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Piyush Goyal: 'पीएलआई एक शुरुआती समर्थन; इसे बैसाखी नहीं समझा जाए', बोले पीयूष गोयल
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कुमार विवेक
Updated Sat, 03 Feb 2024 06:01 PM IST
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सार
Piyush Goyal: केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि पीएलआई का मकसद भारत को विनिर्माण क्षेत्र का पावरहाउस बनाना है और इस मामले में अभी लंबा सफर तय करना बाकी है।

Piyush Goyal
- फोटो : amarujala.com
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विस्तार
वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को पीएलआई स्कीम पर बड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि उद्योगों को उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को शुरुआती समर्थन के रूप में देखना चाहिए, क्योंकि आने वाले समय में उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रतिस्पर्धा का सामना करना होगा। उन्होंने पीएलआई लाभार्थी कंपनियों को प्रोत्साहन देने वाली कंपनियों से योजना के बेहतर क्रियान्वयन के लिए रचनात्मक आलोचना और प्रतिक्रिया साझा करने को कहा।

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केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि पीएलआई का मकसद भारत को विनिर्माण क्षेत्र का पावरहाउस बनाना है और इस मामले में अभी लंबा सफर तय करना बाकी है। सरकारी अधिकारियों और उद्योग जगत के प्रतिभागियों सहित 1,200 से अधिक हितधारकों ने पीएलआई पर नई दिल्ली में बैठक की। इस बैठक में 14 पीएलआई योजनाओं की प्रगति पर विचार-विमर्श किया गया। गोयल ने कहा, "योजना के प्रोत्साहन को बैसाखी के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए और हम आपको सरकारी सब्सिडी पर निर्भर नहीं बनाना चाहते हैं। यह केवल एक किकस्टार्ट की तरह है।"
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गोयल बोले- उद्योगों को वैश्विक बाजार पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए
गोयल ने कहा, ''पीएलआई योजना का मकसद केवल आपको थोड़ा सा बढ़ावा देना है ताकि आप अपने प्रयास को किकस्टार्ट कर सकें और कृपया इसे किकस्टार्ट के रूप में देखें, एक प्रारंभिक समर्थन के रूप में देखें। क्योंकि क्योंकि अंततः आपके लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।" उन्होंने कहा, 'हमें अंतत: एक दूसरे से और दुनिया के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी। मंत्री ने यह भी सुझाव दिया कि उद्योगों को धीरे-धीरे वैश्विक बाजारों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और भारत के बड़े घरेलू बाजार के कंफर्ट जो से बाहर आना चाहिए।
बैठक में उद्योग संवर्द्धन एवं आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) के सचिव राजेश कुमार सिंह ने उद्योग जगत से मूल्यवर्धन पर ध्यान देने का आह्वान किया क्योंकि देश का विनिर्माण सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) करीब 17.4 प्रतिशत है। सिंह ने कहा कि यह एक ऐसे देश के लिए पर्याप्त नहीं है जो एक विकसित राष्ट्र बनने की ओर देख रहा है और बड़ी संख्या में रोजगार सृजन कर रहा है। उन्होंने कहा कि कुछ तबकों ने योजना के संबंध में कुछ समस्याएं उठाई हैं और सरकार उन मुद्दों के समाधान के लिए काम कर रही है।