एक पतंजलि ने अपने विकास, रोजगार सृजन और स्वदेशी उत्पादों पर ध्यान दिया है। जिससे शहरों और गांवों हर क्षेत्र के लोगों को लाभ मिल रहा है। आइए इस बारे में और जानें।

Patanjali has made a unique mark on the India's economy, driving the popularity of their indigenous products
पतंजलि समूह के संस्थापक बाबा रामदेव। - फोटो : Patanjali Group
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विस्तार
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भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। जिसमें देश की तमाम कंपनियों का योगदान है। खासकर वो कंपनियां जो स्वदेशी को आधार बनाकर देश में ही अपने उत्पाद बना रही हैं और नौकरियां पैदा कर रही हैं। इससे स्थानीय उत्पादों को दुनिया के तमाम बाजारों में भेजने में भी मदद मिल रही है। ऐसी ही कंपनियों की सूची में एक अग्रणी नाम है पतंजलि। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की अगुवाई में यह कंपनी देश की अर्थव्यवस्था को एक नए स्तर पर ले जाने में अपना योगदान दे रही है।

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कंपनी का रेवेन्यू और मुनाफा लगातार बढ़ रहा है। देश की अग्रणी एफएमसीजी कंपनियों में से एक पतंजलि ने अपने विकास, रोजगार सृजन और स्वदेशी उत्पादों पर ध्यान दिया है। इसने अपने अनूठे बिजनेस मॉडल और किफायती मूल्य रणनीति से एफएमसीजी व आयुर्वेदिक उत्पादों के बाजार में अपनी पैठ बना ली है। आइए जानते हैं पतंजलि किस तरह देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने का काम कर रही है?
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पतंजलि के संस्थापक आचार्य बालकृष्ण और बाबा रामदेव।

भारत को आत्मनिर्भर बनाने में पतंजलि का स्वदेशी आंदोलन कितना अहम?

पतंजलि आयुर्वेद की स्थापना 2006 में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने की थी। इस ब्रांड ने भारतीय बाजार में स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा दिया और विदेशी कंपनियों के एकछत्र राज को चुनौती दी। पतंजलि ने घरेलू उपभोक्ताओं के बीच भारतीय उत्पादों के प्रति विश्वास बढ़ाया और 'मेक इन इंडिया' व 'आत्मनिर्भर भारत' जैसे अभियानों को सफल बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

भारतीय अर्थव्यवस्था में पतंजलि का क्या योगदान है?

पतंजलि का विकास सिर्फ एक ब्रांड के रूप में नहीं हुआ, इसके स्वदेशी उत्पादों की शृंखला ने अर्थव्यवस्था को मजबूत करने करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभागई। आयुर्वेदिक और प्राकृतिक उत्पादों की बढ़ती मांग ने इस सेक्टर में रोजगार के पर्याप्त अवसर भी बढ़ाए। कंपनी ने खाद्य, औषधि, कॉस्मेटिक्स और एफएमसीजी उत्पादों में विस्तार कर बहुराष्ट्रीय कंपनियों को टक्कर दी, जिससे भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ी। पतंजलि आयुर्वेद ने वित्तीय वर्ष 2024 में उल्लेखनीय राजस्व वृद्धि हासिल की है।  वित्त वर्ष 2024 में कंपनी का राजस्व 9,335.3 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। पतंजलि समूह की ओर से अधिग्रहित पतंजलि फूड्स का लक्ष्य  अगले पांच वर्षों में 45,000-50,000 करोड़ रुपये का कारोबार करना है।

लघु, सूक्ष्म और मध्यम उद्यमों को कैसे दी जा रही मदद?

पतंजलि ने कई लघु और मध्यम उद्योगों को सहयोग प्रदान किया है। कंपनी अपने उत्पादों के लिए स्थानीय किसानों और छोटे उत्पादकों से कच्चा माल खरीदती है, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है। इससे किसानों को उचित मूल्य मिलता है और उनकी आय में वृद्धि होती है। नोएडा, नागपुर और इंदौर में नई उत्पादन इकाइयों सहित पतंजलि की विस्तार योजनाओं से रोजगार के अनेक अवसर पैदा होने की उम्मीद है।

योग शिक्षा के जरिए बाबा रामदेव ने पतंजलि को दिलाई दुनियाभर में पहचान।

पतंजलि ने बताया कैसा हो स्वदेशी नवाचार में सफल बिजनेस मॉडल?

पतंजलि का बिजनेस मॉडल पूरी तरह से स्वदेशी है। कंपनी ने अपने उत्पादों के लिए घरेलू आपूर्ति शृंखला विकसित की है और पारंपरिक आयुर्वेदिक ज्ञान को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ा है। इसकी मार्केटिंग रणनीति भी अनोखी रही है, जिससे यह तेजी से लोकप्रिय हुआ। स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में पतंजलि आयुर्वेद ने स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा देकर, विदेशी उत्पादों पर निर्भरता कम करके और रोजगार को बढ़ावा देकर भारत के आत्मनिर्भर भारत मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पतंजलि ने आयुर्वेद, हर्बल उत्पादों और पारंपरिक भारतीय विनिर्माण क्षेत्र को पुनर्जीवित किया, जिससे वे बहुराष्ट्रीय ब्रांडों की तुलना में प्रतिस्पर्धी बन गए। इसने एफएमसीजी, हेल्थकेयर, टेक्सटाइल और डेयरी जैसे क्षेत्रों का विस्तार किया है, जो साबित करता है कि भारतीय कंपनियां भी वैश्विक बाजारों पर हावी हो सकती हैं। विदेशी उत्पादों के लिए स्वदेशी विकल्प तैयार करके पतंजलि आयात को कम करने और भारत के व्यापार संतुलन को बेहतर बनाने में मदद कर रही है। देश में हर्बल सौंदर्य प्रसाधन, खाद्य पदार्थ और दवाइयों जैसे उत्पादों ने कई आयातित वस्तुओं की जगह ले ली है।

ग्रामीण और शहरी अर्थव्यवस्था को कैसे मजबूती दे रहा पतंजलि?

पतंजलि ने उत्तराखंड, हरिद्वार में अपनी बड़ी उत्पादन इकाइयां स्थापित की हैं, जिससे हजारों लोगों को रोजगार मिला। नोएडा, नागपुर और इंदौर में नई उत्पादन इकाइयों सहित पतंजलि की विस्तार योजनाओं से रोजगार के अनेक अवसर पैदा होने की उम्मीद है। साथ ही, कंपनी ने अन्य राज्यों में भी अपने मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स शुरू किए हैं, जिससे स्थानीय स्तर पर औद्योगीकरण को बढ़ावा मिला है। इसके अलावा, पतंजलि के उत्पादों की बिक्री से छोटे दुकानदारों और वितरकों को भी फायदा हुआ है। इसका बड़ा फायदा देश में ग्रामीण आबादी के बीच से आने वाले लोगों को मिलने की उम्मीद है।

स्वदेशी उत्पादों के जरिए देश की इकोनॉमी संवारना लक्ष्य

भारत में पतंजलि केवल एक ब्रांड के रूप में ही विकसित नहीं हुआ, बल्कि इसने देश को आत्मनिर्भर बनाने में भी अहम योगदान दिया है। पतंजलि ने न केवल स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा दिया है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में भी अपनी भूमिका निभा रहा है। छोटे व मझोले उद्योगों को सपोर्ट देने की बात हो या रोजगार वृद्धि और ग्रामीण विकास हर क्षेत्र में बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण की अगुवाई में पतंजलि की भूमिका भारतीय अर्थव्यवस्था को और सशक्त बना रही है।

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