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Payments: UPI नहीं कैश में ज्यादा खरीदारी कर रहे इन राज्यों के लोग, हर माह इतने रुपए ATM से निकालते हैं भारतीय
डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली।
Published by: ज्योति भास्कर
Updated Thu, 08 May 2025 07:08 PM IST
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सार
भारत में जब से डिजिटल पेमेंट यानी मोबाइल के माध्यम से यूपीआई सेवा की शुरुआत हुई है, बड़ी संख्या में लोगों ने कैश का इस्तेमाल कम किया है। हालांकि, एक चौंकाने वाली रिपोर्ट के मुताबिक देश के तीन राज्यों में लोग यूपीआई की जगह कैश में ज्यादा खरीदारी कर रहे हैं। इन राज्यों में औसतन 5600 रुपये प्रतिमाह एटीएम से निकाले जाते हैं।

भारत में भुगतान के अलग-अलग तरीके अपना रहे लोग (प्रतीकात्मक)
- फोटो : Freepik

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विस्तार
देश में कैश खर्च करने के मामले में तीन राज्यों ने बाजी मारी है। इनमें चौकाने वाला नाम बिहार का है। सीएमएस कंजम्पशन 2025 की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार पहली बार देश के टॉप 3 कैश खर्च करने वाले राज्यों में शामिल हो गया है। दिल्ली और उत्तर प्रदेश ने पहले से ही अपनी टॉप पोजिशन बनाए रखी है, लेकिन बिहार की यह छलांग खास मानी जा रही है।
ऐसे सामान खरीदने में कैश का जमकर इस्तेमाल
सीएमएस इंफो सिस्टम्स की सीएमएस कंजम्पशन रिपोर्ट 2025 के मुताबिक, लोग अब भी अपनी बड़ी खरीदारी जैसे कि घर की सजावट, एफएमसीजी और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स के लिए कैश का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। कंज्यूमर ड्यूरेबल्स पर औसत मासिक खर्च में 72 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पहले ये आंकड़ा महज 6 प्रतिशत था।
प्रति माह एटीएम से औसतन लगभग 5600 रुपये की निकासी
रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई कि वित्त वर्ष 2025 में एटीएम से औसतन 5,658 रुपये प्रति माह निकाले जा रहे हैं, जो कि पिछले साल के मुकाबले 3 प्रतिशत ज्यादा है। इसका मतलब है कि डिजिटल के बढ़ते चलन के बावजूद, कैश की मांग अब भी बनी हुई है। रिपोर्ट बताती है कि मल्टी-ब्रांड आउटलेट्स पर खर्च 12 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि पिछले साल इसमें 29 प्रतिशत की गिरावट आई थी। लोग अब महंगे और प्रीमियम प्रोडक्ट्स को दुकानों में जाकर खरीदना पसंद कर रहे हैं। इससे यह भी समझ आता है कि अब लोग पहले से ज्यादा ब्रांड को लेकर जागरूक हो गए हैं।
ये भी पढ़ें- Gold-Silver Price: चार दिन की तेजी के बाद लुढ़का सोना, चांदी की कीमत में भी गिरावट; जानें क्या है भाव
2023 में खर्च में 22 प्रतिशत की गिरावट आई थी
रिपोर्ट में बताया गया कि, पिछले कुछ सालों में एफएमसीजी सेक्टर में गिरावट देखी गई थी। वित्त वर्ष 2023 में खर्च में 22 प्रतिशत की गिरावट आई थी, लेकिन वित्त वर्ष 2025 में यह सेक्टर फिर से रफ्तार पकड़ता दिख रहा है। अब खर्च में 4 प्रतिशत की बढ़त देखी गई है, जिससे साफ है कि लोग जरूरी चीजों पर खर्च करना जारी रखे हुए हैं।
ये भी पढ़ें- Pakistan Stock Market: पाकिस्तान के शेयर बाजार में आया भूचाल, 6000 से अधिक अंकों की भारी गिरावट
क्विक कॉमर्स में 10 प्रतिशत की सालाना ग्रोथ
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि, लोकल डिलीवरी और क्विक कॉमर्स की वजह से लोगों का खर्च करने का तरीका भी बदला है। हाइपर-लोकल डिलीवरी के कारण क्विक कॉमर्स में 10 प्रतिशत की सालाना ग्रोथ दर्ज की गई है। इससे साफ है कि लोग तेजी से सामान घर मंगवाने को अहमियत दे रहे हैं।
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ऐसे सामान खरीदने में कैश का जमकर इस्तेमाल
सीएमएस इंफो सिस्टम्स की सीएमएस कंजम्पशन रिपोर्ट 2025 के मुताबिक, लोग अब भी अपनी बड़ी खरीदारी जैसे कि घर की सजावट, एफएमसीजी और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स के लिए कैश का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। कंज्यूमर ड्यूरेबल्स पर औसत मासिक खर्च में 72 प्रतिशत की भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पहले ये आंकड़ा महज 6 प्रतिशत था।
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प्रति माह एटीएम से औसतन लगभग 5600 रुपये की निकासी
रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी गई कि वित्त वर्ष 2025 में एटीएम से औसतन 5,658 रुपये प्रति माह निकाले जा रहे हैं, जो कि पिछले साल के मुकाबले 3 प्रतिशत ज्यादा है। इसका मतलब है कि डिजिटल के बढ़ते चलन के बावजूद, कैश की मांग अब भी बनी हुई है। रिपोर्ट बताती है कि मल्टी-ब्रांड आउटलेट्स पर खर्च 12 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि पिछले साल इसमें 29 प्रतिशत की गिरावट आई थी। लोग अब महंगे और प्रीमियम प्रोडक्ट्स को दुकानों में जाकर खरीदना पसंद कर रहे हैं। इससे यह भी समझ आता है कि अब लोग पहले से ज्यादा ब्रांड को लेकर जागरूक हो गए हैं।
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2023 में खर्च में 22 प्रतिशत की गिरावट आई थी
रिपोर्ट में बताया गया कि, पिछले कुछ सालों में एफएमसीजी सेक्टर में गिरावट देखी गई थी। वित्त वर्ष 2023 में खर्च में 22 प्रतिशत की गिरावट आई थी, लेकिन वित्त वर्ष 2025 में यह सेक्टर फिर से रफ्तार पकड़ता दिख रहा है। अब खर्च में 4 प्रतिशत की बढ़त देखी गई है, जिससे साफ है कि लोग जरूरी चीजों पर खर्च करना जारी रखे हुए हैं।
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क्विक कॉमर्स में 10 प्रतिशत की सालाना ग्रोथ
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि, लोकल डिलीवरी और क्विक कॉमर्स की वजह से लोगों का खर्च करने का तरीका भी बदला है। हाइपर-लोकल डिलीवरी के कारण क्विक कॉमर्स में 10 प्रतिशत की सालाना ग्रोथ दर्ज की गई है। इससे साफ है कि लोग तेजी से सामान घर मंगवाने को अहमियत दे रहे हैं।
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