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IRDAI: 'नियामकों और सरकार को वित्तीय जोखिम की निगरानी के लिए मिलकर काम करना चाहिए', बोले बीमा नियामक के प्रमुख
बिजनेस डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कुमार विवेक
Updated Fri, 07 Nov 2025 02:31 PM IST
सार
IRDAI: कॉरपोरेट गवर्नेंस समिट के 10वें संस्करण 'गेटकीपर्स ऑफ गवर्नेंस' में बोलते हुए बीमा नियामक के प्रमुख ने यह भी कहा कि वित्तीय क्षेत्र के लिए साइबर सुरक्षा से जुड़ी मसौदा रणनीति 2026 की शुरुआत तक आईआरडीएआई के पास होने की उम्मीद है। आइए इस बारे में विस्तार से जानें।
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अजय सेठ, आर्थिक मामलों के सचिव
- फोटो : ANI
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विस्तार
सरकारी नियामकों और सरकार को वित्तीय प्रणाली के जोखिमों और उससे बचने के उपायों की पहचान, आकलन और निगरानी के लिए एक व्यापक और सुसंगत ढांचा विकसित करने पर काम करना चाहिए। आईआरडीएआई के अध्यक्ष अजय सेठ ने शुक्रवार को यह बात कही।
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कॉरपोरेट गवर्नेंस समिट के 10वें संस्करण 'गेटकीपर्स ऑफ गवर्नेंस' में बोलते हुए बीमा नियामक के प्रमुख ने यह भी कहा कि वित्तीय क्षेत्र के लिए साइबर सुरक्षा से जुड़ी मसौदा रणनीति 2026 की शुरुआत तक आईआरडीएआई के पास होने की उम्मीद है।
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उन्होंने कहा कि वित्तीय क्षेत्र की उभरती चुनौतियों का प्रमुख उदाहरण वित्तीय क्षेत्र में साइबर सुरक्षा को मजबूत करने और जलवायु जोखिम लचीलेपन पर समन्वित रणनीति तैयार करने में सार्वजनिक प्राधिकरणों के प्रयासों में पाया जा सकता है।
सेठ ने "Regulatory Gaps and Overlaps: Do They Exist" नामक सत्र में कहा, "जलवायु जोखिम लचीलेपन के संबंध में सभी नियामकों और सरकार को प्रणालीगत जलवायु वित्तीय जोखिम और अनुकूलन उपायों की पहचान, आकलन और निगरानी के लिए एक व्यापक और सुसंगत ढांचा विकसित करने में एक साथ काम करना चाहिए।"
उन्होंने कहा कि नेता विकसित अर्थव्यवस्था के लिए काफी महत्वपूर्ण या कहें कि केंद्रबिंदु होता है, उन्होंने कहा कि उद्देश्य यह सुनिश्चित करना होना चाहिए कि जलवायु संबंधी जोखिम और अवसरों का प्रभावी प्रबंधन देश की विकास से जुड़ी आकांक्षाओं और प्राथमिकताओं से समझौता किए बिना दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता को बढ़ावा दे।
भारतीय बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) के अध्यक्ष ने जोर देते हुए कहा, "विनियमों को पॉलिसी के साथ मिलकर चलना होगा, न कि पॉलिसी से आगे बढ़ना होगा।"
सेठ ने कहा कि हाल के दिनों में घरेलू और वैश्विक स्तर पर ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जहां वित्तीय क्षेत्र के एक खंड में कामकाज या व्यवधान के परिणामस्वरूप अन्य खंडों में वित्तीय संकट और अस्थिरता या यहां तक कि समग्र वित्तीय अस्थिरता उत्पन्न हुई है।