RBI DG: डिजिटल धोखाधड़ी के मामले जुलाई से बढ़े, रिजर्व बैंक के महानिदेशक बोले- कारणों की जांच जारी
RBI DG: डीजी ने बताया कि धोखाधड़ी से निपटने के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे को तैनात किया जा रहा है। उन्होंने म्यूल हंटर का उदाहरण देते हुए बताया कि इसे धोखाधड़ी की गई राशि को ट्रैक करने के लिए डिजाइन किया गया है। आरबीआई डीजी ने आगे क्या कहा- आइए जानते हैं।
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डिजिटल धोखाधड़ी की घटनाएं इस साल जुलाई महीने से बढ़ रही हैं। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर ने शुक्रवार को यह दावा किया। एसबीआई के एक कार्यक्रम में बोलते हुए शंकर ने कहा कि जुलाई तक धोखाधड़ी में कमी आ रही थी और रिजर्व बैंक उसके बाद इसके बढ़ने के कारणों की जांच कर रहा है।
उन्होंने कहा, "यदि आप प्रति लेनदेन धोखाधड़ी पर नजर डालें तो हम पाएंगे कि पिछले वर्ष की तुलना में वर्ष की शुरुआत से धोखाधड़ी की घटनाएं जुलाई तक काफी कम रहीं, उसके बाद फिर से बढ़ने लगीं।" धोखाधड़ी में कितना इजाफा हुआ इस बारे में कोई आंकड़ा साझा किए बिना शंकर ने बताया कि यह वृद्धि चक्रीय या महज मौसमी हो सकती है।
धोखाधड़ी से निपटने के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे का हो रहा इस्तेमाल
डीजी ने बताया कि धोखाधड़ी से निपटने के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचे को तैनात किया जा रहा है। उन्होंने म्यूल हंटर का उदाहरण देते हुए बताया कि इसे धोखाधड़ी की गई राशि को ट्रैक करने के लिए डिजाइन किया गया है। वित्त वर्ष 2025 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसा धोखाधड़ी के मामलों में कमी आई और यह 23,953 हो गए। पिछले वित्त वर्ष में यह 36,000 से अधिक थे।
आंकड़ों के अनुसार धोखाधड़ी मुख्य रूप से कार्ड और इंटरनेट सहित डिजिटल भुगतान की श्रेणी में हुई। रिपोर्ट के अनुसार संख्या के हिसाब से धोखाधड़ी के लगभग 60 प्रतिशत मामले निजी क्षेत्र के बैंकों के हैं। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का हिस्सा वित्त वर्ष 2025 के अंत तक 71 प्रतिशत से अधिक है। आरबीआई महानिदेशक ने कहा कि बैंक अपनी आईटी प्रणालियों, शाखा नेटवर्क और अनुपालन लागतों के भार के कारण "संरचनात्मक रूप से कमजोर" हैं। उन्होंने चेताया कि "वृद्धिशील डिजिटलीकरण" से उन्हें प्रतिस्पर्धी बनाये रखना संभव नहीं है।
बैंकों को आरबीआई डीजी ने दी यह सलाह
आरबीआई डीजी ने सुझाव दिया कि बैंक अपने मुख्य बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण पर ध्यान दें ताकि फिनटेक पारिस्थितिकी तंत्र के साथ प्रतिस्पर्धा की जा सके। महानिदेशक ने यह भी साफ किया कि प्रतिस्पर्धात्मकता अब बैलेंस शीट की मजबूती पर उतनी निर्भर नहीं होगी जितनी कि डेटा क्षमता और प्रौद्योगिकी के लचीलेपन पर।